Lucknow,
July 11,2011, Uttar Pradesh Samachar
Sewa लखनऊ, 11 जुलाई। (उप्रससे)।
राज्य सरकार ने गैर सेवा विभाग वाणिज्यिक
विभाग, स्थानीय निकाय सार्वजनिक उपम एवं
विकास प्राधिकरण तथा आवास विकास परिषद को
जनोपयोगी सुविधाएं विकसित करने तथा
सुनियोजित शहरी विकास तथा आवासीय योजनाओं
हेतु रिक्त नजूल भूमि आवंटनविय किये जाने
का निर्णय लिया है।
इस आशय के प्रस्ताव को आज उत्तर प्रदेश की
माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी की
अध्यक्षता में सम्पन्न हुई मंत्रिपरिषद की
बैठक में अनुमोदित किया गया।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के गैर सेवा
विभागों जिसमें वाणिज्यिक विभाग भी
सम्मिलित है, को बिजली की आपूर्ति हेतु
आवश्यक व्यवस्था के लिये ट्रांसफार्मर
लगाने आदि जलापूर्ति के लिये उपरिजलाशय
निर्माण, ठोस अपशिष्ट के निस्तारण हेतु
व्यवस्था के लिये भूमि की आवश्यकता होती
है। यह कार्य ऐसे है जो नागरिकों की
मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने से सीधे जुड़े
हैं और इनके लिये महंगे दर पर भूमि उपलब्ध
होने का विपरीत प्रभाव आम जनता पर पडता
है।
अत: राज्य के गैर सेवा विभागों जिसमें
वाणिज्यिक विभाग सम्मिलित है तथा स्थानीय
निकायसार्वजनिक उपमों को मूलभूत सुविधाओं
जैसे-बिजली, पानी, ठोस अपशिष्ट के
प्रबन्धन के विकास कार्यों के लिये नजूल
भूमि आवंटित कर सर्किल रेट के 25 प्रतिशत
प्रीमियम लेकर एवं 10 प्रतिशत सामान्य
वार्षिक किराये की दरों पर 90 वर्ष के लिये
30-30 वर्ष के दो अनुवर्ती नवीनीकरण किराये
में 50 प्रतिशत वृध्दि के साथ सम्बन्धित
विभाग के पक्ष में पट्टे पर आवंटित किया
जायेगा। इसके साथ शर्त यह होगी कि नजूल
भूमि का उपयोग भिन्न प्रयोजन में किये जाने
की दशा में सम्बन्धित विभाग नजूल भूमि का
कब्जा पट्टा दाता को वापस कर देगा अन्यथा
पट्टा स्वमेव निरस्त समझा जायेगा।
राज्य के गैर सेवा विभागों जिसमें
वाणिज्यिक विभाग सम्मिलित होंगे तथा
स्थानीय निकायसार्वजनिक उपमों को परिवहन
निगम के बस अड्डेबस डिपो, पर्यटन
विभागनिगम द्वारा विकसित पर्यटक सुविधायें
तथा रैन बसेरों के प्रयोजन हेतु नजूल भूमि
आवंटित कर सर्किल रेट के 100 प्रतिशत
प्रीमियम लेकर एवं 10 प्रतिशत सामान्य
वार्षिक किराये की दरों पर 90 वर्ष के लिये
30-30 वर्ष के दो अनुवर्ती नवीनीकरण किराये
में 50 प्रतिशत की वृध्दि के साथ
सम्बन्धित विभाग के पक्ष में पट्टे पर
आवंटित की जायेगी। लेकिन शर्त यह होगी कि
इन सुविधाओं के लिये उपलब्ध करायी गयी
नजूल भूमि का उपयोग सम्बन्धित विभागउपम
स्वयं करेंगे और नजूल भूमि का उपयोग भिन्न
प्रयोजन में किये जाने की दशा में
सम्बन्धित विभाग नजूल भूमि का कब्जा पट्टा
दाता को वापस कर देगा अन्यथा पट्टा स्वमेव
निरस्त समझा जायेगा।
उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद तथा
प्राधिकरणों को आवासीय योजनाओं हेतु नजूल
भूमि सर्किल रेट के 100 प्रतिशत की दर पर
सम्बन्धित विभाग के पक्ष में विय कर दी
जायेगी किन्तु शर्त यह होगी कि प्रश्नगत्
आवासीय योजना में कम से कम 50 प्रतिशत
मकान ई0डब्लू0एस0एल0आई0जी0 श्रेणी के मकान
बनाये जायेंगे और यह भी शर्त होगी कि
उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषदविकास
प्राधिकरण इस नजूल भूमि को निजी क्षेत्र
अथवा संस्थाबिल्डर को विकास, निर्माण या
विय हेतु नहीं दे सकेंगे। इसके अलावा निजी
क्षेत्र के लिये नजूल भूमि पूर्ववत् नीलामी
के आधार पर ही उपलब्ध होगी।
नजूल भूमि के पट्टा आवंटनविय के आदेश शासन
द्वारा निर्गत किये जायेंगे और शासनादेश
निर्गत होने की तिथि को प्रभावित सर्किल
रेट के आधार पर सम्बन्धित विभागउपम के
नजूल भूमि का आंकलित मूल्य प्राप्त कर
