लखनऊ, 10 अगस्त। (उत्तर प्रदेश समाचार
सेवा)।Lucknow , August, 10, U.P.Samachar Sewa.
उत्तर प्रदेश सरकार ने 'आरक्षण' फिल्म के
संदर्भ में गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा
फिल्म के अवलोकन किए जाने के बाद दी गयी
रिपोर्ट के आधार पर राज्य में फिल्म का
प्रदर्शन अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया
है। समिति ने फिल्म के अवलोकन के बाद पाया
कि इस फिल्म के प्रदेश में प्रदर्शन से
शांति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पडने
की संभावना है। राज्य सरकार ने यह निर्णय
भारत के संविधान के अनुच्छेद-19(2) के साथ
पठित उत्तर प्रदेश चलचित्र (विनियमन)
अधिनियम, 1955 की धारा-6(1) द्वारा
प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लिया
है। सरकार ने यह निर्णय फिल्म में
आपत्तिजनक संवादों के कारण लिया है। समिति
का मानना है कि इन संवादों से समाज में
वैमनस्य पैदा होने की प्रबल संभावना है।
फिल्म आरक्षण के अवलोकन के उपरान्त समिति
द्वारा यह पाया गया कि इसके विभिन्न पात्रों
द्वारा व्यक्त किए गए उत्तेजनापूर्ण संवादों
से समाज के विभिन्न वर्गों में प्रतिकूल
प्रतियिा की प्रबल संभावना है, जिससे
कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती
है और उससे समाज के विभिन्न वर्गों में
आपसी वैमनस्य भी उत्पन्न हो सकता है। अत:
फिल्म में प्रदर्शित कतिपय आपत्तिजनक
संवादों (डायलॉग) के कारण लोक व्यवस्था पर
प्रतिकूल प्रभाव पडने के साथ-साथ समाज में
उत्तेजनात्मक माहौल पैदा हो सकता है, जो
कि नागरिकों को अपराध के लिए प्रेरित कर
सकता है।
शासन की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति में
प्रमुख सचिवसचिव वित्त, सूचना, संस्कृति,
पर्यटन, माध्यमिक शिक्षा, ग्राम्य विकास,
पंचायती राज एवं आयुक्त मनोरंजन कर शामिल
थे। इस समिति के अनुसार फिल्म आरक्षण की
विषयवस्तु में भारत के संविधान के सुसंगत
प्राविधानों के अन्तर्गत राज्याधीन
विभिन्न सेवाओंशिक्षण संस्थाओं एवं अन्य
अवसरों हेतु अनुसूचित जातिजनजाति तथा अन्य
पिछडे वर्गों के व्यक्तियों को दिए गए
आरक्षण के बिन्दु को उठाया गया है एवं
फिल्म के विभिन्न पात्रों के माध्यम से इस
मुद्दे के समर्थन एवं विरोध में तर्क
प्रस्तुत किए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि विगत वर्षों में देश में
आरक्षण के विरोध एवं समर्थन में हुए
विभिन्न आन्दोलनों में अपार धन एवं जन की
हानि हो चुकी है। अनेक युवकयुवतियों द्वारा
आत्महत्या, आत्मदाह के प्रयास किए जा चुके
हैं। इस फिल्म को लेकर विभिन्न संगठनों एवं
राजनीतिक दलों द्वारा व्यक्त किये जा रहे
विचारों से ''आरक्षण'' की विभिन्न
व्यवस्थाओं पर सामाजिक रूप से स्वीकृत एवं
संवैधानिक रूप से तय हो चुके शांत मुद्दे
के पुन: जागृत होने की प्रबल सम्भावना है।
इस फिल्म के विरोध की खबरें भी लगातार आ
रही हैं और कई जगह प्रदर्शन भी किए जा चुके
हैं। यह फिल्म विवादास्पद और बहस का मुद्दा
बन चुकी है।
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