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गेहूं क्रय केन्द्रों पर भुगतान के लिये शासनादेश जारी
राष्ट्रीयकृत बैंक
में सीनियर रीजनल एकाउण्टेंट खोलेंगे चालू खाता
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Source: U.P.Samachar Sewa,
www.upwebnews.com
Publised
on :
2011-04-20
Time 23:38 ,
Last updat on:
2011-04-20
Time 23:38
गेहूं खरीद विपणन अधिकारी को जमा करानी
होगी एक लाख की गारण्टी धनराशि
लखनऊ, 20 अप्रैल। (उप्रससे)। सरकार ने रबी
खाद्यान्नों की खरीददारी के लिए खोले गये
य केन्द्रों को किसी एक
शेडयूलराष्ट्रीयकृत बैंक से सम्बध्द करके
वरिष्ठक्षेत्रीय लेखाधिकारीसहायक
क्षेत्रीय लेखाधिकारी को उस बैंक में चालू
खाते खोलने के लिए अधिकृत किया है। कृषकों
को उनकी उपज के विय मूल्य का तुरन्त
भुगतान किये जाने हेतु केन्द्रों पर तैनात
विभागीय सक्षम कार्मिकों को प्राधिकृत किया
गया है।
यह जानकारी प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद
नेतराम ने प्रदेश के समस्त सम्भागीय खाद्य
नियंत्रकों को भेजे गये परिपत्र में दी
है। परिपत्र में कहा गया है कि रबी य योजना
वर्ष 2011-12 के अन्तर्गत गेहूं की खरीद
के उपरान्त गेहूं भारतीय खाद्य निगम को
सम्प्रदान किया जायेगा। खरीदे गये रबी
खाद्यान्नों के मूल्य का भुगतान सीधे कृषकों
को करने तथा अन्य वित्तीय प्रयिाओं का
समयबध्द रूप से संचालन सुनिश्चित करने के
लिये शासन द्वारा वरिष्ठ सम्भागीय
लेखाधिकारियोंसहायक सम्भागीय लेखाधिकारियों
को बैंकों में चालू खाते खोलने हेतु 7 दिनों
की खरीद के लिए आवश्यक धनराशि आहरित करने
के लिए अधिकृत किया गया है। ये अधिकारी
आहरित अग्रिम के साथ-साथ बैंकों में अवशेष
सम्पूर्ण धनराशि की खरीद योजना की समाप्ति
के तुरन्त बाद अग्रिम समायोजन कर लेंगे।
परिपत्र में स्पष्ट किया गया है यदि इस
चालू खाते में किसी समय अधिक धन की
आवश्यकता हो तो संबंधित अधिकारी, केन्द्र
प्रभारी एवं जिला खाद्य विपणन अधिकारी के
निवेदनऔचित्य को देखते हुए चालू खाते में
विगत 3 दिन के य के समतुल्य अतिरिक्त धन
की व्यवस्था करेंगे, लेकिन इसके लिए
केन्द्र प्रभारीजिला खाद्य विपणन अधिकारी
पिछली खरीददारी के सभी लेखा एवं पेड बाउचर
के साथ अतिरिक्त मांग का औचित्य भी
प्रस्तुत करेंगे।परिपत्र में कहा गया है
कि यदि संबंधित अधिकारी अपने क्षेत्र के
लिए आवंटित धनराशि को कम समझते हैं और
खाद्यान्न के य मूल्य के भुगतान की धनराशि
की प्रतिपूर्ति करने पर भी अतिरिक्त धन की
आवश्यकता अनुभव करते हैं तो ऐसी दशा में
वे टेलीफोनफैक्स के माध्यम से अतिरिक्त धन
की मांग वित्त नियंत्रक से करेंगे और
वित्त नियंत्रक द्वारा धन की तत्काल
व्यवस्था की जायेगी। खाते में रखे गये धन
के रख-रखाव का दायित्व संबंधित केन्द्र
प्रभारी तथा ज्येष्ठ लेखा लिपिक का होगा
किन्तु यदि किसी कारणवश ज्येष्ठ लेखा
लिपिक उपलब्ध न हो तो किसी अन्य समूह 'ग'
के कर्मचारी को अधिकृत किया जायेगा।
अपरिहार्य परिस्थितियों में ही केन्द्रों
पर एकल स्तर से चेक निर्गत करने की अनुमति
