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  विधायक निधि से धन दें तो चल सकता है विस का अपना चैनल
Tags: UP Vidhan Sabha TV Chanal
News source:  U.P.Samachar Sewa
Publised on :  15 June  2012, Time: 20: 13

Lucknow, 15 June  2012, UPSS , लखनऊ, 15 जून। (उप्रससे)।  प्रदेश के विधायक यदि अपनी निधि से धन देने का आश्वासन दें तो राज्य विधान सभा अपना निजी टीवी चैनल शुरु कर सकती है। यह आश्वासन आज विधान सभा में अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डे और संसदीय कार्य मंत्री मो.आजम खान ने कही। लोकसभा की भांति चैनल शुरु करने का प्रस्ताव बसपा के राजेश त्रिपाठी ने शून्य प्रहर में प्रस्तुत किया था।
सदन में प्रस्ताव रखते हुए श्री त्रिपाठी ने कहा कि लोकसभा की भांति ही विधान सभा का अपना टीवी चैनल होना चाहिए। इस पर विधायकों द्वारा उठायी जा रहीं क्षेत्रीय समस्याओं और उनकी मांगों को सीधे प्रसारण से जनता देख सकेगी। इससे क्षेत्र का लाभ होगा तथा विकास में योगदान होगा। श्री त्रिपाठी ने कहा कि लोकसभा ने इस तरह की व्यवस्था की है। इसपर विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डे ने कहा कि यह व्यवस्था धनाभाव के कारण लागू नहीं की जा सकती है। उन्होंने बताया पिछली बार जब वे अध्यक्ष थे तो उन्होंने लोकसभा के स्पीकर से मिलकर बात की थी। उन्होंने स्पीकर से मांग की थी कि यदि लोकसभा धन का सहयोग कर दे तो ऐसी व्यवस्था राज्य में की जा सकती है। उन्होंने विधायकों से कहा कि वे विचार कर लें कि क्या अपनी निधि से इस तरह के चैनल के लिए धन दे सकते हैं।
संसदीय कार्य मंत्री मो.आजम खान ने कहा कि चैनल पर सीधा प्रसारण करना उचित नहीं है क्योंकि फिर जनता यहां की हर गतिविधि पर नजर रखेगी। इससे सदस्यों को ही कष्ट होगा। उन्होंने कहा कि धन भी एक समस्या है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री इस तरह की व्यवस्था पर सहमत हैं कि चैनल होना चाहिए। लेकिन इसका क्या स्वरुप होगा इस पर विचार किया जाएगा। अपना चैनल शुरु करने के लिए विधायकों से निधि प्राप्त करने की बात को अधिकांश सदस्यों ने नकार दिया।
बेरोजगारी भत्ते पर भाजपा ने सरकार को घेरा
लखनऊ, 15 जून। (उप्रससे)। बेरोजगारी भत्ते पर भारतीय जनता पार्टी ने आज विधान सभा में सरकार की घेराबंदी की। पार्टी के सदस्यों ने सरकार पर युवा बेरोजगारों के छल किये जाने का आरोप लगाया। भाजपा सदस्यों ने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने घोषणा पत्र में वादा करके भी युवाओं को भत्ता देने में भेदभाव किया है।
भाजपा के सुरेश खन्ना ने तारांकित प्रश्न करके सरकार से पूछा कि बेरोजगारी भत्ता देने की प्रदेश सरकार की क्या योजना है। इसके उत्तर में श्रम एवं सेवायोजन मंत्री वकार अहमद शाह ने बताया कि ऐसे बेरोजगार जिनकी आयु तीस से चालीस साल के बीच है। उन्हें एक हजार रूपये प्रतिमाह भत्ता दिया जाएगा। इसपर पूरक प्रश्न पूछते हुए सुरेश खन्ना ने कहा कि सपा ने वादा किया था कि वह सभी बेरोजगारों को भत्ता देगी। अब सरकार ने तीस साल की आयु सीमा निर्धारित की है। जबकि इसकी आयु सीमा 18 वर्ष होनी चाहिए। उन्होंने मांग की कि आयु सीमा को घटाया जाना चाहिए। सरकार ने 18 से तीस साल के युवाओं के साथ छल किया है।
चीनी मिलों की बिक्री पर नहीं हो सकी चर्चा
लखनऊ, 15 जून। (उप्रससे)। कार्यमंत्रणा समिति में समय निर्धारित होने के बावजूद आज सदन में चीनी मिलों की बिक्री पर चर्चा नहीं हो सकी। मिलों की बिक्री पर चर्चा के लिए आज एक घण्टे का समय निर्धारित था किन्तु मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण चर्चा नहीं हुई।
ज्ञातव्य है कि राज्य की यूपी स्टेट शुगर कार्पोरेशन की चीनी मिलों को पोंटी चढ्डा को बेचे जाने के मामले में अरबों के घोटाले पर गत बुधवार को एक प्रश्न के उत्तर में सरकार ने कह दिया था कि चीनी मिलों की बिक्री में कोई अनियमितता नहीं हुई है। इस पर विपक्ष ने बवाल कर दिया था क्योंकि चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने इसे मुद्दा बनाया था। इस मामले में सरकार की किरकिरी होने के बाद कल शाम अध्यक्ष ने कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में तय किया कि इस पर एक घण्टे की चर्चा करायी जाएगी। चर्चा का प्रस्ताव भाजपा के हुकुम सिंह ने प्रस्तुत किया था।
आज सदन में जब चर्चा का समय आया तो अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि चूंिक यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इसलिए इस लिए इस पर चर्चा नहीं कराने के लिए गन्ना मंत्री का पत्र आया है। इसी आधार पर चर्चा स्थगित कर दी गई। हालांकि हुकुम सिंह का तर्क था कि सर्वोच्च न्यायालय में मामला अधिनियम को लेकर विचाराधीन है बिक्री की प्रक्रिया से इसका कोई मतलब नहीं है। इसलिए चर्चा करायी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि चीनी मिलों की बिक्री में तत्कालीन सरकार ने भारी धांधली की है। दस चीनी मिलों को भी 11 बंद चीनी मिलों के दाम में ही बेच दिया गया। इसके अलावा चीनी मिलों की भूमि और उपकरणों के मूल्य भी कम करके आंके गए। इससे राज्य सरकार को अरबों रुपये के राजस्व की हानि हुई है। चीनी मिलों पर चर्चा नही कराये जाने को लेकर हुकुम सिंह भी बाद में अध्यक्ष के निर्णय से सहमत हो गए।

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