वर्तमान
लोकसभा
चुनावों
में
मुस्लिम
मतों
की
सियासत
कुछ
अधिक
ही
तेज
हो
गयी
है।
देष
के
सभी
राष्ट्रीय
व
क्षेत्रीय
दलों
ने
पूरी
तरह
से
केवल
मोदी
को
रोकने
के
लिए
पूरी
ताकत
लगा
दी
है।
इसलिए
उन्हें
केवल
एकमुष्त
मुस्लिम
वोटों
की
ही
दरकार
रह
गयी
है।
आज
देष
में
ऐसे
हालात
पैदा
हो
गये
हैं
कि
गुजरात
में
2002
के
दंगों
के
अलावा
कोई
और
बड़ा
मुददा
ही
नहीं
रह
गया
है।
हर
पार्टी
का
नेता
अपने
आप
को
मुसलमानों
का
सबसे
बड़ा
हितैषी
और
मोदी
को
गुजरात
दंगों
का
अपराधी
घोषित
करने
में
लग
गया
है।
मोदी
को
रोकने
की
गरज
से
कांग्रेसाध्यक्ष
श्रीमती
सोनिया
गांधी
ने
मौलाना
इमाम
बुखारी
से
मुलाकात
कर
ली
तो
सभी
दलों
ने
इसे
अपना
टेªडमार्क
बना
लिया
है।
वाराणसी
में
मोदी
के
खिलाफ
चुनाव
लड़
रहे
आम
आदमी
पार्टी
के
नेता
अरविंद
केजरीवाल
ने
मुस्लिमो
को
लुभाने
व
उनके
वोट
पाने
के
लिए
अपनी
टोपी
में
उर्दू
में
भी
लिख
लिया
कि
मैं
हूं
आम
आदमी
पार्टी।
साथ
ही
केजरीवाल
ने
मुस्लिम
धर्मगुरूओं
से
भी
खूब
मेल
मुलाकातें
की।
अभी
उनका
इतने
से
ही
पेट
नहीं
भरा
है
वाराणसी
में
वे
मुस्लिम
बहुल
इलाकों
में
जनसभाओं
के
माध्यम
से
मोदी
को
हराने
की
अपील
कर
रहे
हैं।
मोदी
को
हराने
के
लिए
एक
प्रकार
से
देषी-
विदेषी
राष्ट्रविरोधी
ताकतें
सक्रिय
हो
चुकी
हैं।
इन्हीं
ताकतों
ने
एक
मानसिक
रूप
से
विकृत
राजनीति
करने
वाले
देष
की
जनता
को
गुमराह
करने
वाले
अरविंद
केजरीवाल
को
अपनी
चालों
का
मोहरा
बना
लिया
है।
वाराणसी
की
जनता
को
काफी
सावधानी
से
काम
लेना
होगा।
केजरीवाल
मुस्लिमों
के
मन
में
मोदी
के
प्रति
भय
पैदा
कर
रहा
हैं।
यह
पूरे
देष
के
विकास
का
दुष्मन
है।
जिसने
अपनी
मूल
राजनीति
से
अलग
हटकर
अराजकता
का
रास्ता
अपना
लिया
है।
उधर
गुजरात
दंगों
को
लेकर
तथाकथित
धर्मनिरपेक्ष
नेता
मुस्लिमों
में
भय
पैदा
कर
रहे
हैं।
उनके
खिलाफ
झूठा
और
मनगढंत
प्रचार
कर
रहे
हैं।
यही
कारण
है
कि
अब
स्वयं
गुजरात
के
मुख्यमंत्री
व
पीएम
पद
के
दावेदार
नरेंद्र
मोदी
को
साक्षात्कारों
के
सहारे
जनता
के
समक्ष
अपने
विचारों
का
प्रस्फुटन
करने
के
लिए
आगे
आना
पड़
रहा
है।
हर
जगह
उनसे
केवल
गुजरात
दंगों
के
लिए
माफी
मांगने
का
ही
विचार
सामने
आ
रहा
है।
यह
सबकुछ
बहुसंख्यक
हिंदू
समाज
के
खिलाफ
एक
बहुत
गहरी
साजिष
के
तहत
हो
रहा
है।
आजादी
के
बाद
देष
में
बहुत
से
दंगे
हुए
हैं।
जिसमें
समाज
के
हर
वर्ग
की
संपत्ति
का
नुकसान
हुआ
जानमाल
का
नुकसान
हुआ।
लेकिन
इन
प्रष्नों
का
जवाब
आज
तक
कांग्रेस
की
ओर
से
नहीं
दिया
जा
रहा
है।
छह
दिसम्बर
1992
की
घटना
के
बाद
सबसे
भयानक
दंगे
महाराष्ट्र
में
हुए
व
मुम्बई
षहर
कई
बार
धमाकों
से
गूंज
उठा
लेकिन
आज
वे
सभी
अपराधी
बेखौफ
होकर
विदेषों
की
सैर
कर
रहे
हैं।
मुम्बई
जब
जल
रहा
था
तब
षरद
पवार
व
उनके
सहयोगियों
का
राजधर्म
कहां
चला
गया
था।
यही
हाल
आज
उप्र
के
मुजफ्फरनगर
का
हो
रहा
है।
सर्वोच्च
न्यायालय
की
कड़ी
टिप्पणियों
के
बाद
भी
सपा
सरकार
बनी
हुई
है।
आज
किसी
में
भी
यह
साहस
नहीं
दिखलाई
पड़
रहा
है
कि
वह
सपा
मुखिया
