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मुजफ्ऱनगर में रज्जू भैया की उपस्थिति में आया मुक्ति का औपचारिक प्रस्ताव
श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर का निर्माण आरम्भ होने की शुभ घड़ी निकट आ गई है। पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मन्दिर की आधारशिला रखेंगे तथा भूमि पूजन करेंगे। यह देश के करोड़ों हिन्दुओं के लिए गौरव और स्वाभिमान की बात है। यह दिन देखने के लिए देश के हिन्दुओं ने लंबा संघर्ष किया। यूं
तो लगभग 70 से अधिक संघर्ष मन्दिर के लिए हुए, किन्तु जो आन्दोलन सफलता की परिणति तक पहुंचा उसकी शुरुआत तत्कालीन कुमांऊं मण्डल के नैनीताल जनपद अन्तर्गत काशीपुर नगर से हुई थी।
कांग्रेसी दाऊदयाल खन्ना ने रखा धर्मस्थलों की मुक्ति का प्रस्ताव
श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन का जो इतिहास इस समय उपलब्ध है, उसमें इस तथ्य का उल्लेख कम ही हो रहा है। लेकिन, सत्यता यही है कि श्रीरामजन्मभूमि से दास्ता के चिन्ह हटें तथा वहां भव्य-दिव्य मन्दिर बने इस इच्छा और आकांक्षा का बीजारोपण काशीपुर के हिन्दू सम्मेलन में हुआ था। यह विराट हिन्दू सम्मेलन था तथा 22 नवम्बर 1982 को काशीपुर में आयोजित
हुआ था। इसका आयोजन हिन्दू जागरण मंच ने किया था, जिसके संयोजक मुरादाबाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक रह चुके दिनेश चन्द्र त्यागी थे। श्री त्यागी को विभाग प्रचारक के दायित्व से मुक्त करके हिन्दू जागरण मंच पश्चिम उत्तर प्रदेश का संयोजक बनाया गया था। श्री त्यागी के संयोजकत्व में ही यह सम्मेलन आयोजित हुआ। उस समय संघ
की रचना में नैनीताल जनपद पश्चिम उत्तर प्रदेश के अन्तर्गत ही था।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक सहयोगी संगठन के रूप में कार्य करने वाले हिन्दू जागरण मंच को विश्व हिन्दू परिषद् से इतर कार्य सौंपे गए थे। इनमें समाज से अस्पृश्यता निवारण, हिन्दू स्थलों पर हुए अतिक्रमण को समाप्त करना तथा इसे रोकना आदि, आदि। हिन्दू समाज के जागरण के लिए आयोजित विराट हिन्दू
सम्मेलनों की श्रंखला में यह पहला सम्मेलन था। इसी दौर में मुरादाबाद के प्रख्यात कांग्रेसी नेता, पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पांच बार विधायक तथा दो बार प्रदेश के मंत्री रह चुके दाऊदयाल खन्ना ने हिन्दू हितों के लिए बात उठानी शुरु कर दी थी। श्री खन्ना ने इन विषयों पर मंच के संयोजक दिनेश चन्द्र त्यागी से जब चर्चा की तो श्री
त्यागी ने उनका उत्साह बढ़ाया तथा कहा कि इन विषयों को आगे बढ़ाया जाए। इसके साथ ही श्री खन्ना को काशीपुर में प्रस्तावित हिन्दू सम्मेलन के लिए आमंत्रित कर लिया।
सम्मेलन में भारी संख्या में हिन्दू समाज एकत्रित हुआ। यहां जनसमुदाय के सामने दाऊदयाल खन्ना का ओजस्वी भाषण हुआ। इस भाषण में उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा तथा काशी विश्वनाथ मन्दिर के धर्मस्थल पूर्णतः हिन्दू समाज को सौंपने की बात की। इसका उपस्थित हिन्दू समाज ने स्वागत किया तथा भारी उत्साह दिखाया। इस तरह
पहली बार श्रीराम जन्मभूमि समेत तीनों धर्मस्थलों का मुद्दा किसी मंच से सार्वजनिक रूप से उठा। इस सम्मेलन के बाद कई अन्य विराट हिन्दू सम्मेलन आयोजित किये गए। इनमें भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठता रहा। एक तरह से कह सकते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन का बीजारोपण काशीपुर के हिन्दू सम्मेलन में ही हुआ।
मुजफ्फरनगर के हिन्दू सम्मेलन में पारित हुआ प्रस्ताव
अधिकृत रूप से तीनों धर्मस्थलों को हिन्दू समाज को सौंपने के लिए औपचारिक प्रस्ताव मुजफ्फरनगर में 6 मार्च 1983 को आयोजित विराट हिन्दू सम्मेलन में पारित हुआ। यह सम्मेलन भी हिन्दू जागरण मंच ने ही आयोजित किया था। इसमें जो धर्मस्थलों की मुक्ति का प्रस्ताव पारित हुआ, उसे भी मुरादाबाद के
दाऊदयाल खन्ना ने ही प्रस्तुत किया था। यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ। एक तरह से आन्दोलन की शुरुआत हो चुकी थी। इस सम्मेलन की विशेष बात यह थी कि इसकी अध्यक्षता पूर्व प्रधानमंत्री (कार्यवाहक) गुलजारी लाल नन्दा ने की थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरकार्यवाह (महासचिव) प्रो.राजेन्द्र सिंह ( रज्जू भैया ) भी मंच पर
उपस्थित थे।
मुजफ्ऱनगर के हिन्दू सम्मेलन के बाद समूचे पश्चिम उत्तर प्रदेश में हिन्दुत्व की भावना प्रबल होने लगी थी, समाज धर्मस्थलों से विदेशी दासता के चिन्हों को हटाने के लिए तैयार होकर खड़ा हो गया था। इसके बाद आन्दोलन ने गति पकड़ ली थी और कालांतर में बनी “श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति” और इसके उपरान्त “श्रीराम जन्मभूमि न्यास” के
नेतृत्व में आन्दोलन आगे बढ़ा। यही आन्दोलन 38 वर्ष की अनवरत यात्रा के बाद सफलता अर्जित कर सका। फलस्वरूप पांच अगस्त 2020 की शुभ घड़ी आ गई। इस दिन श्रीराम जन्मभूमि के मन्दिर की आधारशिला रख दी जाएगी।
लेखक परिचयः स्वतंत्र पत्रकार
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