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अतिपिछड़ों के पास है यूपी में सत्ता की चाभी
उ.प्र. चुनावः पूर्वाचंल की 122 सीटों पर निर्णायक है मल्लाह, केवट, बिंद
Tags: Most Backword Cast in Uttar Pradesh
Publised on : Last Updated on: 20 December 2016 , Time 21:29

U P VIDHAN SABHA ELECTION 2017लखनऊ। ( राजेश सिंह ) । यूपी में सत्ता की चाभी वास्तव में अतिपिछडों के पास ही है। इस समाज ने जिस दल का साथ दिया उसी को उत्तर प्रदेश का सिघासन मिला। क्योंकि पूर्वाचंल की 122 सीटों पर अतिपिछडों का खासा दबदबा है। इसीलिए सभी राजनीतिक दल इसवर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पूर्वाचंल की परिक्रमा कर रहे है। लेकिन यह समाज अभी खामोश होकर सभी सियासी दलों को तौल रहा है।
प्रदेश का एक बडा हिस्सा पूर्वाचंल है, जिसे अलग राज्य बनाने की मांग भी राजनीतिक दलों द्वारा की जा रही है। इसका कारण यहां की गरीबी एवं कम विकास होना बताया जा रहा है। वैसे प्रदेश के पूर्वाचंल को आठ मण्डल, 29 जनपद है जिनमें 34 लोकसभा क्षेत्र तथा 170 विधानसभा क्षेत्र आते है। इसमें आजमगढ़, इलाहाबाद, बस्ती, देवी पाटन, गोरखपुर, वाराणसी, फैजाबाद, विन्ध्याचल मण्डल शामिल है। पूर्वांचल में पिछड़ों में सर्वाधिक संख्या निषादों की है परन्तु राजनीतिक दल इनकी उपेक्षा करने से बाज नही आते। अतिपिछड़ों में 122 विधान सभा क्षेत्रों में निषाद (मल्लाह, केवट, बिन्द) मतदाता 30 हजार से 96 हजार की संख्या में हैं। चैहान 25, राजभर-26 व मौर्या कुुशवाहा-16 विधान सभा क्षेत्रों में 30 हजार से अधिक व निर्णायक स्थिति में हैं।
इस क्षेत्र में अतिपिछड़े समुदाय की जातियों की संख्या अत्यन्त निर्णायक है और उत्तर प्रदेश में जिस किसी भी दल की सरकार बनती है उसमें पूर्वांचल की 170 विधान सभाओं की अहम भूमिका रहती है। भदोही, मिर्जापुर, सन्तकबीर नगर, महाराजगंज, गोरखपुर , कुशीनगर, बहराइच, देवरिया की 5-5 विधानसभा क्षेत्र, वाराणसी, रावट्सगंज, गाजीपुर, मछली, जौनपुर, बलिया, लालगंज, बांसगांव, बस्ती, इलाहाबाद, कैसरगंज की 4-4 सीटें ऐसी है जहां पर यह जातियां जीत हार का फैसला स्वयं करने में सक्षम है। इसी तरह सुलतानपुर , अमेठी, डुमरियागंज, गोण्डा, श्रावस्ती, फैजाबाद, सलेमपुर, चन्दौली की 3-3 आजमगढ़, घोसी, कौशाम्बी, फूलपुर, बाराबंकी, प्रतापगढ़, लोकसभा क्षेत्र की दो-दो विधान सभा क्षेत्रों में निषाद,मछुआरा समुदाय के 30 हजार से अधिक मतदाता होने के बाद भी यह समाज राजनीतिक उपेक्षा का शिकार है।
यह क्षेत्र पिछडा होने के नाते गरीबी अधिक है। जिसके कारण एक हवा बन जाने पर यह वर्ग एक जुट होकर एक दल पर भरोसा कर उसे सत्ता की चैखट तक पहंुचा देता है। इसे लेकर सभी दलों को पूरा फोकस इसी क्षेत्र पर है।

हर चुनाव में बदल जाता है रूझान
पूर्वाचंल के अतिपिछडे करीब करीब हर चुनाव में पाला बदल कर दूसरे दलों पर विश्वास करते रहे है। प्रदेश के 8 मण्डलों, 29 जिलों, 34 लोक सभा क्षेत्रों व 170 विधान सभा क्षेत्रांे में पूर्वांचल ही राजनीतिक दलों के भाग्य का फैसला कर उत्तर प्रदेश की सत्ता दिलाता आ रहा है। राम लहर के समय भाजपा ने पूर्वांचल से 97 सीटे जीतकर सरकार बनायी थी। इसी तरह , 2007 में बसपा ने 102 व 2012 में सपा ने 106 सीटें प्राप्त कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही। भाजपा सपा व बसपा के भाग्य विधान सभा चुनाव 2017 में पूर्वांचल के अतिपिछड़े ही करेंगे। खस बात यह है कि जिस चुनाव में यह अतिपिछडों एकजुट नहीं रहते उस चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा आती है। लेकिन जब जब एकजुट होकर किसी एक दल पर भरोसा जताकर मतदान किया तो उसी की सरकार बनी।

राजनीतिक दल कर रहे हैं पूर्वाचंल की परिक्रमा
प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव की भले ही अभी घोषणा न हुई हो लेकिन सभी राजनीतिक दल बीते कई माह से पूर्वाचंल की ही परिक्रमा कर रहे है। कई माह पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं गोरखपुर में एम्स की आधारशिला रखी थी। इसके बाद उन्होंने गाजीपुर, कोशाम्बी, बहराइच में चुनावी सभाएं की। वाराणसी में अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अक्सर आया करते है। भाजपा द्वारा निकाली गयी चार परिर्वतन यात्राओं में एक यात्रा का शुभारंभ बलिया से किया गया। इसी तरह समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव भी गाजीपुर में जनसभा कर चुके है। बसपा सुप्रीमो मायावती भी आजमगढ में सभा कर चुकी है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने देवरिया से दिल्ली तक किसान यात्रा निकाली , और खाट सभाएं की। अब वह स्वयं जौनपुर के बाद बहराइच में रैली करने जा रहे है।

पूर्वाचंल ने दिए पांच पीएम, आठ सीएम
यूपी की पूर्वाचंल की धरती राजनीतिक क्षेत्र में वाकई उपजाउ है। क्योंकि इस धरती ने देश को पांच प्रधानमंत्री एवं उत्तर प्रदेश को आठ मुख्यमंत्री
दिए है। पीएम की कुर्सी तक पहुंचाने वालों में जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, चन्द्र शेखर, विश्वनाथ प्रताप सिंह तथा वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी शामिल है। इसी तरह यूपी के सीएम बनने वालों में सम्पूर्णानंद, टी एन सिंह, कमलापति त्रिपाठी, वी पी सिंह, श्रीपति मिश्रा, वीर बहादुर सिंह तथा राजनाथ सिंह के नाम शामिल है।

दंबगों की बोलती थी तूती
पूर्वाचल की धरती ने राजनीति क्षेत्र के साथ साथ दंबगई में भी काफी नाम कमाया। यहां के कई बाहुबलियों की तूती यूपी में ही नहीं बल्कि पूरे देश में बोलती रही है। गोरखपुर के हरिशंकर तिवारी ने राजनीति से लेकर दंबगई में काफी नाम कमाया। इसके साथ ही श्रीप्रकाश शुक्ला, वीरेन्द्र शाही, मुख्तार अंसारी, अमर मणि त्रिपाठी ने काफी नाम कमाया।

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News source: UP Samachar Sewa

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