साम्प्रदायिक और लक्षित हिंसा अधिनियम
भारतीय सभ्यता को कलंकित करने का प्रयास
भोपाल, 20 अगस्त। (अनिल सौमित्र) Bhopal,
August 20, 2011. (Anil Saumitra)
साम्प्रदायिक और लक्षित हिंसा
अधिनियम,2011 भारतीय संविधान को कलंकित
करने का प्रयास है। भारत सदियों से
सहिष्णुता और समरसता का साक्षी रहा है।
अनेक साम्प्रदायिक आघातों को सहते हुए भी
भारत पंथनिरपेक्ष बना रहा तो इसका कारण यहां
का बहुसंख्यक समाज और बहुलतावादी संस्कृति
है। भारतीय सभ्यता सह-अस्तित्व वाली है।
लेकिन केन्द्र की यूपीए सरकार इस विधेयक
के द्वारा भारत के बहुसंख्यक समाज और
हिन्दुओं को लांछित करना चाहती है। इसीलिये
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने यह विधेयक
तैयार किया है। श्रीमती सोनिया गांधी
यूपीए और कांग्रेस के साथ ही राष्ट्रीय
सलाहकार परिषद की भी अध्यक्षा है।
विवेकानंद केन्द्र की भोपाल ईकाई द्वारा
आयोजित एक संगोष्टी में पूर्व आईबी प्रमुख
आरएमपी सिंह ने यह बात कही। श्री सिंह
विविएकानंद फाउंडेशन में सीनियर फेलो भी
हैं । भारत में दंगों के इतिहास पर
केन्द्रित उनकी पुस्तक "राइट्स एंड रौंग्स"
काफी चर्चित रही थी।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक खतरनाक है। इसके
द्वारा हिन्दुओं को किलर के रुप में
स्थापित किया जायेगा। पूर्व पुलिस अधिकारी
ने साम्प्रदायिक और लक्षित हिंसा
अधिनियम,2011 का काफी बारीक विशलेषण किया।
उन्होंने कहा कि यह अपने आप में अनोखा
विधेयक है। यह कुछ हिन्दू विरोधी मानसिकता
वाले लोगों द्वारा तैयार किया गया है। इस
विधेयक में साम्प्रदायिक और लक्षित हिंसा
से "समूह" अर्थात अल्पसंख्यकों को मुक्त
रखा गया है। इस विधेयक के पास होने और
कानून बन जाने के बाद सभी प्रकार की
साम्प्रदायिक हिंसा के लिये बहुसंख्यक यानी
हिन्दू ही जिम्मेदार होंगे। उन्हे ही अपने
को निर्दोष सिद्ध करना होगा। इस बिल के
द्वारा केन्द्र की सरकार पिछ्ले दरवाजे से
राज्य सरकार के अधिकारों में हस्तक्षेप का
ताना-बाना बुन रही है। केन्द्र दबे पांव
राज्य के अधिकार क्षेत्र में घुसपैठ कर रही
है। यह बिल विशेष रुप से उन प्रदेशों को
प्रभावित करेगी जहां हिन्दू बहुसंख्या में
हैं। यह विधेयक भारतीय संविधान के समानता
के सिद्धांत की अवहेलना करता है। पूर्व
आईबी प्रमुख के अनुसार यह विधेयक
अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों के थोक
वोट बैंक को लक्षित कर बनाया गया है। इसे
तैयार करने वाले लोग हिन्दुओं के प्रति
दुराग्रह रखते हैं। वे भातरीय समाज की
समरसता को खत्म करना चाहते हैं। इस विधेयक
का हर स्तर पर विरोध होना चाहिये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता म.प्र. शासन के
वित्तमंत्री राघवजी भाई ने की। उन्होंने
कहा कि इस विधेयक का विरोध होना स्वाभाविक
है। निश्चित ही इसकी प्रतिक्रिया होगी।
भाजपा के बुजुर्ग नेता ने कहा कि
प्रतिक्रिया से कई बार एकीकरण भी होता है।
राघवजी ने कहा कि अगर इस विधेयक के
प्रतिक्रियास्वरुप हिन्दू समाज संगठित होता
है और बहुसंख्यक वोटों का ध्रुवीकरण होता
है तो यह भारतीय समाज के लिये शुभ ही होगा।
उन्होंने कहा कि वोटों के लिये कांग्रेस
मुसलमानों का तुष्टीकरण करती रही है,
लेकिन यह तो घृणित तुष्टीकरण है।
मध्यप्रदेश शासन के मंत्री ने कहा कि इस
देश में इस तरह के बिल लाने की सोच ही
घृणास्पद है। यह यूपीए सरकार और सोनिया
गांधी का दुस्साहस है। कार्यक्रम का
संचालन विवेकानंद केन्द्र के कार्यकर्ता
धीरेन्द्र चतुर्वेदी ने की। |