लखनऊ,26
जून। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद,उ.प्र. के घटक संगठनों
के प्रतिनिधियों ने आज कहा कि सातवें वेतन आयोग की
सिफारिशों में व्याप्त विसंगति और पुरानी पेंषन बहाली
सहित कई मुद्दों पर केन्द्र और राज्य कर्मचारियों ने
एकजुट होकर सरकार के खिलाफ आन्दोलन का मूड बना लिया है।
11 जुलाई से देश व्यापी अनिष्चित कालीन हड़ताल और उसके
परिपेक्ष्य में 28 जून को चारबाग स्टेशन के प्रागण में
प्रदेश स्तरीय रैली का निर्णय लिया गया है।
परिषद के घटक संघों की बैठक के उपरान्त परिषद के नेता
हरिकिषोर तिवारी ने बताया कि केन्द्रीय सातवें वेतन आयोग
1 जनवरी 2016 से केन्द्रीय कर्मचारियों पर लागू होना है
यह वेतन आयोग प्रत्येक 10 वर्ष के अन्तराल पर सम्वर्गीय
ढॉचें और पदानुरूप कार्यो तथा मंहगाई सूंचकाक के
मद्देनजर वेतन एवं भत्तों का निर्धारण करात है इसमें
कर्मचारी/ अधिकारी अपने परिवार का भरण पोषण किस प्रकार
से कर सकेगा इसका पूरा आगणन बनाकर निर्धारण किया जाता
है। इसमें जो विसंगतियॉ वेतन आयोग द्वारा होती है उनका
संगठन स्तर पर बैठक कर उचित निर्णय कराया जाता है।
उत्तर प्रदेष सरकार के साथ राज्य कर्मचारियों का समझौता
है कि केन्द्रीय वेतन आयोग के अनुरूप ही राज्य कर्मियों
के वेतन का निर्धारण किया जाएगा। राज्य कर्मियों का मानना
है कि अधिकतर खामियॉ यदि केन्द्र स्तर पर ही दूर कर दी
जाए तो उसका बिना किसी गति अवरोध के सीधा फायदा राज्य
कर्मचारियों को होगा। केन्द्रीय एवं राज्य कर्मचारियों
में विगत वर्षांे में एकजुट होकर बड़ आन्दोलन न करने के
कारण ही अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही पेंशन व्यवस्था
समाप्त हो गईै। परन्तु अब रेलवे, आयकर,पोस्ट,रक्षा
सिविलियन, केन्द्रीय सचिवालय, दूरदर्षन, आकाषवाणी सहित
केन्द्रीय एवं निगम कर्मचारियों ने 35 वर्षो बाद एकसाथ
हड़ताल पर जाने हेतु कमर कसी है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश
ने भी इस हड़ताल में अपनी पूर्ण भागीदारी का निर्णय लिया
है। अतः 28 जून को चारबाग लखनऊ में होने वाले संयुक्त
प्रचण्ड प्रदर्षन में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद पूरी
ताकत से षामिल होगा।
इसी क्रम में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की राज्य
स्तरीय बैठक में सातवें वेतन आयोग में कर्मचारी विरोधी
सिफारिषें हटाते हुए उसे शीघ्र लागू किया जाए। न्यूनतम
वेतन 18000 हजार करते हुए उसे मूल सूंचकॉक से जोड़ा जाए।
पुरानी पेंषन व्यवस्था बहाल की जाए। गुप्र डी एवं सी के
रेगुलर प्रकृति के पदों की तत्काल भर्ती पूर्ण की जाए तथा
संविदा दैनिक वेतन, वर्कचार्ज,अंषकालीन, समायिक, आगनबाड़ी,
आषा बहुओं आदि कर्मचारियों की नियमित किया जाए। ठेकेदारी
प्रथा समाप्त कर उत्पीड़न बंद किए जाने जैसी मांगों पर
विस्तार से चर्चा कर इन्हें मुख्य मांगों में शामिल किया
गया हैं।
बैठक को चेयरमैन संघर्ष समिति शिवबरन सिंह यादव, वरिष्ठ
उपाध्यक्ष यदुवीर सिंह, संयूक्त मंत्री अविनाश चन्द
श्रीवास्तव, संगठन मंत्री संजीव गुप्ता, अमरजीत मिश्रा,
रामसुरेष सिंह, अषोक सिंह, उमेष राव, बी.एस. डोलिया,
अमिता त्रिपाठी, धर्मेेन्द्र सिंह, धर्मपाल साहू, आदि ने
सम्बोधित किया।इस बैठक में डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ,
उघान अधिनस्थ सेवा संध, अर्थ संख्या अधिनस्थ सेवा संघ,
ट्युबबेल टेक्निकल इम्पाइज एसोसिएषन, ड्राइंग स्टाफ
परिसंघ, केाषागार, राजस्व संग्रह अमीन, मलेरिया निरीक्षक,
आपूर्ति निरीक्षक, उपभोक्ता सहकारी संघ, राज्य उपभोक्ता
आयोग, न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान, आईटीआई,चकबंदी,
मुंषी संघ, शोध एवं तकनीकी सेवा, खाद्य प्रसंस्कारण
तकनीकि सेवा, अन्तरिक लेखा परीक्षा, आईसीडीएस सुपरवाइजर,
रोडवेज, मण्डी, प्रदूषण कन्ट्रोल ,समाज कल्याण
मिनिस्टीरियल, मलेरिया फाइलेरिया,एलटी, बीमा निदेशालय,
श्रम, शिक्षा मिनीस्टिीयल, चिटफण्ड, बीमा निदेषालय ,
आरटीओ, युवा कल्याण, प्राणी उद्यान, सूचना एवं जनसम्पर्क
विभाग, बॉटमाप, लिम्ब सेन्टर, नक्षत्रषाला, वित्तीय
प्रबंध प्रषिक्षण संस्थान, रिमोट सेसिंग, अभिलेखागार,
स्पोटर्स कालेज, बोरिंग टेक्निशियन, सिंचाई संघ,
वाणिज्यकर, डीआरडीए, गा्रम्य विकास अधिकारी, गन्ना
पर्यवेक्षक, पशुधन प्रसार, मत्स्य वन सहित लगभग 125
विभागों के पदाधिकारी शामिल थे।