|
मुजफ्फरनगर,
05 सितम्बर। (उप्रससे)। Uttar Pradesh
News गन्ना किसानों के लिये राष्ट्रीय
किसान मजदूर संगठन ज् ी लड़ाई रंग लायी है।
प्रदेश भर के उन गन्ना ज् िसानों के पक्ष
में हाईज् ाेर्ट ने राष्ट्रीय किसान मजदूर
संगठन के समन्वयक की याचिका को सुनते हुए
फैसला सुनाया है कि जिनका दो साल पहले
गन्ना मूल्य को लेकर भेदभाव बरता गया था।
हाईकोर्ट ने प्रदेश के गन्ना आयुक्त को यह
आदेश दिया है कि जिन सोसायटियों में गन्ना
मूल्य में भेदभाव बरता गया था, उन्हें
तत्काल अंतर मूल्य दिलवाया जाये।
एक सोसायटी में एक रेट की कानूनी लड़ाई
गन्ना किसानों के पक्ष में गयी है, इस
संबंध में जानकारी देते हुए राष्ट्रीय
किसान मजदूर संगठन के मंडलीय संयोजक विकास
बालियान ने बताया कि दो साल पहले राय के
गन्ना किसानों के साथ गन्ना खरीद मूल्य
में प्रदेश की चीनी मिलों द्वारा गन्ना
मूल्य को लेकर भेदभाव किया गया था। गन्ना
किसानों को 185 से लेकर 260 रुपये प्रति
कुन्तल के हिसाब से भुगतान ज् िया गया था।
इसी सम्बन्ध में समन्वयक वीएम सिंह ने
हाईकाोर्ट में रिट दायर की थी। इसी पर
हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए गन्ना
आयुक्त को आदेश दिया है ज् ि ज़िन सोसाइटियों
में गन्ना रेट में भेदभाव बरता गया था, वहां
तत्काल अंतर मूल्य दिलवाया जाये।
वीएम सिंह ने जिरह को दौरान कोर्ट को बताया
कि राय की अधिकांश सोसाइटी में छह-सात रेट
दिये गये हैं। इस फैसले से प्रत्येक गन्ना
किसान को इस आदेश का लाभ मिलेगा।
विकस बालियान ने कोर्ट के फैसले के बारे
में फोन पर जानज् ारी देते हुए बताया कि
लखनऊ खंडपीठ न्यायाधीश प्रदीप कान्त एवं
न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी ने बीती 29 अगस्त
को दिये अपने फैसले में गन्ना आयुक्त को
आदेश दिया है कि वह याचिकाकर्ता वीएम सिंह,
चीनी मिल प्रबन्धन एवं समबध्द गन्ना
समितियों के किसानों को साथ में लेकर गन्ना
खरीद में हुए भेदभाव का जल्द से जल्द से
निपटारा करे। खंडपीठ ने यह भी कहा है कि
इसमें याचिकाकर्ता वीएम सिंह गन्ना आयुक्त
को बतायेंगे कि किन-किन चीनी मिलों में
किसानों के मूल्य भुगतान में भेदभाव हुआ
है, जिस पर गन्ना आयुक्त तत्काल कार्यवाही
करायेंगे तथा गन्ना किसानों को अंतर बकाया
धनराशि का भुगतान करायेंगे। खंडपीठ ने
गन्ना आयुक्त को यह भी साफ किया है कि यह
काम शीघ्रता से होना चाहिये न कि इसमें
महीनों लगाये जायें।
बताते चलें कि वीएम सिंह ने खंडपीठ में
अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि दो साल पहले
वर्ष 2009-10 में राय की लगभग सभी चीनी
मिलों द्वारा गन्ना किसानों ज् ाे 185
रुपये प्रति कुन्तल से लेकर 260 रुपये
प्रति कुन्तल तक की पर्ची पर गन्ना खरीदा
गया था। यह अन्तर राय के पचास लाख गन्ना
किसानों के शोषण का प्रबल उदाहरण था। इस
वजह से अधिज् ांश छोटे व लघु जोत के किसानों
को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था,
क्योंकि उनका गन्ना शुरू की दो-तीन पर्चियाें
में ही खत्म हो गया था। शुरूआत में चीनी
मिलों ने 185 रुपये प्रति कुन्तल से 195
रुपये प्रति कुन्तल ज् े हिसाब से गन्ना
खरीदा था।
याचिकाकर्ता ने खंडपीठ को यह भी अवगत कराया
ज् ि सोसाइटी में गन्ने के दो रेट नहीं हो
सकते, इस संबंध में उच्चतम न्यायालय अपना
आदेश दे चुज् ा है। उन्होंने यह भी बताया
कि इस आदेश का राय की चीनी मिलों द्वारा
उल्लंघन किये जाने पर राष्ट्रीय किसान
मजदूर संगठन ने 16-17 दिसम्बर 2009 को
हजारों किसानों के साथ लखनऊ में गन्ना
आयुक्त कार्यालय परिसर में धरना भी दिया
था। जिस पर तत्कालीन गन्ना आयुक्त ने राय
सरज् ार की ओर से किसानों को आश्वस्त किया
था कि एक सोसाइटी में एक रेट के सुप्रीम
कोर्ट के आदेश को राय सरकार लागू करायेगी,
लेतिन ऐसा नहीं होता देख याचिकाकर्ता ज्
ाे कोर्ट ज् ी शरण लेनी पड़ी।
|