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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ: ध्येय साधना का अनुगामी
सर्वेश कुमार सिंह-Sarvesh Kumar Singh-
Publised on : 17.02.2017     Time 12:04            

tags: Rashtriya Swamsevak Sangh RSS

भारत भूमि का यह पुण्य प्रताप ही है कि 91 साल पहले इसने अपने गर्भ से साक्षात देवतुल्य संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जन्म दिया। अंग्रेजी दासता और पराभव मानसिकता से ग्रस्त देश के आदि हिन्दू समाज में नवशक्ति संचार और ऊर्जा का प्रवाह करने के लिए वर्ष 1925 में विजयदशमीं के दिन रा.स्व.सं की स्थापना हुई। नागपुर में प्रख्यात कांतिक्रारी और स्वतंत्रता संग्राम के सहभागी पेशे से चिकित्सक डा. केशव बलिराम हेडगेवार ने मात्र पांच किशोर बालकों को लेकर इस चम्तकारिक संगठन की स्थापना की। यह ऐसा कालखण्ड था जब स्वतंत्रता संग्राम लड़ा जा रहा था। किन्तु इस देश का हिन्दू समाज अपनी अजेय आन्तरिक शक्ति को विस्मृत किये हुए था। विभिन्न मत-सम्प्रदायों में बंटा हिन्दू समाज ज्ञान, संस्कृति, आध्यात्म और सामाजिक परंपराओं से तो ओतप्रोत था लेकिन विभक्त था। इसे सशक्त संगठन की आवश्यकता थी। इस संगठन शक्ति के अभाव में ही देश को एक हजार साल से दासता का दंश सहना पड़ रहा था। डा. हेडगेवार ने इस दासता और विधर्मियों के शासन तंत्र को तोड़ने के लिए चिंतन-मनन किया। उनका विचार था कि देश को स्वतंत्रता प्रदान कराने और उसके बाद राष्ट्रभाव से ओतप्रोत संगठित समाज निर्माण के लिए हिन्दुओं को संगठित करना अनिवार्य है। इसके लिए डा. हेडगेवार ने किसी धार्मिक अनुष्ठान, कर्म-काण्ड को आधार नहीं बनाया। उन्होंने एक अद्भुत शाखा पद्यति विकसित की। इस पद्यति ने कुछ ही वर्षों में हिन्दुत्व से प्रेरित और राष्ट्रीयता के अभाव संचारित लाखों स्वयंसेवकों का निर्माण कर दिया। डा. हेडगेवार की शाखा पद्यति से निकले इन स्वयंसेवकों की राष्ट्र के लिए समर्पण की चुम्बकीय शक्ति ने स्वयंसेवकों की संख्या को करोड़ों में पहुंचा दिया है। डा. हेडगेवार के बाद सरसंघचालक श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर (गुरु जी), श्री मधुकर दत्तात्रेय देवरस (बालासाहब देवरस), प्रो.राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया), श्री कुप.सी.सुदर्शन ने संघ को कुशल नेतृत्व प्रदान किया है। वर्तमान सरसंघचालक डा.मोहनराव भागवत संघ को संघ के लक्ष्य की ओर ले जा रहे हैं। नौ दशक से अधिक के कालकण्ड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने न केवल भारत अपितु सम्पूर्ण विश्व में अपने कार्य को विस्तार दिया है। संसार के जिन जिन स्थानों पर हिन्दू समाज बसता है वहां सभी स्थानों पर संघ के स्वयंसेवक पहुंचे हैं। इसके साथ ही समाजजीवन के प्रत्येक क्षेत्र में संघ के स्वयंसेवक प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। समाज जागरण, ग्राम विकास, महिला उत्थान, वनवासी, शिक्षा, धर्मजागरण, किसान, श्रमिक और राजनीति सभी क्षेत्रों में संघ के स्वयंसेवकों ने सशक्त संगठन खड़े किये हैं। ये इन क्षेत्रों के प्रतिनिधि संगठन बन राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे हैं। वर्ष 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना को 100 वर्ष पूर्ण होंगे। किसी संगठन के लिए उत्तरोत्तर वृद्धि और सफलता के साथ यह अवधि प्राप्त करना ईश्वरीय अनुकम्पा के बगैर संभव नहीं है। इसीलिए संघ कार्य को ईश्वरीय कार्य मानकर ध्येय पथ पर हम बढ़ते जाते हैं।
 

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