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बरेली,09
अक्टूबर । (उप्रससे)।
Bareilly, Oct 09 2011.जल्द ही
रुहेलखंड परिक्षेत्र में मेडिकल कॉलेज खोला
जाएगा। इसके लिए शासन स्तर पर विचार चल रहा
है। इसके अलावा नए साल में प्रदेश में तीन
नए मेडिकल कॉलेज शुरू हो जाएंगे। जालौन,
कन्नौज और सहारनपुर में मेडिकल कॉलेज की
बिल्डिंग बनकर तैयार है। राज्य के चिकित्सा
शिक्षा महानिदेशक डॉ. सौदान सिंह ने
पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी।
वह शनिवार को रूहेलखंड मेडिकल कॉलेज एंड
हॉस्पिटल में दो दिवसीय पैथकॉन-2011 शामिल
होने में बरेली आये थे
डॉ. सिंह ने बताया कि 40 साल से प्रदेश
में कोई नया मेडिकल कॉलेज नहीं खुला था।
राज्य में डॉक्टरों की कमी पूरी करने के
लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। डॉॅ.
सिंह ने प्रदेश में टीबी के रोगियों की
बढ़ती संख्या से इनकार किया। उन्होंने कहा
कि इसके उपचार के लिए अस्पतालों में डॉट्स
उपलब्ध है। डॉ. सौदान सिंह ने बताया कि
प्रदेश में डॉक्टरों की कमी दूर करना
सरकार की प्राथमिकता में है। गोरखपुर, आगरा
और झांसी के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस
की 50-50 सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया गया
है। मेरठ में 100 की जगह 150 और कानपुर
में 190 की जगह 250 सीटों का प्रपोजल इसी
महीने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई)
को भेजा गया है। इसके साथ ही एमडी में 604
सीटों में 174 सीटों की बढ़ोत्तरी का
प्रपोजल भी एमसीआई को भेज दिया गया है।रूहेलखंड
मेडिकल कॉलेज में दो दिवसीय पैथकॉन-2011
में भाग लेने पहुंचे टाटा मेमोरियल सेंटर,
कोलकाता के हिमैटोलॉजी के विभागाध्यक्ष
डॉ. डीके मिश्रा ने कहा कि देश की 35
प्रतिशत महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं।
20-25 प्रतिशत स्कूल जाने वाले बच्चे
एनीमिया से पीड़ित हैं।उन्होंने कहा कि
विकासशील देशों में संतुलित भोजन न लेने
से ज्यादा दिक्कतें आ रही हैं। प्रमुख डा.
डीके मिश्रा ने बताया कि देश में 20
प्रतिशत स्कूली छात्र एनिमिक हो रहे हैं।
वजह है संतुलित डाइट का अभाव। अभिभावक
बच्चों को ताकतवर बनाने के लिए दूध, दही,
पनीर आदि खिलाते है, लेकिन उसे पता ही नहीं
कि इसमें आयरन नहीं होता। इसके बावजूद
बच्चों में खून की कमी पाइ जाती है और वह
कमजोर हो जाता है। डा. मिश्रा ने बताया कि
केला, खजूर, आंवला, पालक और हरी सब्जियां
जरूर खाई और खिलाई जाए जिससे शरीर में
आयरन की कमी न हो। अब तो सरकार ने भी
मुहिम छेड़ दी है। बाजार में आटा बेचने
वाली कई कंपनियां आटे में आयरन मिलाकर बेच
रही है।
श्री मिश्रा ने कहा, लापरवाही ने हमें
बीमार कर दिया है। अब चेतना चाहिए नहीं तो
मर्ज बढ़ता जाएगा। पैथोलॉजी लैब में खून
की जांच में फर्क होने की वजहों पर
उन्होंने कहा कि लोगों को इसके प्रति
जागरूक होना होगा और देखना होगा कि वह लैब
नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर लैबोरेटरी (एनएबीएल)
से मान्यता प्राप्त है या नहीं। उन्होंने
कहा कि एनीमिया को दूर करने के लिए
क्वालिटी ऑफ फूड में सुधार करना होगा। डॉ.
मिश्रा ने कहा कि युवकों में 12 ग्राम और
युवतियों में 11 ग्राम हीमोग्लोबिन होना
चाहिए। पीजीआई चंडीगढ़ से आईं डॉ. एस
राधिका ने महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर
के बारे जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बदलती
जीवनशैली ने महिलाओं में तमाम तरह के मर्ज
बढ़ी दिए हैं। इससे गर्भाशय के कैंसर में
भी बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने जांचों के
बारे में जरूरी जानकारी दी। केजीएमयू लखनऊ
से आईं डॉ. मधुमति गोयल ने मुंह की गांठों
का चित्र प्रदर्शित किया। उन्होंने कहा कि
इस रोग की मुख्य वजह तंबाकू है। इलाहाबाद
मेडिकल कॉलेज की पैथोलॉजी की हेड डॉ.
वत्सला मिश्रा ने पाचनतंत्र नलिका में होने
वाली बीमारियों के बारे में जानकारी दी।
कॉलेज के पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थियों ने
तमाम विषयों पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन
दिए। पंडाल में चिकित्सा उपकरणों की
प्रदर्शनी भी लगाई। दो दिवसीय पैथकॉन-२०११
क उद्घाटन राज्य के चिकित्सा शिक्षा
महानिदेशक डा. सौदान सिंह ने किया। इस
अवसर पर सांसद प्रवीन सिंह ऐरन, रूहेलखंड
मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के डा. केशव
अग्रवाल, प्रेसीडेंट डा. अशोक अग्रवाल,
मेडिकल सुपरिटेंडेंट आर्गेनाइजिंग चेयरमेन
डा. रंजन अग्रवाल, पैथोलोजी विभाग की डा.
कल्पना सिंह व समस्त पैथोलोजी स्टाफ मौजूद
था। |