होगी। प्रत्येक खरीद में केन्द्र प्रभारी
द्वारा अपने अधिकार सीमा के अन्तर्गत इन
चालू खातों में रखे गये धन का उपयोग
निर्धारित समर्थन मूल्य के अनुसार
खाद्यान्न मूल्य के भुगतान हेतु निर्धारित
की गई व्यवस्था के अनुसार किया जायेगा।
केन्द्र पर हैण्डलिंग ठेकेदारों को उनके
द्वारा प्रस्तुत हैण्डलिंग कार्य के बिल
के 50 प्रतिशत के भुगतान हेतु एकाउण्ट पेयी
चेक जारी किया जायेगा।परिपत्र में कहा गया
है कि य केन्द्रों से भुगतान किये गये
बाउचरों की उत्तर सम्परीक्षा लेखा अनुभाग
के क्षेत्रीय भुगतान कार्यालय द्वारा 48
घण्टे के भीतर की जायेगी। इसके अतिरिक्त
जिला खाद्य विपणन अधिकारी सप्ताह में एक
बार एवं सम्भागीय खाद्य विपणन अधिकारी माह
में एक बार समस्त य ेन्द्रों का निरीक्षण
करेंगे और यह भी सुनिश्चित करेंगे कि खरीद
की मात्रा का स्टाक तथा उसकी क्वालिटी सही
है, उसके रख-रखाव की समुचित व्यवस्था है
और स्टॉक सम्बध्द योजना के अन्तर्गत
भारतीय खाद्य निगम को डिलीवर किया जा रहा
है।केन्द्र प्रभारी एवं ज्येष्ठ लेखा
लिपिक से दुरूपयोग अथवा अधिक भुगतान की गई
धनराशि की वसूली के उद्देश्य से एक लाख एवं
अंकन 20 हजार की फाइडेलिटी गारण्टी जमा
कराने का दायित्व सम्भागीय खाद्य विपणन
अधिकारी का होगा।
सीजनल
अमीनों की स्थायी नियुक्ति नियमावली बदले
बगैर संभव नहीं: प्रमुख सचिव
लखनऊ, 20 अप्रैल। (उप्रससे)। सीजनल संग्रह
अमीनों की स्थायी नियुक्ति पर सरकार
सकारात्मक रुख अपना रही है। किन्तु इनकी
स्थायी नियुक्ति सेवा नियमावली में
परिवर्तन किये बिना संभव नहीं है। यह नीति
विषयक मामला है। इसमें अभी समय लगेगा। यह
जानकारी आज यहां प्रमुख सचिव राजस्व एवं
प्रदेश के राहत आयुक्त के.के.सिंहा ने दी।
ज्ञातव्य है कि सीजनल संग्रह अमीन स्थायी
नियुक्ति के लिए आंदोलन कर रहे हैं। इनकी
मांगों पर विचार के लिए शासन स्तर पर सहमति
बनी है। इस संबंध में श्री सिंहा ने आज यहां
एक बयान जारी कर कहा कि अभी तक जो व्यवस्था
है उसके तहत सीजनल अमीनों के नियुक्ति
प्राधिकारी उप जिलाधिकारी होते हैं और जब
भी जरूरत पडती है इन्हें जिलाधिकारी स्तर
से लगा लिया जाता है। उन्होंने कहा कि
इसलिए इन्हें चाहिए कि ये अपनी समस्याओं
का समाधान तहसील एवं जिला स्तर पर ही करायें
और आवश्यकता पडने पर मण्डल स्तर पर
मण्डलायुक्त से सम्पर्क कर लें। उन्होंने
कहा कि शासन स्तर पर इन्हें आने की कोई
जरूरत नहीं है।
श्री सिन्हा ने बताया कि वर्तमान समय में
लागू सेवा नियमावली के अनुसार 50 प्रतिशत
सीधी भर्ती से और शेष 50 प्रतिशत में से
33 प्रतिशत सामयिक संग्रह अमीनों के कोटे
से तथा 15 प्रतिशत अनुसेवकों के कोटे से
पदोन्नत होते हैं। उन्होंने बताया कि
सीजनल संग्रह अमीन यह मांग कर रहे हैं कि
50 प्रतिशत सीधी भर्ती की व्यवस्था को
समाप्त कर दिया जाय, जो एक नीति विषयक
मामला है। उन्होंने बताया कि सेवा नियमावली
में संशोधन का प्रयास कराया जा रहा है और
जब तक नियमावली में संशोधन नहीं हो जाता
है, प्रदेश में जहां-जहां जगह हो इन्हें
वर्तमान नियमावली के अनुसार रखे जाने में
