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प्रदेश
में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है
पार्टियाँ नये नये हथकण्डे अपना रही हैं।
माहौल को अपने पक्ष में करने की नयी नयी
तरकीबें सोची जा रही हैं। कभी कभी इस
प्रयास में देश, समाज और मानवीय मूल्यों
की भी उपेक्षा हो जाती है। एक भाजपा नेता
की जुबान क्या फिसली कि बसपा में भूचाल आ
गया। प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष (अब
निष्कासित) दयाशंकर सिंह ने बसपा अध्यक्ष
मायावती पर कोई नया आरोप तो नहीं लगाया
था। चुनाव में प्रत्याशी बनाने के लिये
टिकट बेचने का आरोप उनके निकटस्थ लोगों ने
भी लगाये थे - बाबूसिंह कुशवाहा, स्वामी
प्रसाद मौर्या, आर. के. चौधरी, जुगल किशोर
- सभी ने लगाये थे। दयाशंकर सिंह ने इतना
और जोड़ा कि अगर किसी ने रकम बढ़ाकर दे
दिया तो घोषित टिकट भी बदल दिये जाते हैं।
अब यह तो बहुजन समाज पार्टी का एक ‘ओपेन
सीक्रेट’ है, यानी सबको पता है कि बहनजी
पूरी निष्ठा के साथ यह काम करती हैं। दबे
कुचले गरीब असहाय निर्बल लोगों का वोट
बेचने का यह व्यवसाय पिछले दशक से खूब फल
फूल रहा है। इसी व्यवसाय के बल पर अपने को
दलित परिवार का घोषित करने वाली यह महिला
आज दौलत की सबसे बड़ी महारानी बन गई है।
खैर आरोप लगाते लगाते भाजपा नेता दयाशंकर
सिंह थोड़ा बहक गये। उन्होंने जो कुछ कहा
वह निन्दनीय था। यह भाषा समाज में
स्वीकार्य नहीं है। चारों ओर इसकी निन्दा
हुई। सभी ने एक स्वर से कहा कि दयाशंकर
सिंह ने गलत तुलना की। स्थिति यहाँ तक
पहुँची कि दयाशंकर सिंह ने तत्काल माफी
माँगी।
इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें
न केवल उपाध्यक्ष पद से हटाया बल्कि पार्टी
से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। उनके
खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कर ली गई। मायावती
ने राज्यसभा में उन्हें भरपूर गाली भी दी,
और किसी ने विरोध नहीं किया। यहाँ तक तो
सभी के मन में मायावती के प्रति सहानुभूति
और दयाशंकर सिंह के प्रति गुस्सा था,
लेकिन अगले ही दिन पाँसा पलट गया। मायावती
के निर्देश पर उनके सिपहसालार नसीमुद्दीन
ने बसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को लेकर
लखनऊ के मुख्य हजरतगंज चौराहे पर संविधान
निर्माता बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और
राष्ट्रनिर्माता महात्मा गाँधी की
विशालकाय प्रतिमाओं के बीच जो नंगा नाच
किया उससे इन दोनों महापुरूषों की आत्मा
कराह उठी, और वही कराह और पीड़ा आम भारतीय
जनमानस में व्यक्त हुई। किसी ने सिर कलम
करने की बात कही तो किसी ने जुबान काटकर
लाने की बात कही। जिस मायावती के प्रति आम
लोग सहानुभूति जता रहे थे वही गाली देते
दिखे। नसीमुद्दीन और उनके सिपहसालारों ने
खुले आम पुलिस प्रशासन और मीडिया के कैमरों
के सामने दयाशंकर सिंह का पुतला फूँका,
उनको भरपूर गालियाँ दीं। इतना ही नहीं,
उनके परिवार की महिलाओं तथा नाबालिक 12
वर्षीय बेटी को भी नहीं बख्शा। खुले आम
नारे लगे, ”दयाशंकर अपनी बेटी को - पेश करो
! पेश करो !” बसपा ने 25 जुलाई को दोबारा
प्रदर्शन की योजना बनाई।
उधर प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से ही
दयाशंकर सिंह को पुलिस खोज रही थी, और वे
भूमिगत हो गये थे। उन्होंने भूमिगत रहते
में ही टाइम्स आफ इण्डिया से बात करके गलत
तुलना करने के लिये एक बार फिर से माफी
माँगी। लेकिन, अपना आरोप दोहराया कि
मायावती जी टिकट के लिये प्रत्याशियों में
बोली लगवाती हैं। उन्होंने कहा कि मायावती
और उनके सिपहसालारों से उनकी जान को खतरा
है इसलिये वे तब तक सामने नहीं आ सकते जब
तक कि प्रदेश सरकार सुरक्षा का पर्याप्त
प्रबन्ध नहीं कर देती। उन्होंने यह भी कहा
