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साक्षात्कार / धर्मपाल सिंह क्षेत्रीय संगठन मंत्री (उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड)

‘शिक्षा की उपेक्षा से स्थिति विस्फोटक होने की आशंका’

Publised on : 25 November 2016 Time: 22:17  Tags: Interview Dharampal Singh ABVP leader

Dharampal Singh ABVPअखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) के क्षेत्रीय संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह गत 26 वर्ष से संगठन के पूर्णकालिक प्रचारक के रुप में छात्रों और युवाओं को संगठित कर रहे हैं। वे ‘छात्र शक्ति’ को ‘राष्ट्र शक्ति’ के रूप में सशक्त करके समाज और राष्ट्र सेवा में जुटे हैं। मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में नगीना के समीप स्थित पुरैनी गांव के निवासी धर्मपाल सिंह ने प्राथमिक शिक्षा गांव में और उसके बाद की कालेज शिक्षा नजीबाबद में ग्रहण की। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बिजनौर से डिप्लोमा किया। तत्पश्चात् विद्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक प्रचारक होकर देहरादून गए। वहां 1990 से 2000 तक आपने विभिन्न दायित्यों का निर्वहन किया। इसके बाद मेरठ और आगरा में प्रदेश स्तरीय जिम्मेदारी का वहन किया। वर्ष 2011 से आप क्षेत्रीय संगठन मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हंै। इसके पूर्व आप राष्ट्रीय मंत्री के पद पर भी रहे। विद्यार्थियों के बीच में कार्य करते हुए छात्रों और युवाओ के ज्वलंत मुद्दों और समस्याओं पर आपको गहन जानकारी है तथा उनके समाधान के लिए तत्पर हैं। राजधानी में 23 नवम्बर 2016 (बुधवार) को हुई विशाल ‘छात्र हुंकार रैली’ के अवसर पर सर्वेश कुमार सिंह ने धर्मपाल सिंह से शिक्षा की वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियों पर विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं वार्ता के प्रमुख अंश:
प्रश्न: छात्र हुंकार रैली आयोजित करने की आवश्यकता क्यों हुई?
उत्तर: उत्तर प्रदेश में शिक्षा की स्थिति बदहाल है। छात्र बेवस और परेशान हैं। छात्राएं स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। सभी प्रकार की शिक्षा का स्तर निरंतर गिरता चला जा रहा है। शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। परीक्षा और परिणाम दोनों अव्यवस्थित हैं। प्रदेश में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र अन्य प्रांतों के छात्रों के सम्मुख स्वयं को हीनभावना से ग्रसित अनुभव करते हैं। इस कारण उत्तर प्रदेश से छात्रों का पलायन हो रहा है। कालेजों में शिक्षा का स्तर और शिक्षकों की कमी की वजह से छात्र कालेजों में जाते ही नहीं, निजी कोचिंग संस्थानों का रुख कर रहे हैं। इस स्थिति को समाप्त किया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था ठीक होनी चाहिए। इस मांग को लेकर छात्र हुंकार रैली का आयोजन किया गया।
प्रश्न: रैली से पहले आन्दोलन की क्या रूप रेखा बनी?
