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किसानो की रूचि शंकर धान के उत्पादन में
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Publised on : 2011:08:08       Time 23:05                    Update on  2011:08:09       Time 09:32              

फतेहपुर, 08 अगस्त। (उप्रससे)। किसानो के लिए खरीफ की फसल में शंकर धान की उत्पादकता के कारण ज्यादा पसंद किया जा रहा है। पारम्परिक खेती से हटकर किसान अधिक उत्पादन देने वाली प्रजातियो मे खरीफ की फसल धान मे से पंत शंकर, नरेन्द्र पीएचबी71, पीएचआर व ऊसर शंकर धान तीन को ज्यादा तरजीह दी जा रही है। शंकर धान की उत्पादकता लेने के लिए किसानो को सावधानी रखनी है। शंकर किस्में दो अलग-अलग अनुवांशिक गुणो वाली प्रजातियों के नर एवं मादा के संयोग संकरण से पैदा किया जाता है।
बताया जाता है कि शंकर प्रजातियों में बीज का उपयोग एक बार ही किया जाता है जबकि दूसरी बार मे शंकर बीज की उत्पादकता करने में शंकर बीज की उत्पादकता करने की क्षमता कम हो जाती है। किसानो के अनुसार शंकर धान व सामान्य धान मे अंतर पाया जाता है। शंकर धान मे किसानो को सामान्य से अधिक उर्वरक की जरूरत पडती है। इसके लिए अच्छी पैदावार लेने के लिए नाइट्रोजन, फासफोसर व पोटाश, जिंक सल्फेट की आवश्यकता होती है। शंकर धान को पर्याप्त सिंचाई की जरूरत होती है। उक्त प्रजातियों को रोपाई वाली निकलने तथा दाने भरते समय पांच से छह सेमी पानी होना चाहिये। संकर धान मे लगने वाले रोग व खरपतवार निवारण के लिए ब्यूटाक्लोर पांच प्रतिशत ग्रेन्यूल तीस से चालीस किग्रा प्रति हेक्टेयर या बेन्थियोकार्व दस प्रतिशत ग्रेन्यूल पन्द्रह किग्रा का प्रयोग रोपाई के तीन-चार दिन मे अंदर करना चाहिये। सहूलियत के लिए किसानो को ब्यूटाक्लोर व बेन्थियोकार्व का प्रयोग अच्छी नमी की स्थिति में ही करना चाहिये। शंकर धान के अच्छे उत्पादन के साथ उसके भंडारण में भी किसानो को सावधानी बरतनी चाहिये।
खाद की किल्लत से जूझ रहे है किसान
फतेहपुर, 08 अगस्त। (उप्रससे)। साधन सहकारी समितियो में किसानो को खाद की किल्लत से जूझना पड रहा है। खासकर डीएपी न मिलने से किसान खुले बाजार से खाद खरीदने के लिए मजबूर है।
बताते चले कि प्रभात व्यूज ने विगत दिनो इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुये शासन एवं जनप्रतिनिधियो का ध्यान इस ओर केन्द्रित कराने के लिए इस विषय पर खबर भी लगाई थी। किन्तु इस पर भी जिले के आला अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियो के कानो मे इस विषय के लिए जूं तक नही रेंगी। जिसका जीता जागता उदाहरण आज देखने को मिल रहा है। मौजूदा समय में खरीफ की बुआई का काम तेजी से चल रहा है। जिसके लिए किसानो को मुश्किलो का सामना करना पड रहा है। एक ओर जहां बिजली, पानी की समस्या से निजात नही मिल पा रही है। वहीं खाद की किल्लत ने मुश्किले और बढा ही है। समितियों में डीएपी खाद नदारत है। जिसमें किसान मंहगे दामो पर खाद की खरीद करने के लिए विवश है।

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