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जिम्मेदार अधिकारी मौन,लाखों रूपये की
पट्टी, दवा बैंडेज व काटन चादर,
सुलतानपुर, 25 अक्टूबर (उप्रससे) : जिले
का महिला चिकित्सालय अव्यवस्थाओं का शिकार
हो गया है। महिला मरीजों की जितना अनदेखी
यहॉ होती है इतना शायद और कहीं नहीं होता
होगा। अव्यवस्था का आलम यह है कि महिलाओं
का प्रसव भी बेड की अनुपलब्धता के चलते
बरामदे में ही हो जाता हैं।
कुछ महिला मरीजों के तीमारदारों ने यह
बताया कि वहां पर उपस्थित कर्मचारी महिला
को भर्ती करने के लिए उन्हें सुविधा शुल्क
दे देता है तो उनके मरीज को तुरन्त भर्ती
कर लिया जाता है। भ्रष्टाचार का आलम यह है
कि ग्रामीणांचल व शहरी मरीजों को सारी की
सारी दवाइयॉ बाजार से खरीदनी पडती है।
मरीजों का आर्थिक शोषण खुलेआम किया जा रहा
है।
महिला अस्पताल का हालत यह है कि मरीजों को
मिलने वाला सरकारी सुविधा पर सीएमएस महिला
डॉ.विनीता का पूरा का कबा बन गया है ।
सीएमओ डॉ. रामगोपाल का डण्डा अपनी मर्जी
के मालिक महिला डाक्टर पर नहीं चल पा रहा
है। गौरतलब हो कि सी.एम.एस. द्वारा
प्रतिमाह लाखों की दवायें व सर्जिकल के
निडिल,यूरिनबैग,काटन बैन्डेज की सरकारी
खरीद कागजों पर की जा रही है, जबकि महिला
मरीजों को अस्पताल से न दवा मिलती है,न ही
रक्त स्राव के समय काटन व बैण्डेज ही मिलता
है। यहां तक कि ग्लूकोज बोतल (डी.एन.एस.)
व एनीमा भी मरीजों का बाहर से खरीदना पड
रहा है। इसके विपरीत इस महिला चिकित्सालय
में कीमती-कीमती दवायें जैसे ओ-फ्लाक्साटिस
200, नीयमो स्लाईड, पैरासिटामा, आयरन,
कैल्शियम तक बाहर से खरीदना पडता है, और
तो और डिस्पोजल सिरिंज, स्प्रिट, कैथेटर,
बीगों सेट तक मरीजों के परिजनों को खरीदना
पडता है।
जबकि महिला सी.एम.एस. ने मार्च में लगभग
14 लाख रूपये की दवा, पट्टी की खरीद की
थी। वहीं दूसरे माह 6 लाख रूपये की दवा
पट्टी खरीदी की गई। मगर मरीजों को नहीं दी
जाती, आखिर लाखों की काटन व बैण्डेज कहां
जा रही है। अगर सप्लाई आई है, तो अस्पताल
के स्टाक बोर्ड पर लगना चाहिए। मगर न तो
पूरे कैम्पस में स्टाक बोर्ड है, न ही
दीवारों पर उपलब्धता दिखाई जाती है। सारी
कीमती दवाओं की खरीद केवल पर्चे, बिल्टी
पर ही हो रही है। वहीं मरीजों से भर्ती
शुल्क के अतिरिक्त मेहनताना वसूला जाता
है। अस्पताल में प्रतिवर्ष गद्दा, चादर,
कम्बल आदि की खरीद की जाती है। जिसमें लाखों
रूपये का सरकारी व्यय होता है। मगर कभी भी
बेडों पर दिखाई नहीं पडती है। अब तो
ज्यादातर नार्मल केसों में भी ऊपर की कमाई
के चक्कर में डयूटी की डाक्टर महिला मरीज
का आप्रेशन कर डाल रही है। उसमें भी
आप्रेशन से सम्बन्धित सामान बाहर से ही
तीमारदारों को लाना पडता है। और तो और
विभिन्न प्रकार की जांचें भी कमीशन सेट
पैथाोजी से कराई जाती है। यह सब कुछ मुख्य
चिकित्सा अधीक्षिका की संरक्षण में चल रहा
है। डॉक्टर ओटी में न बैठकर अपने सरकारी
