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अयोध्या,
05 अक्टूबर। (उप्रससे)।
Ayodhya, Oct 05, 2011. U.P.Web News
अयोध्या के संतों ने राम मंदिर आंदोलन
को गति प्रदान करने के लिए ३० सितंबर और
एक अक्टूबर को क्रमशः दो बड़े कार्यक्रमों
का आयोजन कर देश को यह संदेश दिया कि
रामलला अब अधिक समय तक तिरपालों के नीचे
नहीं रहने वाले हैं। उनके लिए भव्य मंदिर
के निर्माण का समय करीब आ गया है। इन दोनों
ही आयोजनों में अयोध्या के संतों और
रामभक्तों ने उत्साहजनक हिस्सेदारी की।
३० सितंबर को रामनगरी के सैकड़ों मंदिरों
में श्रीहनुमान चालीसा का सस्वर पाठ किया
गया। रामजन्मभूमि न्याय के अध्यक्ष व
मणिरामदास छावनी के महंत नृत्यगोपालदास के
नेतृत्व में चालीसा पाठ का अभियान पूरे
अयोध्या में किया गया। उन्होंने बताया कि
मंदिर के मालिकाना स्वामित्व के मामले में
पिछले साल ३० सितंबर को ही इलाहाबाद उच्च
न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ की तीन सदस्यीय
विशेष पीठ ने अपना ऐतिहासिक निर्णय सुनाया
था जिसमें दो तिहाई जमीन को हिंदुओं के
पक्ष में बताया और एक तिहाई हिस्सा
मुस्लिम पक्ष में गया। उन्होंने कहा कि
मामला उच्चतम न्यायालय में है इसलिए इस
समय इस मुद्दे पर कुछ कहना ठीक नहीं होगा
फिर भी हम सभी का संकल्प तो राम मंदिर के
भव्य निर्माण तक चुपचाप नहीं बैठने का है।
अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार इसमें
पहल कर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे।
उन्होंने कहा कि रामजी का हर काम साधने
में भक्त हनुमान हर समय तत्पर रहते थे। हर
संकट की घड़ी में वह रामजी का काम करते
थे। हम संतों ने चालीसा का पाठ कर उन्हें
याद किया। उनसे प्रार्थना की कि अब राम
मंदिर के निर्माण का समय आ गया है,
प्रवनसुत आगे आएं, संतों तथा राष्ट्रभक्त
जनता को इतनी ताकत दें ताकि हम अपने
आराध्य श्रीराम का भव्य मंदिर बना सकें।
विश्व हिंदू परिषद के मीडिया प्रभारी शरद
शर्मा ने बताया कि अयोध्या के मंदिरों में
संतों की अगुवाई में हुए हनुमान चालीसा के
पाठ में रामभक्तों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा
लिया। हनुमति शक्ति जागरण अभियान के जिला
अध्यक्ष बृजमोहनदास की अगुवाई में लेटे
हुए हनुमानजी के विग्रह (चौबुर्जी मंदिर)
के सामने चालीसा का पाठ किया गया। उन्होंने
बताया कि संकटमोचक हनुमानजी जर्जर ढांचा
गिराए जान से पहले उसके सामने वाले मंदिर
में रहकर सुरक्षा का दायित्व संभाला करते
थे। उक्त स्थल के समतलीकरण के बाद उन्हें
यहां चौबुर्जी मंदिर में स्थापित किया गया।
रामभक्त हनुमानजी राम मंदिर निर्माण का
मार्ग प्रशस्त करेंगे, इसी आशा के साथ सौ
से अधिक संतों ने यहां हनुमान चालीसा का
सामूहिक पाठ किया। इस अवसर पर हनुमत सदन
के महंत अवध किशोरी शरण, राजसभा मंदिर के
महंत स्वामी योगेंद्राचार्य, हनुमत हरिराम
सदन के महंत रामलोचन शरण, आचार्य शशिकांत
दास, महंत संजय दास, उद्धव दास तथा कृष्ण
कुमार दास आदि मौजूद रहे।
महत नृत्य गोपालदास की अगुवाई में
मणिरामदास छावनी में हुए चालीसा पाठ में
मुख्य रूप से उनके उत्तराधिकारी महंत कमल
नयनदास, कृपालुराम दास उर्फ पंजीबी बाबा
अंतरराष्ट्रीय सीतारामनाम बैंक के प्रबंधक
पुनीतराम दास आदि उपस्थित रहे। इसी के साथ
सनकादिक आश्रम, हनुमत किला गहोई मंदिर,
दिगंबर अखाड़ा, सियाराम किला, बड़ा फाटक
मंदिर, सदुगुरु सदन, सुग्रीव किला,
दिव्यशीश महल, हनुमान बाग, अगस्त्य आश्रम
आदि मंदिरों में भी हनुमान चालीसा का पाठ
किया गया। ३० सितंबर को ही
श्रीरामकारसेवकपुरम में विश्व हिंदू परिषद
के संयुक्त महामंत्री चंपत राय के नेतृत्व
में चालीसा का पाठ हुआ।
दूसरे दिन एक अक्टूबर को चार साल के बंद
श्रीराम कार्यशाला में विधिवत हवन-पूजन कर
पत्थरों की तलाशी के काम को भी आगे बढ़ाने
का मार्ग प्रशस्त किया गया। राम जन्मभूमि
न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास,
न्यास के वरिष्ठ सदस्य रामविलासदास वेदांती,
दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास, विश्व
हिंदू परिषद के महामंत्री (संगठन) दिनेश
चंद्र ने हनव-पूजन किया। नृत्गोपालदास ने
कहा कि श्रीराम मंदिर आंदोलन ने पूरे हिंदू
समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम किया
है। उन्होंने मांग की कि संसद में कानून
बनाकर सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर राम मंदिर
के निर्माण का रास्ता साफ किया जाए। राम
विलासदास वेदांती ने कहा कि अब मंदिर
निर्माण में कोई बाधा नहीं टिक पाएगी। इस
अवसर पर २० कारीगरों ने फिर से पत्थरों को
तराशने का काम प्रारंभ कर दिया। विहिप के
महामंत्री (संगठन) दिनेश चंद्र ने कहा कि
राम मंदिर बनने में अब देरी नहीं होगी।
संतों के मंत्र और विहिप के तंत्र से
मंदिर बनेगा। |