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लखनऊ,
15 अप्रैल(हिस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
के अखिल भारतीयकार्यकारिणी सदस्य तथा
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक
इन्द्रेश कुमार ने हिन्दुस्थान समाचार
प्रतिनिधि से एक साक्षात्कार में कहा कि
आजादी के बाद 65 वर्षों तक सियासी दलों ने
मुस्लिम भाईयों के बीच आरएसएस व भाजपा के
प्रति नफरत पैदा किया। हमारे प्रति उनके
जेहन में जहर बोया गया। जिसके कारण आज भी
दोनों को एक दूसरे पर विश्वास नहीं। इसके
लिए एक का नहीं दोनों का दोष है। अगर समय
रहते दोनों के बीच संवाद हुआ होता तो आज
भारत दंगामुक्त होता और भारत की तकदीर व
तस्वीर को दुनिया नतमस्तक करती होती। संघ
नेता ने कहा कि हिन्दु और मुसलमान के बीच
बढ़ते दुश्मनी को रोकने के लिए आरएसएस ने
दिल्ली में 24 दिसम्बर, 2002 में ‘‘मुस्लिम
राष्ट्रीय मंच’’ की शुरुआत की और आज एक
दशक बाद हम कह सकते हैं कि इस समाज का
आरएसएस के प्रति राजनीतिक दलों द्वारा भरे
गए विष में कमी आयी है। जिस समाज के बीच
जाने पर उन्हें और हमलोगों को भी डर लगता
था, आज वे भी बेफिक्र होकर हमारे बीच बैठते
हैं और मैं भी इनके घरों और धार्मिक स्थलों
पर जाकर भयमुक्त वातावरण में संवाद
स्थापित करता हूॅं। कहा कि कोई कल्पना नहीं
कर सकता है कि पिछले छह माह में देशभर में
करीब 02 हजार से अधिक मुसलमान भाईयों का
सम्मेलन और बैठकें हो चुकी है। उत्तर
प्रदेश के सभी जिलों व दर्जनों तहसिलों
में करीब 437 बैठके हुयी हैं जिसमें से
सैकड़ो बैठकों में मैं स्वयं हिस्सा लिया
हूं। इन्द्रेश ने कहा कि देश के कांग्रेस,
सपा, बसपा, जदयू, राजद, ममता समेत सभी
सियासी दलों ने मुसलमानों को सिर्फ वोट
बैंक के रुप में इस्तेमाल किया है।
उन्होंने आरएसएस को नम्बर एक का दुश्मन
बताकर उन्हंे गुमराह कर राजनीतिक रोटी
सेकते रहे हैं और यह पंथ अपने का फिर भी
नहीं संभाला तो ये आगे भी इनकी
खरीद-फरोख्त करते रहेंगे।
नफरत से भला हो
तो एक बार नहीं हजार बार जहर उगलो
कहा कि ये दल कभी सोच नहीं सकते कि एक संघ
प्रचारक भीे मुसलमानों के बस्तियों में
जाकर हजारों मुसलमानों के बीच संवाद करता
होगा। कुछ ऐसे मुहल्ले हैं, जिन्हें लोग
मिनी पाकिस्तान कहते हैं, मैं वहां भी अपना
भाई मानकर जाता हूॅं और उनसे जो मोहम्बत
मिलता है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर
सकते। नफरत से भला हो तो एक बार नहीं,
हजार बार जहर उगलो इन्द्रेश कुमार ने कहा
कि सियासी दलों ने आरएसएस और भाजपा के नाम
पर मुसलमानों को डराया, भ्रमाया और गुमराह
किया है। इन्हें सिर्फ वोट बैंक के रुप
में इस्तेमाल किया। इन्हें खरीदने और बेचने
का सिर्फ बस्तु माना। उन्होंने मुसलमानों
से सवाल किया कि अगर संघ और भाजपा से नफरत
करने या ‘गाली’ देने से 65 वर्षो में कुछ
लाभ मिला हो या रोजगार मिला हो तो एक बार
नहीं हजार बार गाली दो। इसके लिए संघ इस
समाज से खुला समझौता (ओपेन एग्रीमेन्ट)
करने को तैयार है। परन्तु 65 वर्षो तक
जिनसे मोहब्बत और भरोसा किया, उनसे क्या
मिला? कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट ने
खुलासा कर दिया है कि वर्तमान में मुसलमानांे
की आर्थिक हालात क्या है। कहा कि 2011 में
उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले दिल्ली व यूपी
की सत्ता में बैठे सत्ताधीशांे ने मुसलमानों
की आर्थिक हालात सुधारने के लिए 25 हजार
करोड़ का पैकेज तथा दो करोड़ नौकरी दिलाने
का वादा किया। भारी भरकम रकम भी जारी हुयी,
लेकिन सवाल है कि उस पैकेज से किसी
मुसलमान को पांच हजार रुपये भी नहीं मिला।
