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  Vidhan Sabha:उप्र जल प्रबंधन और नियामक आयोग विधेयक पारित
Tags: Uttar Pradesh Vidhan Sabha, UP JAL PRABANDHAN AUR NIYAMAK AYOG,
Publised on : 25 February 2014 Time: 16:10

लखनऊ,25फरवरी। प्रदेश में घरेलू, व्यवसायिक तथा कृषि के लिए सिंचाई जल का प्रबंधन तथा नियमन करने के लिए आयोग गठन हेतु लाया गया " उत्तर प्रदेश जल प्रबंधन और नियामक आयोग विधेयक 2014 " मंगलवार को विधान सभा में पारित हो गया। यह विधेयक सदन में 21 फरवरी को प्रस्तुत किया गया था। विधेयक के कानून बन जाने के बाद प्रदेश में जल मूल्य निर्धारण का कार्य आयोग द्वारा किया जाएगा। हालांकि इस विधेयक को एक प्रवर समिति को सौंपने के लिए भाजपा के डा.राधामोहन दास अग्रवाल और हुकुम सिंह ने प्रस्ताव रखा था। किन्तु सरकार ने बहुमत के आधार पर इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया तथा विधेयक को पारित करा लिया।

सलाहकार की भूमिका में होगा आयोगः सिंचाई मंत्री

सदन में विधेयक पारित कराने के पूर्व भाजपा सदस्यों के प्रस्ताव का विरोध करते हुए सिंचाई, लोकनिर्माण तथा सहकारिता मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि 1999 में गठित एक समिति की संस्तुतियों के आधार पर 29 अगस्त 2008 को आयोग गठन का विधेयक बनाया गया था। समिति ने संस्तुति की थी कि जल के उपयोग तथा मूल्य निर्धारण कैसे हो इसके लिए एक आयोग बनाया जाए। उस समिति की सिफारिश पर ही यह आयोग बनाया गया था। सरकार ने वर्ष 2008 में गठित आयोग को 2012 में भंग कर दिया था तथा उसके स्थान पर नया विधेयक लाकर आयोग बनाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि पूर्व आयोग इस कारण भंग किया गया क्योंकि वह आयोग विभाग से भी ऊपर और अधिक अधिकार सम्पन्न हो गया था। जबकि नया आयोग सरकार को सलाह देने का काम करेगा। इसमे आयोग की शक्तियां सलाहकार के रूप में रहेंगीं। समस्त शक्तियां विभाग में ही निहित होंगीं। अन्तिम फैसला विभाग और सरकार के द्वारा लिया जाएगा। पूर्व के आयोग ने चार साल तक कोई काम भी नहीं किया। इसने किसानों के लिए सिंचाई का मूल्य पांच गुना तक बढ़ा दिया। सिंचाई मंत्री ने कहा कि विपक्ष की आशंकाएं निर्मूल हैं तथा विधेयक से सभी का हित होगा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश को तेरहवें वित्त आयोग से एक हजार करोड़ रूपये मिलने हैं तथा चौदहवें वित्त आयोग में भी धनराशि प्राप्त होगी।

नया विधेयक अधिक शक्ति समप्न्नः राधामोहन दास अग्रवाल

उत्तर प्रदेश जल प्रबंधन और नियामक आयोग विधेयक 2014 को प्रवर समिति को सौंपने के प्रस्ताव के समर्थन में बोलते हुए भाजपा के डा.राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा पुराने आयोग को भंग करते नया विधेयक लाने का फैसला समझ से परे हैं।क्योंकि जो नया विधेयक प्रस्तुत किया गया है। उसमें पुराने विधेयक से भी ज्यादा शक्तियां आयोग को दे दी गई हैं। इसलिए सरकार का यह कहना कि पुराना आयोग विभाग से ज्यादा ताकतवर हो गया था गलत था। अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने एक अध्यादेश लाकर पुराने विधेयक को निरस्त कर दिया। किन्तु अब जो विधेयक आया है उसमें न केवल वही पुरानी सभी बातें शामिल की गई हैं बल्कि आयोग को और अधिक शक्तिशाली बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक मे घरेलू तथा सिचाईं के पानी का दाम तय करने का अधिकार भी आयोग को दे दिया गया है। इसके साथ ही उपकर लगाने तथा कर वसूली करने का अधिकार भी आयोग को ही दिया गया है। नये आयोग को असीमित अधिकार दिये गए हैं। ये अधिकार पहले आयोग को भी नहीं मिले थे।

भाजपा नेता राधामोहन दास अग्रवाल ने आगे कहा कि भंग किये गए आयोग में सदस्यों के रूप में भारतीय प्रबंधन संस्थान लखनऊ के निदेशक तथा केन्द्रीय जल आयोग के सदस्य को भी शामिल करने का प्राविधान था किन्तु नये विधेयक में इसे भी हटा दिया गया है। इतना ही नहीं इस विधेयक में यह भी व्यवस्था कर दी गई है कि कोई भी जनप्रतिनिधि अथवा पूर्व जन प्रतिनिधि या किसी दल का सदस्य या पदाधिकारी आयोग का सदस्य नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यदि जनप्रतनिधियों को शामिल करने पर प्रतिबंध किया गया है तो सभी आयोगों में इस तरह की व्यवस्था कर दी जाए। उन्होंने सरकार को आगाह किया कि आयोग के अस्तित्व मे आने से पानी की कीमते असमीमित रूप से बढ़ जाएंगीं और सरकार कोई जबाव नहीं दे पायगी। इसिलए इस विधेयक को संशोधित रूप में प्रस्तुत किया जाए।

आयोग की एक और खामी की बताते हुए अग्रवाल ने कहा कि इस नये आयोग के फैसले के खिलाफ कहीं अपील करने का भी प्राविधान नहीं रखा गया है। जबकि पहले आयोग के फैसले को ट्रिब्यूनल में चुनौती दी जा सकती थी। अब नये आयोग के फैसले के खिलाफ अपील की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके साथ ही आयोग को नोटिस देने तथा सुनवाई करने भी अधिकार नहीं दिये गए हैं।
 

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News source: U.P.Samachar Sewa

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