कोई दिक्कत नहीं है।
निरीक्षण नहीं होने पर सिंचाई मंत्री ने
नाराजगी जताई
लखनऊ, 20 अप्रैल। (उप्रससे)। सिंचाई
यांत्रिक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
जयवीर सिंह ने टास्क फोर्स के अधिशासी
अभियन्ता एवं मुख्य अभियन्ता स्तर तक के
अधिकारियों द्वारा निरीक्षण कार्य नियमित
रूप से न करने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की
है।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा स्पष्ट
निर्देशों के बावजूद अपने क्षेत्रों में
औचक निरीक्षण नहीं किये जा रहे हैं यह
स्थिति ठीक नहीं है। उन्हाेंने अधिकारियों
को पुन: निर्देश दिये हैं कि उनके द्वारा
फील्डकार्यशाला तथा स्टोर्स का मासिक
निरीक्षण कर शासन को उसकी रिपोर्ट भेजी
जाय। श्री सिंह ने निर्देश दिये हैं कि
नलकूपों के ऊर्जीकरण का अवशेष कार्य
प्रत्येक दशा में 30 अप्रैल तक कर लिया
जाय। उन्होंने कहा कि गर्मी का मौसम
प्रारम्भ हो गया है, इसलिए कोई भी नलकूप
ऊर्जीकरण के अभाव में अथवा अन्य किसी
कारणवश बंद नहीं पाया जाना चाहिए। पानी के
अभाव में किसानों को कोई कठिनाई का सामना
न करना पडे।
अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति हेतु 17 करोड़ रुपये
की वित्तीय स्वीकृति जारी
लखनऊ, 20 अप्रैल। (उप्रससे)। सरकार ने
अल्पसंख्यक समुदाय के दशमोत्तर कक्षाओं
में अध्ययनरत छात्रछात्राओं को छात्रवृत्ति
के वितरण हेतु चालू वित्तीय वर्ष में
प्राविधानित धनराशि सत्तरह करोड़ रुपये
स्वीकृत करते हुए निदेशक अल्पसंख्यक
कल्याण के निवर्तन पर रखने की स्वीकृति
प्रदान की है।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से जारी शासनादेश
के अनुसार कोषागार से धनराशि का आहरण
मासिक आवश्यकतानुसार किया जायेगा और धनराशि
को आहरित कर बैंकडाकघर में जमा नहीं किया
जायेगा। स्वीकृत धनराशि के सापेक्ष व्यय
धनराशि के विवरण प्रत्येक तीन माह पर शासन
को उपलब्ध करायें जायेंगे तथा वित्तीय
वर्ष के अन्त में सम्पूर्ण धनराशि का
उपयोगिता प्रमाण पत्र शासन को उपलब्ध कराया
जायेगा। जारी शासनादेश के अनुसार जिन
विद्यालयों एवं मदरसों के विरूध्द
छात्रवृत्ति के भुगतान में अनियमितता की
शिकायत हो उनमें छात्रवृत्ति की धनराशि की
अनियमितताओं की प्रबल सम्भावना को
दृष्टिगत रखते हुए उन विद्यालयों एवं मदरसों
के छात्रछात्राओं को छात्रवृत्ति का
भुगतान विद्यार्थियों की वास्तविक संख्या
का पूर्ण सत्यापन कराकर ही किया जायेगा।
यदि फिर भी धनराशि के वितरण में किसी
प्रकार की अनियमितता प्रकरण में आती है तो
इसके लिये निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण पूर्ण
रूप से उत्तरदायी होंगे।
जारी शासनादेश के अनुसार धनराशि का आवंटन
किसी प्रकार के व्यय करने का प्राधिकार नहीं
होता है। अत: जिन मामलों में राज्य सरकार
अथवा अन्य सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति
प्राप्त की जानी आवश्यक हो, उन मामलों में
व्यय से पूर्व स्वीकृति अवश्य प्राप्त कर
ली जाय।
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