लखनऊ।बहुजन
समाज पार्टी की नेता और पूर्व
मुख्यमंत्री मायावती ने न्यायालयों और
प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की एक बार
फिर मांग उठायी है। उन्होंने यहां एक
बयान जारी करके कहा है कि केन्द्र की
नरेन्द्र मोदी सरकार को आरक्षण पर
सफाई देने की बजाय दलितों और पिछड़ों
को आरक्षण को संविधान की मानवीय भावना
के अनुरूप लागू करना चाहिए। यह कागजी
दस्तावेज न होकर बल्कि मानवीय आधार पर
दलितों को मिला जीने का अधिकार है।उन्होंने
कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
स्मारकों संग्रहालयों की आड़ में
आरक्षण समाप्त करने की साजिश कर रहे
हैं।
उन्होंने कहा है कि
प्रधानमंत्री आरक्षण की व्यवस्था को
संविधान की नौंवी सूची में शामिल करें
तथा राज्य सभा से पारित प्रमोशन में
आरक्षण अध्यादेश को लोकसभा में भी
पारित कराएं। उन्होंने नरेन्द्र मोदी
के बयानों को जुमला करार देते हुए कहा
कि जब-जब आरएसएस और उनकी पार्टी के
लोगों के आरक्षण के विरोध में या इसकी
समीक्षा के सम्बन्ध में बयान आते हैं
तब-तब वे सफाई देते हैं। उन्हें
आरक्षण पर सफाई देने की बजाय अपने
नेताओ और आरएसएस पर अंकुशलगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री
अम्बेडकर और अन्य लोगों के नाम पर
स्मारक स्थापित करके इसकी आड़ दलितों
से आरक्षण की सुविधा छीनने का
षडयन्त्र कर रहे हैं। इस साजिश से
दलितों को सावधान रहना चाहिए।
मायावती ने कहा कि
कांग्रेस और भाजपा दोनों ने अपनी दलित
विरोधी मानसिकता के चलते आरक्षण की
मानवीय व्यवस्था को कभी भी पिछले 68
सालों से ईमानदारी पूर्वक और सही ढंग
से लागू नहीं होने दिया। इसी संकीर्ण
मानसिकता के चलते ये लोग आरक्षण की इस
व्यवस्था में कमियां निकालकर इसकी
समीक्षा की अनुचित और जातीवादी वातें
कर रहे हैं। इसमें आरएसएस और भाजपा की
कट्टर हिन्दूवादी विचारधारा साफ झलकती
है। ऐसी मानसिकता वाले लोगों को चाहिए
वे पहले भारत माता की सही संतानों
अर्थात दलितों और पिछड़ों आदि से माफी
मांगे कि वे शर्मिंदा हैं कि आरक्षण
का 50 प्रतिशत भी सही लाभ इन उपेक्षित
व शोषित लोगों को अब तक लगभग 68 वर्षों
में भी नहीं पहुंचा है।