मुलायम
सिंह
और
मुख्यमंत्री
अखिलेष
यादव
को
उनका
अपना
राजधर्म
याद
दिलवाये।
सभी
दलों
को
पता
चल
गया
है
कि
यदि
मोदी
के
नेतृत्व
में
कहीं
भाजपा
ने
जादुई
आंकड़ा
प्राप्त
कर
लिया
तो
उन
सभी
लोगों
की
राजनीति
का
जनाजा
निकल
जायेगा
जिनकी
रोजी-
रोटी
गुजरात
दंगों
का
गुणगान
करने
से
चल
रही
है।
इसी
कारण
देष
की
राजनीति
की
सुई
घड़ी
के
पेंडुलम
की
तरह
यहीें
पर
आकर
टिक
गयी
है।
मोदी
ने
मुस्लिमों
में
व्याप्त
भय
को
दूर
करने
के
लिए
एक
नयी
साहसिक
पहल
की
है
जिसमें
काफी
देर
हो
चुकी
है।
बुधवार
16
अप्रैल
को
मोदी
ने
एक
बार
फिर
देष
के
मुस्लिमों
को
समझाने
की
कोशिश
करते
हुए
एक
साक्षात्कार
में
सभी
प्रश्नों
के
उत्तर
देते
हुए
कहाकि
यदि
मैंने
किसी
प्रकार
की
कोई
गलती
कि
है
तो
मुझे
कतई
माफ
करने
की
जरूरत
नहीं
है।
अपराध
साबित
होने
पर
मुझे
सरेआम
फांसी
दे
दी
जाये
ताकि
अगले
सौ
साल
तक
कोई
अन्य
व्यक्ति
इस
प्रकार
के
अपराध
को
अंजाम
न
दे
सके।
साथ
ही
मुस्लिमों
में
भय
पर
कह
कि
मैं
वाराणसी
मंे
किसी
को
हराने
के
लिए
नहीं
अपितु
उनका
दिल
जीतने
के
लिए
जा
रहा
हूं।
जब
मुस्लिम
हमसे
मिलेंगे
तब
वे
प्यार
करने
लगेंगे।
सामाजिक
समरसता
कायम
करने
के
लिए
इससे
बड़ी
कोई
और
बात
या
पहल
नहीं
हो
सकती
।
इसी
दिन
फिल्म
अभिनेता
सलमान
खान
के
घर
पर
उनके
पिता
सलीम
खान
की
उपस्थिति
में
एक
उर्दू
वेबसाइट
लांच
की
गयी।
इस
वेबसाइट
में
मोदी
के
जीवन
के
विषय
मंे
सभी
प्रकार
की
जानकारियों
का
खजाना
है।
जिससे
मोदी
के
व्यक्तित्व
की
खास
बातें
लोगों
को
पता
चल
सकेंगी
व
मुस्लिम
समाज
में
व्याप्त
गलतफहमियां
दूर
हो
सकेंगी।
मोदी
केे
मुस्लिम
टोपी
को
न
पहनने
को
भी
मुस्लिम
परस्त
नेता
काफी
गलत
तरीके
से
प्रस्तुत
कर
रहे
हैं।
आज
तक
किसी
भी
कांग्रेसी
नेता
ने
खुलेआम
मुस्लिम
टोपी
नहीं
पहनी
है।
गांधी
परिवार
का
कोई
भी
सदस्य
मुस्लिम
टोपी
नहीं
पहनता
है।
गांधी,
पटेल
सहित
किसी
भी
नेता
ने
टोपी
नहीं
पहनी।
टोपी
को
लेकर
विकृत
और
ओछी
मानसिकता
की
राजनीति
की
षुरूआत
यूपीए
गठबंधन
के
कार्यकाल
की
देन
है।
जिसेक
आम
आदमी
पार्टी
के
लोग
भुना
रहे
हैं।
टोपी
की
राजनीति
देष
के
मुसलमानों
के
साथ
एक
बहुत
बड़ा
धोखा
है।
देष
के
तथाकथित
राजनैतिक
दल
टोपी
के
बहाने
केवल
अपने
परिवार
के
सदस्यों
के
लिए
दौलत
कमा
रहे
है।
यह
दल
वास्तव
में
नहीं
चाहते
कि
मुस्लिम
समाज
अपने
पैरों
पर
खड़ा
हो
सके।
इन
दलों
ने
मुस्लिमों
को
अपना
गुलाम
समझ
लिया
है।
अब
समय
आ
गया
है
कि
देष
का
मुस्लिम
समाज
समय
के
साथ
आगे
बढें
तथा
अपनी
सोच
को
व्यापक
विस्तार
दें।
बिना
किसी
भय
व
फतवे
के
वोट
करें।
फिर
देखें
उनके
समाज
मेें
कितना
बड़ा
बदलाव
आयेगा।
मोदी
ने
मुसिलम
समाज
के
दिल
से
भय
को
दूर
करने
के
लिए
साहसिक
प्रयास
किये
हैं।
मोदी
के
प्रयासों
का
असर
अभी
भले
ही
न
पड़े
लेकिन
धर्मनिरपेक्ष
दलों
में
इसका
भय
जरूर
दिखलाई
पड़
रहा
है।
मोदी
का
मीडिया
के
समक्ष
आना
निष्चय
ही
एक
अत्यंत
ऐतिहासिक
प्रयास
है
जिसका
स्वागत
होना
चाहिये।
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