फिर मुसलमान इन सियासी दलों से क्यों नहीं
पूछता। कहा कि आरएसएस और भाजपा के प्रति
भड़काकर, इनके बहकावे में आकर 65 वर्षो तक
मुसलमानों ने बदकिस्मती के साथ जीया है।
अब इस समाज को स्वयं से पूछने का समय आ गया
है। अगर इस बार भी मुसलमान गुमराह हुआ तो
देश की पांच साल कीऔर बदकिस्मती होगी।
भारत को सिरमौर
बनाना है तो मुसलमानों का सहयोग चाहिए
12 वर्षो में करीब 30 लाख मुसलमानों से
रु-ब-रु हुआ मंच की स्थापना के बाद देशभर
में विगत 12 वर्षो में करीब 30 लाख
मुसलमानों से रु-ब-रु होने का अवसर मिला।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक मंच का
संगठनात्मक ढांचा खड़ा हो गया है। सियासी
दलांे द्वारा हम दोनों के बीच फैलाये गए
भ्रम में धीरे-धीरे कमी आ रही है। मुसलमान
भाईयों का कितने वर्षो के बाद संघ विश्वास
अर्जित कर लेगा, इस सवाल पर इन्द्रेश ने
कहा कि अभी तो ‘बीज’ डाला है, पानी और
खाद्य लम्बे समय तक दोनों तरफ से डालना
होगा। कहा कि बहुत कुछ तो समय और
परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। लेकिन हम
चाहते हैं कि भारत को दुनिया में सिरमौर
बनाना है तो हिन्दु, मुस्लिम, सिख और इसाई
समेत सभी पंथावलम्बियों का एकजुट होकर काम
करना होगा। संघ नेता ने कहा कि हिन्दु और
मुसलमान दोनों को एक ही हैं। कहतेहैं कि
हम दोनों भारतीय हैं, दोनों इंसान हैं,
संस्कृति एक है और हम दोनों के पुरुखे भी
एक हैं। बस सिर्फ अन्तर है तो इबादत(पूजा
पद्धति) करने में।
मुस्लिम भाईयों पर विश्वास करके भाजपा को
देना चाहिए था टिकट आपने अप्रत्यक्ष रुप
से भाजपा व मोदी के पक्ष में मुसलमानों से
मतदान करने का आह्वान किया है, जबकि इस
पार्टी ने यूपी के 80 लोकसभा सीटों में से
एक भी इस समाज के लोगों को टिकट नहीं दिया,
इस सवाल पर इन्द्रेश ने कहा कि भाजपा को
यूपी में इन्हें जरुर टिकट देना चाहिए था।
मैंने आग्रह भी किया था लेकिन ऐसा नहीं हो
सका, परन्तु भविष्य में इस समाज के लोगों
का विश्वास जीतकर इन्हें टिकट देना पड़ेगा।
कहा कि अगर यूपी में भाजपा को इस समाज पर
विश्वास नहीं है तो एक बार रिश्क लेकर
देखना चाहिए। इन्द्रेश ने विश्वास जताया
कि भाजपा को आने वाले चुनाव में मुसलमानों
को काफी संख्या में टिकट देना पड़ेगा।
मोदी ने बनाया गुजरात को दंगा मुक्त
प्रदेश
दंगा मुक्त देश के
लिए भाजपा ही विकल्प भारतीय जनता पार्टी
की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार
नरेन्द्र मोदी पर 2002 में दंगे को लेकर
मुसलमान आज भी नाराज है, इस सवाल पर
इन्द्रेश ने कहा कि इनकी नाराजगी सियासी
दलों की चाल है। अभी हाल में ही
मुजफ्फरनगर में दंगा हुआ, सुप्रीम कोर्ट
ने सरकार को दोषी माना। इसके बाद भी
मुलायम और अखिलेश दोषी क्यों नहीं। 84 के
दंगो के दोषी राजीव गांधी और कांग्रेस क्यांे
नहीं। ये बार-बार दंगा करायें और माफी
मांग लें तो मुस्लिम समाज इन्हें माफ करेगा
और दुर्भाग्य से गुजरात में दंगा हुआ। उसके
बाद 12 वर्षो में एक भी दंगा नहीं, इसके
बाद भी मोदी को माफी क्यों नहीं? आखिर
मुस्लिम समाज को माफीनामा देने का मानक
क्या है? इन्द्रेश ने कहा कि गुजरात दंगे
को लेकर तीन स्वतंत्र जांच एजेंसियों ने
जांच की और मोदी को क्लिनचीट दिया, उसमें
सुप्रीम कोर्ट भी शामिल है।
उसके बाद 12 वर्षो में मोदी ने गुजरात को
दंगा मुक्त प्रदेश बनाया।
उन्होंने कहा कि देश का कोई नेता यह नहीं
कह सकता है कि मुझे कोई
दोषी घोषित कर दे तो मैं इस समाज से स्वयं
को फांसी पर चढ़ाने का
आह्वान करुंगा, लेकिन मोदी ने कहा है।
भाजपा शासित राज्यों में
मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, राजस्थान, पंजाब में