कि उनके परिवार की महिलाओं और बेटी के बारे
में जिस प्रकार से हजरतगंज चौराहे पर
अपषब्दों और गाली का प्रयोग किया गया है
वह किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जा
सकता। फिलहाल वे स्वयं तो बाहर नहीं आ सके
लेकिन उनकी धर्मपत्नी स्वाती सिंह ने
मायावती के खिलाफ खुलकर मोर्चा सम्भाल लिया।
उन्होंने मीडिया के सामने आकर मायावती को
ललकारा कि अगर महिला सम्मान की रंचमात्र
भी परवाह है तो हजरतगंज चौराहे पर जो कुछ
हुआ और राज्यसभा में उनके द्वारा जो कुछ
भी बोला गया उसके लिये वे माफी माँगें और
नसीमुद्दीन तथा अन्य नेताओं के खिलाफ
कार्रवाई करके दिखायें। उनका कहना था कि
जब भाजपा ने उनके पति के खिलाफ कड़ी
कार्रवाई की है तो बसपा अपने नेताओं के
खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। इसी
क्रम में उन्होंने दयाशंकर सिंह की माताजी
के साथ जाकर हजरतगंज कोतवाली में मायावती,
नसीमुद्दीन और अन्य नेताओं के खिलाफ
प्राथमिकी दर्ज करा दी।
इसी के साथ जन समुदाय और पार्टी
कार्यकर्ताओं के भारी दबाव को देखते हुये
भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई ने भी
निर्णय किया कि पूरे प्रदेश के सभी जनपद
मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे। नारा दिया
गया, ‘बेटी के सम्मान में - बी. जे. पी.
मैदान में‘। इस प्रतिक्रिया के बाद बहुजन
समाज पार्टी और उसकी नेता सकते में आ गई।
25 जुलाई का प्रदर्शन निरस्त करना पड़ा।
मायावती दिल्ली से भागकर लखनऊ पहुँची।
मीडिया से रूबरू होकर सफाई पेश की कि उनकी
पार्टी के नेताओं ने दयाशंकर के परिवार की
महिलाओं और बेटी को पेश करने की बात किसी
गलत अर्थ में नहीं की। वे लोग केवल यह
जानना चाहते थे कि दयाशंकर ने मायावती के
बारे में जो टिप्पणी की, उसके बारे में
उनके परिवार की महिलाओं के मन में क्या
प्रतिक्रिया है। लेकिन मायावती का यह जवाब
किसी के गले नहीं उतरा। स्वाती सिंह ने
मीडिया के माध्यम से मायावती से जानना चाहा
कि उन्हें केवल अपने सम्मान की चिन्ता है
या अन्य महिलाओं के भी सम्मान की चिन्ता
है। स्वाती सिंह लगातार आक्रामक तेवर
अपनाती गईं। उन्होंने प्रदेश के राज्यपाल
से मिलकर शिकायत की कि उनकी प्राथमिकी में
पाक्सो की धारायें नहीं लगाई गईं जबकि
नसीमुद्दीन और उनके साथियों ने नाबालिक
बेटी के बारे में अभद्र, अमर्यादित और
अश्लील टिप्पणी की है। उन्होंने अपनी और
अपने परिवार को सुरक्षा प्रदान की भी माँग
की। राज्य सरकार ने उन्हें सुरक्षा के लिए
गनर प्रदान किया। राज्यपाल ने पाक्सो की
धाराओं के सम्बन्ध में राज्य सरकार को कोई
निर्देश जारी करने के पहले पुलिस
महानिदेशक से हजरतगंज काण्ड की वीडियो
रिकार्डिंग मँगाई। उधर राज्य सरकार की ओर
से भी बसपाइयों के खिलाफ एक प्राथमिकी
दर्ज कराई गई जिसमें आरोप था कि बीच चौराहे
पर बिना अनुमति के रैली का आयोजन हुआ,
सार्वजनिक स्थल पर अश्लीलता और अशान्ति
फैलाई गई तथा यातायात बाधित किया गया।
इस मामले में कुल मिलाकर बसपा की इतना
छीछालेदर हो गई कि मायावती चुनाव के पहले
सवर्ण समाज को मिलाने का जो अभियान चला रही
थीं उसे धक्का लगा। दूसरी तरफ भाजपा ने
दयाशंकर के विरूद्ध कार्रवाई करके लोगों
को विश्वास में लिया। लेकिन स्वाती सिंह
नाम की एक सामान्य सी दिखने वाली गृहणी,
जो कभी सार्वजनिक जीवन में न रही हो, ने
जिस प्रकार एक वीरांगना की तरह सामने आकर
अपने और अपनी पुत्री के सम्मान के लिये
मोर्चा खोला और बसपा नेत्री को बैकफुट पर
ला दिया उसके लिये स्वाती सिंह की
चतुर्दिक प्रशंसा हो रही है, और वह एक
प्रकार से अपने पति के प्रति लोगों के मन
में व्याप्त आक्रोष को भी काफी हद तक ठण्डा
करने में कामयाब रही।
Dr
Shakti Kumar Pandeya
Journalist
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