बृजनन्दन
यादव
लखनऊ
31
मार्च
।
पूर्वांचल
में
नरेंद्र
मोदी
की
लहर
को
थामने
के
लिए
सपा
मुखिया
मुलायम
सिंह
यादव
ने
आजमगढ़
सीट
से
चुनाव
मैदान
में
उतरने
की
घोषणा
तो
कर
दी
है,
लेकिन
उलेमा
कौंसिल
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
मौलाना
आमिर
रशादी
मदनी
ने
भी
आजमगढ़
से
मुलायम
के
खिलाफ
ताल
ठोंककर
उनके
दावों
पर
पानी
फेर
दिया
है।
ऐसे
में
यहां
मुलायम
की
प्रतिष्ठा
जहां
दांव
पर
लग
गई
है
वहीं
भाजपा
के
रमाकान्त
यादव
अपनी
हैक्ट्रिक
लगाने
की
तैयारी
में
हैं।
उलेमा
कौंसिल
के
मौलाना
आमिर
ने
सपा
पर
आरोप
लगाया
है
कि
मुलायम
सिंह
यादव
ने
हमेशा
मुसलमानों
के
साथ
छल
किया
है।
उन्होंने
कहा
है
कि
सपा
ने
मुस्लिमों
का
वोट
तो
लिया
है
लेकिन
उनके
हित
में
कोई
काम
नहीं
किया
हैं।
उलेमा
कौंसिल
के
इस
पैंतरेबाजी
ने
आजमगढ़
में
सपा
की
मुश्किलें
बढ़ा
दी
हैं।
उलेमा
कौंसिल
का
कहना
है
कि
अगर
मुलायम
सिंह
नरेन्द्र
मोदी
के
खिलाफ
वाराणसी
से
चुनाव
लडे़
तो
हम
उनका
समर्थन
करेंगे। आजमगढ़
लोकसभा
क्षेत्र
से
भाजपा
के
टिकट
पर
रमाकांत
यादव
सांसद
हैं
और
प्रत्याशी
भी
हैं।
वैसे
भी
आजमगढ़
में
रमाकांत
को
हराना
आसान
नहीं
है
ऐसे
में
जब
मौलाना
आमिर
रशादी
खुद
चुनाव
लडें़गे
तो
सपा
मुखिया
मुलायम
सिंह
यादव
के
किये
कराये
पर
पानी
फिर
सकता
है
और
उनकी
आजमगढ़
सीट
फंस
सकती
है।
रमाकांत
यादव
सपा
वाया
बसपा
होकर
भाजपा
में
आये
हैं।
उनकी
छवि
क्षेत्र
में
दबंग
नेता
की
है
और
नीचे
तक
पहुँच
भी
है।
यादवों
में
सर्वमान्य
नेता
भी
वह
हैं
यही
कारण
है
कि
उनके
खिलाफ
मुलायम
के
सिवा
किसी
अन्य
ने
लड़ने
की
जहमत
नहीं
उठायी।
मुलायम
सिंह
ने
इस
सीट
के
लिए
वरिष्ठ
सपा
नेता
व
कैबिनेट
मंत्री
बलराम
यादव
और
दुर्गा
प्रसाद
यादव
से
लड़ने
के
लिए
कहा
था
लेकिन
दोनों
नेताओं
ने
रमाकांत
यादव
के
खिलाफ
लड़ने
की
हिम्मत
नहीं
दिखाई।
सो
मुलायम
सिंह
यादव
ने
मोदी
लहर
को
रोकने
और
अपने
छोटे
बेटे
प्रतीक
यादव
के
लिए
सियासी
जमीन
बनाने
के
लिए
खुद
आजमगढ़
से
चुनाव
लड़ने
की
तैयारी
कर
रहे
हैं।
सपा
इस
सीट
से
अपने
नेता
को
लड़ाकर
एक
साथ
दो
निशाना
लगाना
चाहती
है।
पहला
पूर्वांचल
में
मोदी
का
असर
कम
होगा
और
दूसरे
एक
प्रतीक
के
लिए
मैदान
में
तैयार
हो
जायेगा।
आजमगढ़
से
मुलायम
के
ताल
ठोंकने
पर
यादव
मतदाता
असमंजस
में
पड़
गये
हैं।
उनके
मन
में
दोनों
के
प्रति
सम्मान
है।
माना
जाता