जनपद लखनऊ में उपाध्यक्ष, लखनऊ विकास
प्राधिकरण एवं अन्य जनपदों में जनपद के
जिलाधिकारी द्वारा पट्टाविय विलेख
निष्पादित किये जाने की कार्यवाही की
जायेगी और यदि इस मध्य सर्किल रेट
परिवर्तित होता है तो सम्बन्धित विभागउपम
से परिवर्तित सर्किल रेट के आधार पर नजूल
भूमि का आंकलित मूल्य लिया जायेगा।
शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा से
प्रशिक्षित किए जाने की योजना स्वीकृत
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री
मायावती जी की अध्यक्षता में आज सचिवालय,
एनेक्सी में सम्पन्न हुई मंत्रि परिषद की
बैठक में अप्रशिक्षित शिक्षामित्रों को
दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रशिक्षित
किए जाने की योजना को स्वीकृति प्रदान कर
दी है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के
यिान्वयन हेतु शिक्षामित्रों को दो वर्षीय
प्रशिक्षण नेशनल टीचर्स एजुकेशन बोर्ड के
मानकों के अनुसार दिलाया जायेगा।
मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित की गयी योजना
के अन्तर्गत स्नातक, अर्हताधारी
शिक्षामित्रों को प्रशिक्षित कराया जायेगा।
प्रशिक्षण विकेन्द्रीकृत व्यवस्था के स्तर
पर विकासखण्ड स्तर पर ब्लाक संसाधन
केन्द्र तथा नगर क्षेत्र में नगर शिक्षा
संसाधन केन्द्र पर कराया जाना है। दूरस्थ
शिक्षा प्रशिक्षण द्विवर्षीय होगा तथा इसमें
बी0टी0सी0 कोर्स राज्य सरकार द्वारा तथा
एन0सी0ई0टी0 द्वारा अनुमोदित कराने के
उपरान्त राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद
के मानको का पालन करते हुए पूरा कराया
जायेगा। प्रशिक्षणार्थियों को सतत् व्यापक
मूल्यांकन के आधार पर प्रशिक्षण पूरा कराया
जायेगा तथा अंतिम परीक्षा उत्तीर्ण होने
पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण
परिषद द्वारा आवश्यक प्रमाण पत्र जारी किया
जायेगा। राज्य शिक्षा संस्थान इलाहाबाद
द्वारा मूल्यांकन एवं परीक्षा कार्यम की
व्यवस्था की तैयारी की जा रही है। आगामी
जून, 2015 तक 01 लाख 24 हजार स्नातक
अर्हताधारी शिक्षामित्रों को जून, 2015 तक
प्रशिक्षित किए जाने का लक्ष्य है। जुलाई,
2011 में 62 हजार तथा जुलाई, 2013 में शेष
शिक्षा मित्रों को प्रशिक्षण दिलाया जायेगा।
यह प्रशिक्षण कार्यम केवल अप्रशिक्षित
शिक्षा मित्रों के लिए है, जो दोवर्षीय
होगा तथा दो चरणों में पूरा कराया जायेगा।
विकास खण्ड संसाधन केन्द्र एवं नगर शिक्षा
संस्थान केन्द्र, जो अध्ययन केन्द्र के
रूप में कार्य करेंगे पर 70-70 अभ्यार्थियों
को दो वर्षीय बैच दो चरणों में चलाये
जायेंगे। शिक्षा मित्रों के प्रशिक्षण हेतु
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय
चयन समिति गठित की गयी है। प्रशिक्षण हेतु
04 सितम्बर, 2001 के पूर्व के शिक्षा
मित्रों को चयन में वरीयता नहीं प्रदान की
जायेगी तथा यह सुनिश्चित किया जायेगा कि
अग्रेतर अप्रशिक्षित शिक्षक को किसी भी दशा
में भर्ती न किया जाए। प्रशिक्षणार्थियों
के नामांकन एवं पंजीकरण हेतु 100 रूपये
प्रति प्रशिक्षणार्थी तथा परीक्षा शुल्क
के रूप में 300 रूपये प्रति प्रशिक्षार्थी
लिया जायेगा। यह धनराशि बैंक खाते में जमा
की जायेगी तथा निदेशक राज्य शैक्षिक
अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान से आवश्यक
निर्देश प्राप्त होने पर इसका उपयोग किया
जा सकेगा। शिक्षा मित्रों को प्रशिक्षण की
अवधि में मानदेय यथावत देय होगा, किन्तु
ब्लाक शिक्षा संसाधन केन्द्र तथा नगर
शिक्षा संसाधन केन्द्र पर होने वाले
कॉन्ट्रैक्ट प्रोग्राम में शिक्षा मित्रों
को भोजन एवं ठहरने की व्यवस्था स्वयं करनी
होगी।
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