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आदरणीय
अन्ना हजारे जी,
सदर प्रणाम |
आपने इस देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने
के लिए पहली और निर्णायक लड़ाई लड़ी और
जीती,इसके लिए यह देश आपको याद रखेगा,ठीक
गाँधी और उन ऐसे तमाम राष्ट्र प्रेमियों
की तरह जिन्होंने अपने प्राणों की कभी
परवाह नहीं की.| मगर मै आपके आन्दोलन में
शामिल होने दिल्ली इसीलिए नहीं आया क्योंकि
मै आपसे शुरू से ही नाराज़ था |आपका मुद्दा
सही था मगर आन्दोलन करने का तरीका मुझे
शुरू से ही नहीं पसंद था | आपने हमारे
दलित और मुस्लिमों के शुभचिंतक नेताओं की
दलीलों को भी नज़रंदाज़ किया|इस पर मेरा
गुस्सा और बढ़ गया|आपको सुझाव दिया गया की
जन लोकपाल में दलितों का प्रतिनिधित्व होना
चाहिए,मगर आपने अपनी सिविल सोसायटी में
इसके बाद भी हमारा कोई नुमाइंदा शामिल नहीं
किया| मेरा गुस्सा और बढ़ा | मगर मैंने
चुप रहकर आपको अपना समर्थन दिया | मगर अब
मै आपको स्पष्ट बताये दे रहा हूँ की अब जब
लोकपाल पर संसद की सहमति हो ही गयी है तो
मेरा अब चुप रहना मुश्किल ही नहीं असम्भव
होगा |आपने अनशन समाप्त करते समय मेरी काफी
शिकायत दूर कर दी | मेरा गुस्सा भी शांत
हुआ है,मगर पूरा नहीं | मै आपका आभारी हूँ
की आपने अनशन समाप्त करने के लिए एक दलित
और मुस्लिम बच्चियों के हाथों जूस पिया |
मेरा दावा है की यह दोनों बच्चियां
निश्चित तौर देश की सबसे ईमानदार बच्चियां
होंगी,इन्होने अपनी माँ के किचन से चुराकर
एक लड्डू भी नहीं खाया होगा| होगा ही नहीं
उसकी माँ के किचन में लड्डू|आखिर दलित हैं
न उसके माँ-बाप |अब मेरा आपसे विनम्र
निवेदन है,इसको आप चेतावनी भी समझें |
,मेरी सबसे पहली मांग है की आप अपनी सिविल
सोसायटी में दलित और मुस्लिम प्रतिनिधि
तुरंत शामिल करें | इसके साथ ही अपने जन
लोकपाल कानून के मसौदे में संशोधन करें |
संशोधन के लिए मै आपको कुछ सुझाव अभी दिए
देता हूँ|आपको पता ही होगा की हमारे देश
में दलितों की ज़मीन बिना सरकारी अनुमति
के नहीं खरीदी जाती|दलितों के खिलाफ ऍफ़
आई आर की जांच दलित पुलिस अफसर ही करता है
वह भी राजपत्रित, |आपको आरक्षण के नियमों
की जानकारी होगी ही| केंद्र और राज्यों की
सरकारें प्रत्येक स्तर पर जितना अधिक से
अधिक हो सकता है सब देती हैं| यहाँ तक की
छोटे छोटे ठेकों में जैसे निर्माण इत्यादि
में भी दलितों के अलग से प्रावधान है |इसके
अलावा मुस्लिमों के लिए इतनी सुविधाएं
सरकार ने दी हैं क़ि इस देश का दलित अब
जाकर अपनी बात कहने लायक हुआ है| नौकरी
प्रमोशन स्कूल कालेज की फीस आई ऐ एस पी सी
एस की कोचिंग से लेकर हज यात्रा तक में
सरकार की तरफ से तमाम सहूलियतों की
व्यवस्था है |वह भी संविधान के दायरे में|
आप जिस जन लोकपाल कानून की बात कर रहे हैं
मेरे विचार से वह संविधान के दायरे में ही
होगा| कहने की जरूरत नहीं है मगर अगर
जरूरत पड़ी तो आतंकवादियों को पकड़ने और
छोड़ने तक में सरकार ख्याल रखती है|यही नहीं
अफसरों थानेदारों तक की नियुक्ति में भी
अनदेखी नहीं की जाती है |बात लोकपाल की हो
रही है,और मै आपको सुझाव दे रहा हूँ|
इस नए कानून में खास तौर से दलितों और
मुस्लिमों के लिए विशेष इंतजाम होना
चाहिए|और हाँ, महिलाओं के लिए भी| वरना
बहुत बड़ा अन्याय होगा और तब मेरा चुप रहना
नामुमकिन होगा| नए कानून में व्यवस्था होनी
चाहिए की दलित और मुस्लिम भ्रष्टाचारियों
के खिलाफ मुकदमा तभी दर्ज हो जबकि कमसे कम
सौ करोड़ का मामला हो इससे कम पर नहीं|
उनके मामले की सुनवाई सरकारी खर्च पर किसी
दलित या मुस्लिम से ही करवाई जाए|सजा या
जुर्माना भी नाम मात्र को जैसे जमीन के
पट्टों,आरक्षित संसदीय और विधान सभा की
सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कमसे कम फीस
ली जाती है| यही नहीं इसमें भी आरक्षण की
ठीक वैसे ही व्यवस्था हो ऐसे की प्रत्येक
क्षेत्र में अभी तक है |दलितों और पिछड़े
मुसलमानों के खिलाफ मामला आरक्षण के मौजूदा
प्रतिशत के हिसाब से ही दर्ज किया जाये |मसलन
सालभर में यदि सौ दलितों,मुस्लमों के
खिलाफ मामले आयें तो २५ या एक निश्चित
प्रतिशत पर ही कार्यवाही हो |
सबसे महत्त्व पूर्ण बात यह की अभी महिलाओं
के लिए आरक्षण का कानून लंबित हैं | उसके
प्रावधानों के अनुरूप ही महिला
भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही हो |
उसमे भी दलितों मुस्लिमों को विशेष
आररक्षण दिया जाए| आपसे एक और विशेष
प्रावधान की अपेक्षा है |देश के इस राज्य
में किसी महिला,दलित या मुस्लिम का शासन
हो, ऐसे राज्यों के लिए अलग से प्रावधान
होना चाहिए |
मुझे पूरा विश्वास है की आप मेरे सुझावों
की अनदेखी नहीं करेंगे और आपके जन लोकपाल
के बारे में पहले ही अपनी असहमति व्यक्त
कर चुके सपा और बसपा की असहमति के खिलाफ
नहीं जायेंगे|यही नहीं केवल दो बच्चियों
के हाथों जूस पीने से कुछ नहीं होगा,जरूरत
पड़ी तो आप को दलितों और मुस्लिमों के हकों
के फिर किसी मैदान में आना ही होगा| नहीं
तो मै आपके खिलाफ आऊंगा| मुझे नहीं लगता
की आपको जूस पिलाने आ रही बच्चियां दलित
और मुस्लिम हैं,आपको इसका अंदाज़ होगा,यह
तो आपके सलाहकारों ने मीडिया के जरिये खबर
फैलाकर झुनझुना थमा दिया|अभी आपको यह
साबित करना ही है कि आप सही में दलितों और
मुस्लमों के भी हितैषी हैं !
आशीष अग्रवाल |