उत्तर: इन मुद्दों पर एक बैठक आयोजित करके आन्दोलन चलाने का फैसला लिया गया। गत दो वर्ष से आन्दोलन चलाया जा रहा है। शिक्षा की स्थिति पर विचार के लिए छह स्थानों पर ‘छात्र संवाद’ के नाम से कार्यक्रम आयोजित किये गए। इनमें 22 सौ कालेजों के छात्र सम्मिलित हुए। छात्र संवाद में आये विषयों और मुद्दों पर मांग पत्र तैयार किया गया। यह मांग पत्र मुख्यमंत्री को सौंपने के लिए दो बार समय मांगा गया किन्तु उनसे समय नहीं मिला तो राज्यपाल से भेंट करके उन्हें ज्ञापन सौंपा गया। जिलाधिकारियों के माध्यम से भी मांग पत्र शासन तक पहुंचाया गया। इसी क्रम में फरवरी 2016 में प्रदेश के छह सौ स्थानों पर एक साथ धरना दिया गया। दो बार विधान सभा का घेराव किया गया। एक बार 2013 में एवं दूसरी बार वर्ष 2016 में घेराव किया। गत सितम्बर माह में केवल छात्राओं ने राजधानी में प्रदर्शन किया। विधान सभा तक छात्राओं ने मार्च किया। लेकिन सरकार छात्र-छात्राओं की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है। इसके बाद ही छात्र हुंकार रैली करने का फैसला हुआ। यह छात्रों के आन्दोलन का समापन नहीं, शुरुआत है।
प्रश्न: ऐसी कौन सी मांगें हैं जो सरकार तत्काल पूरी कर सकती है?
उत्तर: सरकार छात्र संघ चुनाव तत्काल घोषित कर सकती है। शिक्षकों की नियुक्तियां सरकार तत्काल कर सकती है और शैक्षिक सत्र को नियमित किया जा सकता है।
प्रश्न: विद्यार्थी परिषद् शिक्षा में कैसा बदलाव चाहती है?
उत्तर: शिक्षा सरल, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण हो। शिक्षा का व्यापारीकरण रुकना चाहिए। छात्राओं को निशुल्क शिक्षा मिलनी चाहिए। सेल्फ फाइनेंस कोर्स में शुल्क के मानक निर्धारित हों और उसी के अनुसार शुल्क लिया जाए। हम शिक्षा क्षेत्र में निजी कालेजों के विरोधी नहीं हैं किन्तु उनमें शुल्क का निर्धारण सरकार करे। शिक्षा पर व्यय बढाया जाना चाहिए। शिक्षा पर सुरक्षा के समान ही व्यय होना चाहिए। अभी की स्थिति यह है कि मात्र ढाई प्रतिशत खर्च शिक्षा पर होता है। सरकारें लगातार शिक्षा की उपेक्षा कर रही हैं। यह उपेक्षा खतरनाक हो सकती है, इससे स्थिति विस्फोटक होने की आशंका है। इसके साथ ही हमारी केन्द्र सरकार से मांग है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ायी जाए। केन्द्र सरकार से यह भी मांग है कि पुस्तकालयों को आनलाइन किया जाए। केम्पस प्लेसमेंट को बढ़ावा मिले। इसके साथ ही हम केन्द्र सरकार से मांग करते हैं कि खेल और कृषि विवि खोले जाएं।
प्रश्न: आज के युवा के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
उत्तर: बेरोजगारी युवा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा राष्ट्रीयता की भावना को बनाये रखना भी अहम है। गत दिनों देश के कई विश्वविद्यालयों में घटित हुई घटनाएं चिंता पैदा करती हैं। वहां एण्टी सोशल और एण्टी नेशनल तत्वों की सक्रियता सामने आयी। इस स्थिति को समाप्त करना भी एक चुनौती है। इसके लिए छात्रों और युवाओं में राष्ट्रीयता की प्रबल भावना को बनाये रखना जरूरी है।
प्रश्न: उत्तर प्रदेश में शीघ्र विधान सभा चुनाव प्रस्तावित हैं क्या किसी दल विशेष को समर्थन किया जाएगा?
उत्तर: किसी भी दल को समर्थन देने का प्रश्न ही नहीं उठता। जो दल शिक्षा, समाज और राष्ट्र हित में कार्य करने की घोषणा करेगा उसके प्रत्याशियों को समर्थन दिया जा सकता है। गत लोकसभा चुनाव में हमने यह घोषणा की थी कि जो दल भ्रष्टाचार को समाप्त करने का नारा देगा उसे समर्थन दिया जाएगा। इसके लिए परिषद् ने ‘यूथ अगेन्स्ट करप्शन’ अभियान चलाया था।


सर्वेश कुमार सिंह
स्वतंत्र पत्रकार
मोबाइल: 9453272129 , व्हॉट्सएप: 9455018400 ,

 

Sarvesh Kumar Singh

Sarvesh Kumar Singh

Freelance Journalist

News source: U.P.Samachar Sewa

News & Article:  Comments on this upsamacharsewa@gmail.com  

 
 
 
                               
 
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