आवास पर प्राईवेट प्रेक्टिस करती है।
सी.एम.एस. तो प्रतिदिन डयूटी टाईम में भी
सरकार को आम ग्रामीण मरीजों में बुरी तरह
बदनाम किया जा रहा है। सरकार द्वारा चलाई
जा रही जननी सुरक्षा योजना के फर्जी चेक
वाले भी प्रति चेक 400रू0 एडवांस लेकर दिये
जाते है। न ही मरीज की कोई पहचान, न फोटो,
सिर्फ पैसा देकर फर्जी पर्चा बनवाया और
20रू0 का डिस्चार्ज कार्ड बनवाकर योजना का
चेक दलाों के माध्यम से बांटा जा रहा है।
उसमें पूर्व में पारदर्शिता के चलते मरीजों
की फोटो लगाई जाती थी। उसे मुख्य चिकित्सा
अधीक्षिका व डॉक्टर प्रभावित करती थी। मगर
अब सब कुछ भ्रष्टाचार की भेंट चढ चुका
हैं। यहां तक कि टीकाकरण , टांका कटाई, दवा
प्ट्टी का भी पैसा वसूला जा रहा है। मरीजों
के तीमारदारों ने, नगर की शोषण की शिकार
महिलाओं और निवासियों तथा समाजसेवियों ने
स्वास्थ्य सचिव व मुख्यमंत्री से जांच कर
कठोर कार्यवाही करने की मांग की है।
पंचगव्य से बनी मूर्ति के पूजन से होती धन
की प्राप्ति
* हम इस दीवाली पर कैसे करें पूजन
सुलतानपुर, 25 अक्टूबर (उप्रससे) : जनपद
के बाजार मूर्तियों, खिलौनों से भरे पडे
है। सस्ते और मंहगाई में अच्छे है। मगर
हमारे धर्माचार्य व शास्त्री ने प्लास्टर
ऑफ पेरिस की मिट्टी से बनी देवी प्रतिमा
के पूजन को निष्प्रयोज्य मानते है और
पूर्णतया निषेध माना जाता है। कार्तिक मास
की अमावस्या को घर में ईसान कोण में लकडी
क़े चौकी पर स्वच्छ साफ वस्त्र बिछाकर
मिट्टी के बने पात्रों को इस वर्ष की नई
फस धान से निर्मित लाई, चूरा, खील भरकर
पीली मिट्टी अथवा पंचगव्य यानि, गाय का
गोबर, घी, दूध, दही, गोमूत्र से निर्मित
मां लक्ष्मी व अंगुष्ठ भर ऊंचाई वो गणपति
की प्रतिमा स्थापित कर पूजन करना चाहिए।
वहीं सोने, चांदी, पीतल व अष्ठधातु की
प्रतिमा भी पूजित की जाती है। ध्यान रहे
मां लक्ष्मी की प्रतिमा का स्थान गणपति जी
के दाहिने ओर हो।
एक कहावत है कि रहे भवानी (लक्ष्मी जी) सदा
दाहिने सन्मुख रहे गणेश। मां की पूजा
गृहस्थ जीवन में सुख सम्पति और निरोग रहने
के लिये की जाती है। वैसे तो आचार्य जी
कहते है कि यज्ञ और यात्राओं में खरीदी गई
देवी प्रतिमाओं की तीन बार से ज्यादा
खरीदारी वर्जित है। वहीं घर में इसे ज्यादा
प्रतिमाएं रखना भी वर्जित माना गया है।
पूर्व में पूजित प्रतिमाओं को व उनकी
साम्रगी को पूर्णमासी पर बहते जल में पेडाें
की जड में अथवा मन्दिर में विसर्जित कर
देना चाहिए। अमावस को यंत्र तंत्र, मंत्र
से विशेष पूजा भी की जाती है। यंत्र और
मंत्र के संयोग से तंत्र की सिध्द भी का
निशीथ का में मां काली की प्रतिमा के सामने
शुरू की सहमति और देखरेख में की जा सकती
है। घर में को तिल, गुलाब जल से युक्त जल
का छिडक़ाव कर पीली मिट्टी के दिये
यथायोग्य गाय के घी अथवा चमेली, गरी, सरसों
के तेल, तिल के तेल का दिया जलाना विशेष
शुभ रहता है। यह परम्पर श्री हरि विष्णु
