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भीमसेन मन्दिर जहां से खाली नहीं जाता कोई सवाली
Tags:  U.P.Samachar Sewa, U.P. News,  Mainpuri, Mandir Bhimsen
Publised on : 31 July 2016,  Last updated Time 21:16

पाण्डवों ने विठूर जाते समय किया था यहां विश्राम
मंदिर में एक साथ मौजूद है हिन्दू-मुस्लिम संत की मजार
मैनपुरी, 31 जुलाई । (उप्र समाचार सेवा)। महर्षि मयन, च्यवन और मारकण्डेय की तपोभूमि मैनपुरी आध्यात्मिक रूप से बेहद सम्पन्न है और इस सम्पन्नता को आसमान की ऊंचाइयों तक ले जाने का कार्य कर रहा है अति प्राचीन मन्दिर श्री भीमसेन जी महाराज।
शहर में घनी आबादी के बीच मोहल्ला गाड़ीवान स्थित उक्त मन्दिर जनपद वासियों की भगवान शिव के प्रति अगाध श्रद्धा का केन्द्र है। यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं की
री ीड़ उमड़ती है। सोमवार के दिन तो श्रद्धा और विश्वास का नजारा दर्शनीय होता है। यह मन्दिर कब बना इस बात की जानकारी किसी को नहीं। अलबत्ता मन्दिर के साथ किवदन्तियां जरूर जुड़ी हुई है। कहते है कि कौरवों द्वारा अज्ञातवास पर ोज दिये जाने के बाद पाण्डव बिठूर जाते समय कुछ समय के लिये यहां ठहरे थे। बताते है कि करीब दो सौ वर्ष पूर्व पुजारी नरोत्तम दास ने मन्दिर में आकर गवान शिव की सेवा का कार्य प्रारम् कर दिया। एक बार जब महाशिवरात्रि के पर्व पर मन्दिर में गवान ीमसेन का ण्डारा चल रहा था ती अचानक मुस्लिम संत गुलाब खां वहां आ पहुंचे और खीर परोसने वाले व्यक्ति के आगे अपना पात्र रख दिया। वहां मौजूद क्तों को यह देखकर ारी हैरानी हुई कि लगातार परोसने के बाबजूद संत गुलाब खां का पात्र खीर से र ही नहीं रहा था। जब यह जानकारी मन्दिर के पुजारी नरोत्तमदास को मिली तो वे अपना कमण्डल लेकर वहां आ पहुंचे और संत गुलाब खां को खीर परोसने लगे। लोगों के विस्मय क ा उस समय ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने देखा कि न तो कमण्डल से खीर खत्म हो रही है और न मुस्लिम संत का पात्र ही र रहा है। कुछ देर बाद दोनों संत एक दूसरे के गले मिले और फिर गुलाब खां ी इसी मन्दिर में रहने लगे। मन्दिर में संत गुलाब खां की समाधि आज ी देखी जा सकती है। सांप्रदायिक सौहार्द्र की नगरी मैनपुरी के लिये ीमसेन मन्दिर एक ऐसी शक्ति पीठ के समान है जो लोगों को बुराईयों से दूर एक नेक इंसान बनने की प्रेरणा देता है।
 

   
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News source: UP Samachar Sewa

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