अमरोहा।
भले ही मनमाफिक विभाग नहीं मिला लेकिन सरकार के मुखिया
ने महबूब अली की वफादारी और ताकत को जरूर परखा है। तीन
और विभाग मिलने से
सियासी गलियारों में उनककी ताकत बढ़ी है, इनमें भी
दो महकमे काफी महत्वपूर्ण हैं। मुख्यमंत्री की इस
मेहरबानी से उनके धुर विरोधियों को भी झटका लग सकता है,
जिससे कोई बड़ा फर्क उनकी सियासत पर नहीं पड़ता।
कुछ उतार-चढ़ावों को अगर छोड़ दें तो सपा को सियासत में
महबूब अली का सितारा हमेशा बुलंद रहा है। मुखालफत करने
वालों की लंबे समय तक दाल नहीं गली। जिला पंचायत अध्यक्ष
के चुनाव में पार्टी ने पुराने संबंध निभाते हुए
अगर टिकट
नहीं भी दिया तो
कछ ही दिनों
बाद उनक
बेटे
क
विधान परिषद में भेजकर
उनका
न
केवल इकबाल
बुलंद
किया, बल्कि
पार्टी में उनके
घटते रुतबे
की अटकलों
को भी
जल्द ही खारिज
कर दिया
गया। माध्यमक
शिक्षा विभाग से हटाकर
दूसरा महकमा
दिया गया था तब भी यही सियासी गलियारों में चर्चा थी
कि अब
मुख्यमंत्री और नेताजी
की नजर
में उनका
वजन
कम हो गया
है। लेकिन
मौका
मिलते ही मुख्यमंत्री ने फिर से तीन विभाग और थमाकर
विरोधियों
की जुबान
पर ताला लगा दिया। जो तीन विभाग उन्हे मिले हैं, उनमें
कौशल विकास
और व्यवसायिक
शिक्षा
कम महत्व
के नहीं
है, बल्कि
इनमें अब बड़ा
काम है और
अपनों
को उपकृत
करने
की अपार
संभावनाएं भी है। दूसरे यह विभाग
काजल
की
कोठरी भी
नहीं है, जिससे उनके
दामन पर
कालिख पडऩे
की
गुंजाईश बनती हो। दरअसल जिले
की सियासत
में महबूब अली
को खारिज
या नजरअंदाज
करना न तो
पार्टी
के लिए
आसान है और न ही विरोधियों
के लिए।
क्योंकि जनता पर जो पकड़
उनकी
है,
कई मौकों
पर वह साबित
कर चुके
हैं
कि पार्टी
का भी उन
पर
कोई बड़ा
असर नहीं पड़ता। वह जेल में रहते हुए समाजवादी पार्टी
के
उम्मीदवार
को
कुल छह
हजार वोटों पर समेटकर
विधायक
बन चुके
हैं तो इससे पहले वह
कांठ
विधान सभा क्षेत्र से भी निर्दलीय विधायक
रहे हैं। इसके
पीछे जनता
की गहरी
हमदर्दी ही खास वजह है।
कैबिनेट
मंत्री माध्यमिक
शिक्षा और परिवहन जैसे बड़े विभाग होते हुए भी महबूब अली
का
कोई शुक्रवार
लखनऊ में नहीं बीता। सोमवार से बृहस्पतिवार तक
लखनऊ में
काम
करने
के बाद वह
तीन दिन अपने क्षेत्र में लोगों
के बीच
बिताते आए हैं। लोगों
का
मान-सम्मान
करना भी
उन्होंने ही दूसरों
को सिखाया
है। ताकत
बढऩे
के साथ अहकार
नहीं बढ़ा, विरोधियों
की संख्या
बढऩे
की बजाय
उन्होंने
काम
करने पर
फोकस
किया।
नतीजा आज उनके
यहां बेशक
मुस्लिमों
की भीड़
बहुत रहती है, लेकिन
दूसरे लोग भी खुले मन से पहुंच रहे हैं। उनकी
यही अदा दूसरे अथवा प्रतिदंवंदियों
को बहुत
पीछे छोड़ देती है। अब पांच विभागों
के
कैबिनेट
मंत्री
की
जिम्मेदारी संभाल रहे महबूब अली से अब क्षेत्र
के न
केवल तेजी
से विकास
की तवकको
की जानी
चाहिए, बल्कि
लोगों
को अधिक
लाभ मिलने
की उम्मीद
करने में
भी
कोई बुराई
नहीं है।