देहरादून,
10 सितम्बर। (उप्रससे)।
U.P.Samachar Sewa मुख्यमंत्री ड़ा
रमेश पोखरियाल निशंक की कुर्सी खतरे में
पड़ गई है। उनके ऊपल लगे भ्रष्टाचार के
आरोपों ने उन्हें संकट में डाल दिया। आज
दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन
गडकरीक के आवास पर हुई वरिष्ठ नेताओं की
बैठक में निशंक से इस्तीफा मांग लेने का
फैसला कर लिया गया है। हालांकि इस काम में
कोई जल्दबाजी नहीं करने का फैसला हुआ है
क्योंकि हाई कमान निशंक को भी नाराज नहीं
करना चाहता है। पार्टी नेता एक बार फिर
प्रदेश की कमान मे.जे.भुवन चन्द्र खण्डूरी
को राज्य की कमान सौंपने तैयार हो गए हैं।
सूत्रों के अनुसार निशंक ने भी हाई कमान
के फैसले को मानने का निर्णय कर लिया है।
वे इस फैसले का विरोध नहीं करेंगे। हालांकि
निशंक ने आज दिल्ली पहुंच कर केन्द्रीय
नेताओं खासकर राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपना
पक्ष बता दिया। उन्होंने अपने ऊपर लगे
आरोपों पर सफाई भी पेश की। लेकिन अभियान
पार्टी क्लीन के तहत केन्द्रीय नेतृत्व
कोई राहत दागदार छवि के नेताओं को देने को
तैयार नहीं है। इसीलिए निशंक को केन्द्रीय
नेतृत्व ने अपना फैसला साफ-साफ बता दिया।
हालांकि उनके मुख्यमंत्री पद से हटने का
अंतिम फैसला 11 सितम्बर को होगा। क्योंकि
पार्टी के कई वरिष्ठ नेता आज लखनऊ मे हैं।
वहां दो दिन से चुनाव अभियान समिति की
बैठक चल रही है। इस बैठक से नेताओं के
लौटने का बाद अन्तिम फैसला ले लिय जाएगा।
मीडिया ने बिगाड़ी निशंक की छवि
मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल की छवि पर सबसे
ज्यादा आघात मीडिया के एक वर्ग ने किया।
हालांकि उन्होंने अपने स्तर से मीडिया को
साधने का भरसक प्रयास किया था। किन्तु वे
असफल रहे। क्योंकि उन्होंने मीडिया को बड़े
और छोटे बैनर मे देख कर तवज्जो दी।
उन्होंन तमान ऐसे मीडिया साथियों को
दरकिनार कर दिया जो कभी उनके साथी हुआ करते
थे या उनसे सहानुभूति रखते थे। इस वर्ग ने
उनसे दूरी बना ली। उधर जिस मीडिया को
उन्होने साधा उसने उनका आड़े पक्त में साथ
नहीं दिया। निशंक के खिलाफ कांग्रेस
लगातार हमले करती रही है। उसने कई तरह के
आरोपों में उन्हें घेरने की कोशिश की।
भाजपा का एक वर्ग भी कांग्रेस के सुर में
सुर मिलाता रहा। भाजपा ने भी भ्रष्टाचार
के आरोपों में निशंक का बचाव नहीं किया।
उत्तराखण्ड के लोक संपर्क विभाग ने भी अपने
पूरे प्रचार को बड़े अखबारों तथा कुछ
चुनिंदा इलेक्ट्रानिक मीडिया तक सीमित रखा।
विभाग ने नये मीडिया के रूप मे उभरे वेब
मीडिया प कोई ध्यान नहीं दिया। जबकि देश
भर में सशक्त हो रहे इस माध्यम की
उत्तराखण्ड में उपेक्षा हुई। यही कारण था
कि वेब साइटों पर निशंक के खिलाफ तमाम बातें
प्रसारित हुईं उनका कोई जबाव नहीं दिया गया
और न ही उस पर लोक संपर्क विभाग या
मुख्यमंत्री के सूचना सहालकारों ने कोई
ध्यान दिया।
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