फर्जी
नाम पते पर बनवाना चाहती थी पासपोर्ट,
एलआईयू की जांज में फंसी
- रेनू सिंह -
बरेली, 03 अगस्त। (उप्रससे)।
Bareilly करीब दस साल पहले तीन
दिन के वीजा पर बंग्लादेश से भारत आई एक
महिला आज आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ ही गई।
वह भारतीय पासपोर्ट बनवाने का प्रयास कर
रही थी। यहां आकर वह साहिना बेगम से शारदा
बन गई और शाहजहांपुर जिले के तिलहर
क्षेत्र में एक व्यक्ति से शादी कर ली थी।
शाहजहांपुर पुलिस और अभिसूचना विभाग की
टीम उससे पूछताछ कर रही है।
शाहजहांपुर के थाना तिलहर के गांव
हुसैनापुर निवासी होरीलाल की पत्नी शारदा
ने इसी जुलाई माह में पासपोर्ट के लिए जिला
अभिसूचना इकाई में आवेदन किया था। इसकी
जांच एलआइयू इंस्पेक्टर सवर्ेंद्र सिंह ने
उपनिरीक्षक आरके यादव को सौप दी। आवेदन
संबंधी जांच करते समय आरके यादव को महिला
पर संदेह हुआ। इसकी जानकारी उन्होंने अपने
सीनियर आफीसर सवर्ेंद्र सिंह को दी।
उन्होंने इस मामले से सीओ सिटी शिवराज
सिंह को अवगत कराया। सीओ के निर्देश पर
शारदा के संबंध में गहन छानबीन शुरू हुई
तो जांच अधिकारी उसकी असलियत जानकर भौचक
रह गए। जांच में पता चला कि शारदा नाम से
रह रही इस महिला का असली नाम साहिना बेगम
है और वह 3 अगस्त 2000 को बंग्लादेश से
तीन दिन के वीजा पर अपने बेटे सैफुलहक के
साथ भारत आई थी और इसके बाद वह गुम हो गई।
पुलिस ने उसकी तलाश में काफी खाक छानी थी,
लेकिन तब उसका पता नहीं लगा पाई। साहिना
ने यहां आकर अपना नाम शारदा और बेटे का
नाम अरविंद रख लिया। उसने किसी दलाल से
मिलकर तिलहर क्षेत्र के गांव हुसैनापुर
निवासी होरीलाल से शादी भी कर ली। उसने
बंग्लादेश के हेसोर चेकपोस्ट से भारत में
इंट्री की थी। इतना ही नहीं उसने न सिर्फ
अपना फर्जी मायका व मां-बाप भी पैदा कर
लिए बल्कि राशन कार्ड के साथ निर्वाचन
कार्ड बनवाने में भी कामयाब हो गई। राशन
कार्ड में उसका मायका निगोही का कुदिन्ना
गांव दर्ज है। पिता के स्थान पर पुत्तू और
मां का नाम ममता दर्ज है। इसी निर्वाचन
कार्ड के आधार पर उसने जिला अभिसूचना
कार्यालय में भारतीय पासपोर्ट के लिए
आवेदन किया था, जिसमें वह संदेह होने पर
धरी गई।
पहले शादीशुदा थी साहिना
शाहजहांपुर के अपर पुलिस अधीक्षक देहात
सुरेंद्र वर्मा ने बताया कि साहिना
बंग्लादेश के जनपद मैमानसिंह अंतर्गत थाना
खली के गांव केवट की रहने वाली है। पहले
से शादीशुदा साहिना के पूर्व पति का नाम
हुसैन अली है। वह यहां क्यों आई और यहां
रहकर वह क्या कर रही थी, इस संबंध में गहन
जांच पडताल की जा रही है।
बीस साल से इंडिया में थी
पुलिस कह रही है कि साहिना 3 अगस्त 2000
को भारत आई थी। इसका पुलिस के पास उसके
वीजा के तौर पर प्रमाण भी है, लेकिन महिला
का कहना है कि वह यहां बीस साल से रह रही
है। पुलिस का मानना है कि हो सकता है महिला
सही कह रही हो और उसका इससे पहले भी भारत
आना जाना रहा हो।
कहीं घुसपैठियों से तो नहीं जुड़े हैं तार
पुलिस और कानून की आंख में धूल झोंककर दस
साल से नाम बदल कर रही साहिना के पकडे जाने
की घटना ने खुफिया विभाग के कान ख़डे कर
दिए हैं। इस घटना ने इस बात के भी प्रमाण
दे दिए हैं कि यहां की प्रशानिक व्यवस्था
में कितने छेद हैं। कोई भी व्यक्ति भले ही
वह आतंकवादी हो, आसानी से यहां की नागरिकता
संबंधी कानूनी वैद्यता हासिल कर सकता है।
साहिना के इतने साल से नाम व धर्म बदलकर
भारत में रहने के पीछे क्या अभिप्राय था
और वह पुन: भारतीय पासपोर्ट हासिल कर क्या
गुल खिलाना चाहती थी, यह जांच का विषय है।
बंग्लादेशी शरणार्थी भी बडा खतरा
शाहजहांपुर में हजारों की संख्या में कई
दशकों से रह रहे बंग्लादेशी किसी दिन देश
के लिए बडा खतरा बन सकते हैं, इस बात के
अंदेशे कई बार जताए जा चुके हैं। इन लोगों
ने यहां न सिर्फ राशन कार्ड बनवा रखे हैं
बल्कि निर्वाचन कार्ड हासिल कर लिए हैं।
वोट की राजनीति करने वाले नेताओं का इन्हें
वरदहस्त प्राप्त है। चुनाव में ये उनके
पक्ष में मतदान करते हैं और बदले में
संरक्षण पाते हैं। देश की सीमा पार से आए
घुसपैठिए इनके बीच जाकर आसानी से गुम हो
जाते हैं।
|