जब से इस पार्टी की सरकार है
कोई दंगा नहीं हुआ, जबकि अन्य प्रदेशों
में जो अपने को मुसलमानों
का हितैषी बताते हैं, वहां प्रतिवर्ष कोई
न कोई दंगा हो रहा है। अब
मुसलमानों को आरएसएस व भाजपा को लेकर
पुर्नविचार करना होगा। इन्हें
अब सच्चाई के साथ आगे आना होगा।
पन्द्रह हजार मुसलमान क रहे हैं मोदी
का प्रचार
मोदी सरकार बनाने
को 15 हजार मुसलमान कर रहे है प्रचार
आगामी लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र भाई मोदी
को प्रधानमंत्री बनाने के
लिए देशभर मंे करीब 15 हजार मुसलमान चुनाव
प्रचार में लगे हुए हैं। यह
दावा मंच के राष्ट्रीय संरक्षक इन्द्रेश
कुमार ने की है। बताया कि इनके अलावा
करीब तीन सौ मौलाना व इमाम भी अपने धर्म
के लोगों को मोदी के पक्ष
में मतदान करने के लिए आह्वान कर रहे हैं।
इतना ही नहीं करीब 150
मुसलमान पूर्णकालिक कार्यकर्ता के तौर पर
पूरा समय देकर मोदी को
प्रधानमंत्री बनाने के लिए अपने समाज के
लोगों को जागरुक कर रहे हैं।
मुसलमानों का 4 से 14 प्रतिशत मतदान भाजपा
के पक्ष में
संघ नेता ने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव
में जहां सिर्फ दो पार्टियांे
के बीच मुकाबला है, वहां भारतीय जनता
पार्टी को 10 से 14 प्रतिशत के बीच
मुसलमान मतदान करने जा रहा है। जबकि जहंा
पर दो से अधिक पार्टियां है
वहां पर ये भाजपा को दो से चार प्रतिशत
मतदान करेंगे। उन्होंने कहा कि
उत्तर प्रदेश में मुसलमान भाजपा को दो से
तीन प्रतिशत मतदान करने जा
रहा है। जबकि राजस्थान, गुजरात,
मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, बिहार, कर्नाटक समेत
अन्य प्रदेशों में 08 से 13 प्रतिशत के
बीच मुसलमान भाजपा के पक्ष में
मतदान करेगा।
जहंा मुसलमान भाजपा को कभी वोट नहीं करता,
वह इस बार वोट करने
जा रहा है, ऐसी कौन सी चमत्कार हुयी है?
इस सवाल पर कहा कि विगत् 12
वर्षो में मंच के द्वारा कोई ऐसा जिला नहीं
है जहां पर इनके बीच काम
शुरु न हुआ हो। उस कार्य और विश्वास का
परिणाम है कि इस बार इस समाज
के लोग भाजपा को मतदान करने जा रहा है।
कांग्रेस व अन्य पार्टियां इनकी हितैशी
मानी जाती हैं और यह समाज भी
उन्हें अपना मानता है तो इस सवाल पर टपाक
से इन्दे्रश ने कहा कि माना कि
ये मुसलमानों के हितैशी हैं तो आजादी के
65 वर्षो के बाद भी किसी
मुस्लिम शासक के नाम एक भी परियोजना क्यों
नहीं? क्या इनसे से पूछने के
लिए मुसलमानों में हिम्मत नहीं है।
यूपी में हजरत बेगम के नाम पर कोई परियोजना
क्यों नहीं? मौलाना
मोहम्मद अली, बहादुर शाह जफर, मौलवी
लियाकत अली, वीर हमीद अली, खान
अब्दुल गाफार खान, मोहम्मद रमजान खां,
उस्ताद बिस्मिल्ला खां, मौलाना
अबुल कलाम आजाद समेत सैकड़ो मुसलमानों ने
इस देश के लिए कुर्बानी दे
दी, इनके नाम पर कांग्रेस समेत अन्य
पार्टियों ने कोई परियोजना क्यों
नहीं शुरु किया।
संघ नेता ने कहा कि देश का दुर्भाग्य है
जो इस भारत भूमि को
आजादी दिलाने में अपने को बलिदान कर दिया,
आज उसके नाम पर एक भी
परियोजना नहीं और जो भारत को टुकड़े-टुकड़े
किया उनके नाम पर
अनेकों परियोजनाएं चल रही हैं। यह कैसा
भारत है, जो अपने कुर्बान हुए
पूर्वजों को पहचान नहीं सकता। क्या हिन्दु,
मुस्लिम, सिख और इसाई को
ऐसा ही भारत चाहिए।
कहा कि आज आवश्यकता है कि नये भारत की
तकदीर लिखने के लिए सम्पूर्ण
समाज को एकजुट होकर इन मौकापरस्त ताकतों
को सबक सिखा दें। आज इन्हें
बली चढ़ाने के लिए अपने पास मतदान रुपी
हथियार है। राष्ट्रहित में मत का
प्रयोग कर हमेशा-हमेशा के लिए इन्हें सबक
सिखाने को आगे आयें।
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