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लखनऊ,
18 सितम्बर। (उप्रससे)। मुख्यमंत्री सुश्री
मायावती ने केन्द्र सरकार से पूरे देश में
उच्च वर्गों अर्थात सवर्ण जातियों के गरीब
लोगों को, कमजोर वर्गों के लिए लागू
आरक्षण नीति के अन्तर्गत आरक्षण का लाभ
दिए जाने की पुन: मांग की है।
मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में
प्रधानमंत्री डा0 मनमोहन सिंह को लिखे अपने
पत्र में कहा है कि अभाव ग्रस्त व दयनीय
जीवन जी रहे सवर्ण जातियों के गरीब लोगों
के उत्थान एवं उन्हें समाज की मुख्य धारा
से जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने इस
उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संविधान में
संशोधन करते हुए आरक्षण नीति को संविधान
की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का
अनुरोध किया है। उन्होंने सवर्ण जातियों
के गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले
नागरिकों को आरक्षण नीति से आच्छादित करने
हेतु शीघ्र गम्भीर पहल करने का अनुरोध
प्रधानमंत्री से किया है, ताकि सामाजिक,
आर्थिक एवं शैक्षणिक विषमताएं दूर हो सकें।
मुख्यमंत्री ने राज्य में अपनी सरकार गठित
होने के बाद जुलाई 2007 के दूसरे पखवारे
में प्रधानमंत्री से की गयी भेंट का स्मरण
कराते हुए पत्र में उल्लिखित किया कि इस
भेंट के दौरान उन्होंने प्रदेश के
सर्वांगीण विकास हेतु विशेष पैकेज की मांग
की थी। उन्होंने खासतौर पर पूर्वांचल,
बुन्देलखण्ड क्षेत्रों के पिछडेपन को दूर
करने तथा वहां अवस्थापना सुविधाओं की कमी
को पूरा कराने, प्रदेश में कृषि तथा उससे
सम्बन्धित रोजगार सृजन और इस क्षेत्र में
5 प्रतिशत की विकास दर की प्राप्ति के लिए
राज्य सरकार के प्रयासों को गति प्रदान
करने के लक्ष्य को हासिल करने हेतु विशेष
पैकेज प्रदान करने का अनुरोध किया था।
भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने इस आवश्यकता
पर भी बल दिया था कि प्रदेश के अनुसूचित
जातिजनजाति तथा अन्य पिछडे वर्ग, धार्मिक
अल्पसंख्यक तथा सवर्ण समाज में गरीबी की
रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे नागरिकों
को भी विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के
लिए सरकार की प्रतिबध्दता को सार्थक बनाने
हेतु भारत सरकार से आर्थिक सहयोग अपेक्षित
है। इसके अलावा मुख्यमंत्री द्वारा यह भी
मांग की गई थी कि भारत सरकार की अनुसूचित
जातिजनजाति तथा अन्य पिछडे वर्ग के लिए
बनाई गयी आरक्षण नीति के अन्तर्गत पूरे
देश में आरक्षण का कोटा शीघ्र पूरा कराये
जाने, देश में कमजोर वर्गों के लिए सरकारी
क्षेत्रों के साथ-साथ निजी तथा अन्य
क्षेत्रों में भी आरक्षण लागू किये जाने
तथा आरक्षण नीति को अब तक अछूते रह गये
क्षेत्रों में भी प्राथमिकता से लागू कराया
जाए।
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