है
कि
इस
क्षेत्र
में
रमाकांत
को
पिछड़ों
औैर
दलितों
का
वोट
भी
मिलता
है।
इसलिए
उनको
हराना
आसान
नहीं
होता
है।
वह
चाहे
जिस
दल
से
लड़ें
संसद
भवन
पहुँचने
में
सफल
हो
जाते
हैं।
इस
बार
मुलायम
सिंह
के
लड़ने
से
उनकी
सीट
फंसती
नजर
आ
रही
है।
भाजपा
प्रत्याशी
से
ज्यादा
खतरा
उन्हें
बसपा
और
उलेमा
कौंसिल
से
है।रमाकांत
यादव
1996
और
1999
में
सपा,2004
में
बसपा
और
2009
में
भाजपा
के
टिकट
पर
संसद
भवन
पहुँच
चुके
हैं।
रमाकांत
यादव
को
तगड़ी
चुनौती
देने
के
लिए
इस
बार
बसपा
ने
नई
पारी
खेलते
हुए
स्थानीय
विधायक
गुड्डू
जमाली
को
पार्टी
का
टिकट
थमाया
है।
अभी
तक
इस
सीट
पर
भाजपा
और
बसपा
में
ही
मुकाबला
माना
जाता
था
लेकिन
हाल
के
बदले
राजनीतिक
घटनाक्रम
ने
सियासी
समीकरण
बिगाड़
दिया
है।
ऐसे
में
उलेमा
कौंसिल
या
बसपा
की
ओर
मुस्लिमों
का
झुकाव
सपा
के
लिए
सिरदर्द
साबित
हो
सकता
है।
2012
के
विधानसभा
चुनावों
पर
अगर
नजर
डालें
तो
इस
लोकसभा
के
अन्तर्गत
आने
वाली
पाँच
विधानसभाओं
में
से
चार
पर
सपा
और
एक
मात्र
विधानसभा
मुबारकपुर
पर
बसपा
का
कब्जा
है।
जहां
से
गुड्डू
जमाली
बसपा
से
विधायक
हैं
और
लोकसभा
प्रत्याशी
भी
हैं।
जानकारों
के
अनुसार
गुड्डू
जमाली
की
विशेष
राजनैतिक
साख
नहीं
है
लेकिन
धनाड्य
व्यक्ति
हैं
और
धनबल
के
सहारे
ही
बसपा
के
टिकट
पर
2012
में
विधानसभा
चुनाव
जीतने
में
सफल
हुए
थे।
इस
बार
लोकसभा
चुनाव
में
भी
वह
धनबल
का
जलवा
दिखायेंगे।
मुताबिक
इस
बार
आजमगढ़
का
मुस्लिम
मतदाता
सपा,
बसपा
और
उलेमा
कौंसिल
तीनों
तरफ
जायेगा
लेकिन
अधिकांश
मुस्लिमों
का
झुकाव
बसपा
प्रत्याशी
गुड्डू
जमाली
की
तरफ
होगा।
सपा
जिले
के
अपने
चार
विधायकों
और
परिवहन
मंत्री
दुर्गा
प्रसाद
यादव
और
मुस्लिम
मतदाताओं
के
सहारे
मैदान
में
है
तो
बसपा
प्रत्याशी
भी
दलित
और
मुस्लिम
वोटबैंक
के
सहारे
मैदान
मारने
की
फिराक
में
है।
वहीं
उलेमा
कौंसिल
चुनाव
तो
नहीं
जीत
सकती
लेकिन
दूसरी
पार्टियों
का
गणित
बिगाड़
सकती
है।
इसके
अलावा
भाजपा
प्रत्याशी
और
मौजूदा
बाहुबली
सांसद
रमाकान्त
यादव
क्षेत्र
में
व्यक्तिगत
छवि,
सवर्ण
सपोर्ट
और
मोदी
लहर
के
सहारे
जीत
की
हैट्रिक
लगाना
चाहते
हैं।
विधानसभा
विधायक
नाम
पार्टी
सदर
दुर्गा
प्रसाद
यादव
सपा
मेेह
नगर बृजलाल
सोनकर
सपा
गोपालपुर वसीम
अहमद सपा
सगड़ी
अभय
नारायण
पटेल सपा
मुबारकपुर
गुड्डू
जमाली बसपा
जातिगत
समीकरण
अनुसूचित
जाति/जनजाति
