लखनऊ।
03 जुलाई। (UPSS)।
बसपा के बागी स्वामी प्रसाद मौर्या शुक्रवार को अपने
‘बिग शो’ के बाद अब खुद के लिए बड़ा दरवाजा खोलने की
फिराक में हैं। वह कार्यकर्ता सम्मेलन में आई भीड़ से
उत्साहित हैं, इसलिए अब नये तरीके से व्यूह रचना तैयार
करने में जुट गये हैं। मौर्या ने अपने इस शो से बसपा
समेत सपा भाजपा और कांग्रेस को बता दिया है कि उनको बड़े
दलों की जरूरत नहीं है बल्कि बडे़ दलों को स्वामी की
जरूरत है। यही नहीं, राजनीतिक दलों को यह भी संदेश दे
दिया है कि ‘‘अभी तो यह टेªलर है, पिक्चर अभी बाकी है।
उत्साहित स्वामी प्रसाद मौर्या कह चुके हैं कि वह अब 22
सितम्बर को रमाबाई अम्बेडकर मैदान में ‘मेगा शो’ कर
मायावती के घमंड को तोड़ने काम करेंगे।
समर्थकों की भीड़ से उत्साहित हैं मौर्य
दरसअल शुक्रवार को हुए कार्यकर्ता सम्मेलन को लेकर स्वामी
प्रसाद मौर्या को उम्मीद नहीं थी कि इतनी बड़ी संख्या
में कार्यकर्ता पहुंचेगे। हैरान वाली बातयह थी यह
कार्यकर्ता यूपी के विभिन्न जिलों से तो आये ही थे बल्कि
दिल्ली, राजस्थान, मप्र और सिक्किम तक से आकर यहां पहुंचे
थें। यहीं नहीं, मंच पर वो सभी लोग मौजूद थें जिनका टिकट
मायावती ने काट दिया है अथवा वो पदाधिकारी जो पार्टी से
बाहर किए गये। इनमें सत्येन्द्र राजभर (बलिया ), रमा
शंकर विद्यार्थी (देवरिया),भीम राजभर ( मऊ), मोहन राजभर
(वाराणसी) भीम निषाद (जौनपुर), बलराम मौर्या (फैजाबाद),
अरविन्द मौर्या ( बाराबंकी ) लाखन सिंह सैनी ( मुरादाबाद),
अनिल मौर्या (वाराणसी ) विनय शाक्या (औरया ), अब्दुल
मन्नान (हरदोई), उदय लाल मौर्या विधायक ( वाराणसी)
संतराम कुशवाहा विधायक ( जालौन ) रमेश कुशवाहा विधायक (
ललितपुर ) उत्कृष्ट मौर्या (ऊंचाहार) की मौजूदगी स्वामी
प्रसाद मौर्या को तसल्ली देने का काम कर रही थी।
आप की तर्ज पर बना रहे हैं
रणनीति
माना जा रहा था कि मौर्या कार्यकर्ता सम्मेलन में दल
बनाने को लेकर घोषणा करेंगे लेकिन उन्होने ऐसा न करके
राजनीतिक दलों की बेचैनी को और बढाने का काम किया है।
स्वामी ने आम आदमी पार्टी की तर्ज पर कोई फैसला लेने के
लिए एक पर्चा वितरित किया। जिसमें कार्यकर्ताओं का पता
विधानसभा क्षेत्र मोबाइल नम्बर आदि का जिक्र किया गया
है। स्वामी बहुत फूंक फंूककर कदम रख रहे हैं, वह ऐसी कोई
गल्ती नहीं करना चाहते है जो पूर्व में बसपा से निकाले
गये दूसरे नेता कर चुके है। बसपा के बागियों और अन्य
पिछड़े वर्ग के नेताओं ने जल्दबाजी में पार्टी तो बना ली
लेकिन उनका राजनीतिक भविष्य फिर चमक नहीं पाया। मौर्या
नहीं चाहते हैं कि वह भी डा मसूद आर.के. चौधरी, राज
बहादुर, जंग बहादुर पटेल, भगवत पाल, की श्रेणी में शामिल
होकर राजनीति की दिशा में भटकते नजर आयें। अब सवाल यह है
कि क्या मौर्या भी इन्हीं की जमात में शामिल होंगे?
स्वामी ने फिलहाल अपनी राजनीतिक चतुरता का परिचय देते
हुए सपा और भाजपा पर हल्का फुल्का प्रहार कर विकल्प खुला
रखा है।