बांग्लादेश सरकार ने राष्ट्रहित में दो महत्वपूर्ण फैसले किये हैं। दोनों फैसले राष्ट्रीय सुरक्षा एवं समाजिक एकता के लिए कैबिनेट कमेटी ने लिये हैं। बांग्ला सरकार ने फैसला किया है कि देश में जुमे (शुक्रवार) को नमाज के बाद होने वाली तकरीर (धार्मिक भाषण) की निगरानी की जाएगी। सरकार अपने स्तर से भाषणों की निगरानी कराकर उनकी समीक्षा करेगी,कि उनमें धार्मिक उपदेश के अलावा किसी तरह की अलगाववादी, विध्वंसक या किसी दूसरे धर्म के खिलाफ उकसाने वाली बातें तो नहीं कही गई हैं। इस सम्बन्ध में वहां की सरकार ने देश के सभी इमामों से भी एक अपील जारी की है, कि वे इस्लाम की शिक्षा और मानवतावादी मूल्यों का ही जुमे की नमाज में प्रचार-प्रसार करें। बांग्लादेश की सरकार ने दूसरा फैसला भारतीय इस्लामी धर्म प्रचारक डा. जाकिर नाईक के ‘पीस टीवी’ पर प्रतिबंध का लिया है। सरकार ने नाईक के ‘पीस टीवी बांग्ला’ के देश में प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये दोनों फैसले बांग्लादेश की सरकार ने एक जुलाई की रात ढाका के अति सुरक्षित इलाके में स्थित एक रेस्तरां में हुए आतंकी हमले के बाद लिये हैं। इस हमले में बीस लोगों की जान चली गई थी। कट्टर इस्लामी आतंकवादियों ने धार्मिक पहचान के आधार पर लोगों की गला रेतकर हत्या कर दी थी। हमले के बाद आतंकवादियों की पहचान होने पर यह बात स्पष्ट हुई कि आतंकी जेहादी मानसिकता के प्रचार से प्रभावित थे। इनमें से दो आतंकी भारतीय मुस्लिम धर्म प्रचारक डा. जाकिर नाईक के विचारों से प्रेरणा लेते थे। इस सूचना के बाद सरकार ने नाईक के बांग्लादेश में न केवल धार्मिक उपदेशों पर रोक लगा दी है, बल्कि उसके द्वारा संचालित धार्मिक टीवी चैनल ‘पीस टीवी’ को भी प्रतिबंधित कर दिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बांग्लादेश सरकार द्वारा उठाये गए कदम सराहनीय हैं। यूं तो जाकिर नाईक के उत्तेजक और अलगाववादी भाषणों से कोई अनभिज्ञ नहीं था। भारत में वह खुलेआम जेहादी विचारों का प्रचार-प्रसार कर रहा था। लेकिन, देश में ‘सेकुरवाद’ के नाम पर चलने वाली सरकारों ने हमेशा आंखें मूंदे रखीं। अब बांग्लादेश की घटना के बाद सच सामने आ रहा है। इसके बाद देश में उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग उठ रही है। उसके टीवी को प्रतिबंधित करने की मांग की गई है। नाईक ने दुनिया भर में जेहादी भाषण देकर अपने समर्थकों से अरबों रुपया इकट्ठा किया है। बांग्लादेश सरकार ने आधिकारिक रूप से भारत सरकार से अनुरोध किया है कि जाकिर नाईक के भाषणों और उसके टीवी पर भारत में भी प्रतिबंध लगाया जाए। इसके बाद देश में उसके खिलाफ विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों ने जांच पड़ताल शुरु की है। उसके टीवी शो का प्रसारण रोकने के लिए केबिल आपरेटरों को भी निर्देश दिये गए हैं। लेकिन, चिंता का विषय यह है कि जहां तमाम लोग जाकिर नाईक पर कार्रवाई चाहते हैं, उसकी गतिविधियों को रोकना चाहते हैं। वहीं, दूसरी ओर कुछ लोग खुलेआम नाईक की तरफदारी कर रहे हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के देबवंद में स्थित इस्लामी धार्मिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम भी शामिल है। इस संस्थान ने नाईक के भाषणों का समर्थन किया है। ऐसी स्थिति में भारत सरकार को चाहिए कि कड़ाई से राष्ट्रहित में फैसला ले और डा. जाकिर नाईक की अराष्ट्रीय गतिविधियों पर रोक लगाए।
Sarvesh Kumar Singh
Freelance Journalist
News source: U.P.Samachar Sewa
News & Article: Comments on this upsamacharsewa@gmail.com