23
प्रतिशत
अन्य
पिछड़ा
वर्ग
19
प्रतिशत
अल्पसंख्यक
16
प्रतिशत
सवर्ण
12
प्रतिशत
अन्य
30
प्रतिशत
कब
किसने
मारा
मैदान
2009
रमाकान्त
यादव
भाजपा
2008 अकबर
अहमद
डम्पी
बसपा
2004
रमाकान्त
यादव
बसपा
1999
रमाकान्त
यादव
सपा
1998
अकबर
अहमद
डम्पी
बसपा
1996
रमाकान्त
यादव
सपा
1991
चन्द्रजीत
जनता
दल
1989
राम
कृष्ण
यादव
बसपा
1984
संतोष
कुमार
सिंह
कांग्रेस
1980
चन्द्रजीत
जेएनपी
1978
मोहसिना
किदवई
कांग्रेस
1977
राम
नरेश
बीएलडी
1971
चन्द्रजीत
कांग्रेस
1967
चन्द्रजीत
कांग्रेस
1962
राम
हरख
कांग्रेस
1957
कालिका
कांग्रेस
1957
विश्वनाथ
प्रसाद
कांग्रेस
2009
लोकसभा
चुनाव
में
दलीय
स्थिति
पार्टी
प्रत्याषी
नाम
प्राप्त
मत
भाजपा
रमाकान्त
यादव
247648
विजयी
बसपा
अकबर
अहमद
डम्पी
198609
सपा
दुर्गा
प्रसाद
यादव
123844
आईएनडी
डा.
जावेद
अख्तर
59270
कांग्रेस
संतोष
कुमार
सिंह
31159
आईएनडी
दान
बहादुर
यादव
10536
सीपीएम
अरूण
कुमार
सिंह
7088
आईएनडी
राम
सिंह
5453
जनवादी
पार्टी
विनोद
4168
लोकप्रिय
समाज
पार्टी
जय
राम
प्रजापति 3825
निर्दल
केदार
नाथ
गिरि
2239
निर्दल
राम
उजागिर
1834
निर्दल
खैरूल
बसर
1544
निर्दल
उसमाना
फारूकी
1438
दुर्गा
प्रसाद
और
बलराम
यादव
की
निकल
चुकी
है
हवा
उत्तर
प्रदेश
सरकार
में
मौजूदा
कैबिनेट
मंत्री
दुर्गा
प्रसाद
यादव
और
बलराम
यादव
की
आजमगढ़
में
हवा
निकल
चुकी
है।
सपा
ने
दुर्गा
प्रसाद
यादव
और
बलराम
यादव
को
बारी-बारी
से
लोकसभा
चुनाव
लड़ाया
लेकिन
दोनों
नेता
हार
गये।
2007
में
हुए
उपचुनाव
में
तो
सपा
उम्मीदवार
बलराम
यादव
तीसरे
स्थान
पर
पहुँच
गये।
इस
बार
भी
सपा
मुखिया
मुलायम
सिंह
यादव
ने
दोनों
नेताओं
को
चुनाव
लड़ने
के
लिए
कहा
लेकिन
दोनों
नेता
ने
मना
कर
दिया।
लगातार
चार
बार
हार
चुकी
है
सपा
आजमगढ़
संसदीय
सीट
पर
समाजवादी
पार्टी
पिछले
चार
लोकसभा
चुनावों
से
लगातार
हार
रही
है।
इसीलिए
इस
बार
सपा
ने
आजमगढ़
सीट
को
अपनी
झोली
में
डालने
के
लिए
पहले
से
ही
सारे
कील
कांटे
दुरूस्त
किये
हैं।
यहाँ
से
बलराम
यादव
और
दुर्गा
प्रसाद
यादव
को
कैबिनेट
मंत्री,
वसीम
अहमद
को
राज्यमंत्री,
राम
दुलार
राजभर
को
अनुसूचित
जाति
वित्त
विकास
निगम
का
अध्यक्ष,
राम
आसरे
विश्वकर्मा
को
पिछडा
वर्ग
आयोग
का
अध्यक्ष
और
नफीस
अहमद
को
रेशम
विभाग
का
सलाहकार
बनाया
गया
है।
इसी
समीकरण
के
सहारे
सपा
यह
सीट
किसी
भी
कीमत
पर
जीतना
चाहती
है। |