के अवतार मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान
श्रीराम के विजय के उपरांत अयोध्या लौटने
पर समस्त दैवों द्वारा पुष्पवर्षा व
नागरिकों द्वारा दीप जलाकर भगवान श्रीराम
की अगुवानी की गई थी।
यह माना जाता है कि मोक्ष प्राप्त विष्णु
प्रिया तुलसी भवानी व लक्ष्मी जी समेत
रिध्दी-सिध्दी के साथ नगर व घर में आगमन
पर हम भक्तों को प्रभु का साक्षात
आर्शीवाद मिला था। उसी परम्परा का निर्वहन
हम क्षेत्रपाल जी की कृपा से पहली उपज 'धान'
से निर्मित और भूमि पुत्र श्री हरि व मां
धरती के अंश से निर्मित प्रथम देव गणेश व
विष्णु प्रिया लक्ष्मी जी का पूजन करते है
और वर्ष भर अपने परिजनों की सुख शांति की
कामना करते हैं।
यात्रियों का दीवाला, चोर उच्चकों की
दीवाली
* जहरखुरान, पॉकेटमार व पुलिस हो रहें
मालामाल
सुलतानपुर, 25 अक्टूबर (उप्रससे) : दीपावली
का त्यौहार आ गया है, बाहर के प्रदेशों
में कमाने वाले लोग अपने-अपने घर पर इस
खुशी के त्यौहार को मनाने के लिए तैयार
हैं और वहीं बाहर से कमाकर लौट रहे लोगों
को जहरखुरान और पॉकेटमार अपना निशाना बना
रहे हैं। आये दिन अखबार की सुर्खियों में
यह देखने को मिलता है कि एक यात्री फिर
जहरखुरान का शिकार हुआ।
गौरतलब हो कि दीपावली का त्यौहार आ गया
है, वहीं लोग इस कामना से तैयार है कि इस
बार वह यह त्यौहार अपने सगे-सम्बन्धियों
के साथ खुशी से मनायेगें। मगर वहीं ये
चालक, तेज और शातिर जहरखुरान और पॉकेटमार
इनका दीवाला और अपनी दीवाली मना रहे है।
लोग कमाने के लिए ये अपना घर छोडक़र बाहर
दिन-रात मेहनत कर धन कमाते है और इस
उम्मीद से त्यौहारों पर खुश होते है कि इस
बार हम और बेहतर तरीके से त्यौहार मनायेंगें।
मगर ये अपराधी पुलिस के सह पर अपना
कारोबार में दिन दुगना, रात चौगुना तरक्की
कर अपने को और पुलिस को मालामाल कर रहे
है। आये दिन देखने को मिलता है कि यात्रियों
को ये बदमाश शिकार बना रहे है।
वहीं दूसरी तरफ रेलवे की सबसे सक्रिय
पुलिस जीआरपी विगत दिनों कुछ जहरखुरानों
को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया था, और अपने
को कार्य के प्रति कितने सजग हैं इसका
उदाहरण दे रहे थे। वहीं आश्यर्च की बात यह
है कि एक तरफ ये कितनी आसानी से ये
जहरखुरान पकड लिये जाते हैं और फिर वही
जहरखुरानों का गिरोह रेल व बसों में
यात्रियों को अपना शिकार बना रहे है। जग
जाहिर है कि ये शातिर अपराधी यात्रियों को
शिकार बनाकर इस दीवाी पर अपनी दीवाी और
यात्रियों का दीवाा निका रहे है। मगर न तो
रेवे परिसर में, न ही बस स्टेशन पर
स्थानीय पुलिस सक्रिय दिखाई पडती है। जब
कभी उच्चाधिकारियों का दबाव होता है तो ये
पुसि अपने को अच्छा दिखाने के एि एक-दो
जहरखुरान और पॉकेटमार पकडक़र कर वाहवाही
लूटने में जुट जाते है। मगर ये बेचारे
यात्री इनका शिकार होकर हताश हो जाते है
और इनका त्यौहार इनके एि अभिषाप बन जाता
है। |