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बरेली, 23 अक्टूबर। (उप्रससे)।
सीजेएम कोर्ट को पत्र लिखकर वाहन
दुर्घटनाओं के क्लेम संबंधी मामलों का
ब्योरा मांगना एसपी (ट्रैफिक) कल्पना
सक्सेना को भारी पड़ा। अदालत के इसे
अवमानना करार देने के बाद उन्हें दोबारा
पत्र लिखकर खेद जताना पड़ा।
एसपी कल्पना सक्सेना ने नौ सितंबर को
सीजेएम एके वशिष्ठ को पत्र भेजकर वाहन
दुर्घटना क्लेम केसेज के बारे में सूचना
मांगी थी। उन्होंने पत्र में लिखा, ‘मुझसे
यह सूचना अपर पुलिस महानिदेशक और पुलिस
निदेशक यातायात लखनऊ ने मांगी है। यह सूचना
भारत सरकार को भेजी जानी है। यह सूचना अभी
तक आपके द्वारा प्राप्त नहीं करायी गई है,
जिस कारण मुझे बड़े अधिकारियों को सूचना
भेजने में विलंब हो रहा है। कृपया तत्काल
सूचना उपलब्ध कराएं ताकि इसे समय से उच्च
अधिकारियों को भेजा जा सके।’
सीजेएम ने 17 अक्टूबर को एसपी कल्पना
सक्सेना को उनके पत्र के जवाब में लिखा,
‘किसी भी मामले में न्यायालय को पत्र लिखना
अवमानना की श्रेणी में आता है। आपको 13
सितंबर को पत्र प्रेषित किया गया कि आप 14
सितंबर को अदालत में स्वयं उपस्थित होकर
स्पष्ट करें कि आपके द्वारा अदालत से क्या
सूचना चाही गई है।
अदालत में न आप स्वयं ही उपस्थित हुई, न
ही आपने इस विषय में कोई आख्या दी।’
सीजेएम ने यह आदेश भी दिया कि आप 19
अक्टूबर को अदालत में उपस्थित होकर स्पष्ट
करें कि अदालत से आपने क्या सूचना मांगी
है। सीजेएम ने इस पत्र की प्रतिलिपि
महानिबन्धक उच्च न्यायालय इलाहाबाद, डीजीपी,
आईजी बरेली और डीआईजी बरेली को भी भेजी।
एसपी ने इसके बाद 19 अक्टूबर को अदालत को
पत्र भेजकर खेद जताया। इसमें कहा, ‘अदालत
से पत्र व्यवहार करने के पीछे उनकी अदालत
की अवमानना करने का कोई मंशा नही थी, फिर
भी यदि उपरोक्त प्रक्रिया से माननीय
न्यायालय को कोई असुविधा हुई है तो इसके
लिए उन्हें खेद है। गौरतलब है कि पिछले
दिनों अदालत से पत्र व्यवहार करने पर इफ्को
आंवला के पूर्व एजीएम को भी अदालत में पेश
होकर माफी मांगनी पड़ी थी। |