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लखनऊ। हिन्दुस्तान में हिन्दी पत्रकारिता
के सम्मुख जो समस्याएं और चुनौतियां उदन्त
मार्तण्ड समाचार पत्र और उसके संपादक
जुगुल किशोर शुक्ल के समय में थीं आज भी
हिन्दी पत्रकारिता उन्हीं समस्याओं और
चुनौतियों से संघर्षरत है।
यह बातें हिन्दी पत्रकारिता दिवस के
उपलक्ष्य में हिन्दी पत्रकारिता की
समकालीन चुनौतियां और संभावनाएं विषयक
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते
हुए लखनऊ पत्रकारिता एवं जनसंचार संस्थान
के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने सीएमएस
सभागार में व्यक्त किये। उन्होंने आगे कहा
पत्रकार वह है जो निष्ठा, लगन और सामाजिक
सरोकार के प्रति स्वयं को अर्पित करता है।
पत्रकार तो दिए की तेल की तरह होता है तेल
की अनुपस्थिति में वह जलेगा क्या।
रायटर्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित
इस संगोष्ठी मुख्य अतिथि के रूप में बोलते
हुए प्रख्यात शिक्षाविद डॉ जगदीश गांधी ने
कहा कि हिन्दी पत्रकारिता भी वर्तमान समय
में आर्थिक संसाधनों और बाजारवाद का सामना
कर रही है निश्चित ही चुनौतियों के बावजूद
इसमें ही अपार संभावनाएं भी निहित हैं।
विशिष्ट अतिथि के तौर पर सांस्कृतिक विभाग
के पूर्व सलाहकार और राज्य मंत्री रहे
संदीप बंसल ने अपने संबोधन में कहा कि
हिन्दी पत्रकारिता विश्वसनीयता की धुरी
है। पत्रकारिता न सिर्फ राजनीतिक परिवर्तन
का हिस्सा है बल्कि यह सामाजिक परिवर्तन
में भी सहायक है. बदलते दौर में भी हिन्दी
के अखबारों का महत्व कम नहीं होगा. वरिष्ठ
पत्रकार और चिन्तक स्वर्णकेतु भारद्वाज ने
अध्यक्षता करते हुए कहा कि सत्यनारायण
शुक्लजी हमेशा कुछ बड़ा और अलग करने की
प्रवृत्ति के हिमायती थे वो आज हमारे बीच
नहीं है उनकी कमी पूरी होना असंभव है।
चुनौतियां झेलनी पडतीं हैं तथा समाज में
हिन्दी पत्रकारिता की राह में रुकावटें भी
बहुत हैं इसके बावजूद भी हिन्दी पत्रकारिता
अपने शीर्ष पर कायम है। वरिष्ठ पत्रकार और
जनयुग के संपादक डॉ आशीष वशिष्ठ ने कहा कि
हिन्दी पत्रकारिता के साथ साथ आज पूरी
पत्रकारिता ही संक्रमण के दौर से गुजर रही
है जब मैनेजर संपादक की कुर्सी पर काबिज
होगा तो चुनौतियां तो पहाड़ बनकर खडी ही
होंगी. हम विश्वासहीनता के दौर से गुजर रहे
हैं।
इसके अलावा अहमद इब्राहिम अल्वी, संपादक
उर्दू आग, पं.हरिओम शर्मा हरि, संपादक
पब्लिक की आवाज अरुण गोरखपुरी, संपादक
सर्वप्रथम, पूर्व राजभाषा अधिकारी आकाशवाणी
नई दिल्ली डॉ कृष्ण नारायण पाण्डेय, मंडे
रिव्यू के संपादक मो इकबाल, एस एन शुक्ल
के सुपुत्र कुमार विश्वास, लालता प्रसाद
आचार्य ने भी अपने विचार व्यक्त किये।संगठन
के उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने इस अवसर
पर सत्यनारायण शुक्ल स्मृति हिन्दी
पत्रकारिता सम्मान शुरू किये जाने की घोषणा
की। कार्यक्रम का सफल संचालाल तेजस्वी
कथाकार शुचिता श्रीवास्तव द्वारा किया गया। |