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लखनऊ,
19 सितम्बर। (उप्रससे)। मुस्लिम आरक्षण पर
सपा के लगातार आ रहे बयानों के बाद अब इस
मुद्दे पर प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है।
सपा की ओर से आ रहे बयानों के बाद आज
बहुजन समाज पार्टी ने पलटवार किया है।
बसपा ने सपा से कहा है कि वह मुसलमानों
की स्थिति के लिए घड़ियाली आंसू बहाना बंद
करे। क्योंकि मुसलमान समझ चुके हैं कि उनका
हमदर्द कौन है। बसाप प्रवक्ता ने कहा कि
उत्तर प्रदेश में अब बीएसपी की राष्ट्रीय
अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री
सुश्री मायावती के नेतृत्व वाली सरकार को
मुसलमानों का पूरा विश्वास हासिल हो चुका
है। यही वजह है कि जब सुश्री मायावती ने
मुसलमानों के लिए आबादी के अनुरूप केन्द्र
सरकार से आरक्षण की मांग की तो मुसलमानों
के ये कथित हमदर्द तिलमिला गये। प्रवक्ता
ने कहा कि मुसलमानों को अपनी जागीर समझने
वालों को यह हमेशा याद रखना चाहिए कि
मुसलमानाें को समझ में आ चुका है कि बीएसपी
की सरकार उनकी भलाई और कल्याण के लिए
प्रतिबध्द है।
प्रवक्ता ने कहा कि मुसलमानों को अपना
वोट बैंक बनाकर वर्षों तक अपनी राजनीति
चमकाने वाले नेताओं को समझ लेना चाहिए कि
मुसलमान अब उनके झांसे में आने वाले नहीं
हैं।याद दिलाना जरूरी है कि मुख्यमंत्री
सुश्री मायावती ने अपनी सरकार के साढे चार
साल के कार्यकाल में मुसलमानों के
वास्तविक विकास के लिए वे काम कर दिए, जो
इससे पहले किसी भी सरकार ने नहीं किए थे।
उन सरकारों ने भी नहीं किए जो एकजुट
मुसलमानों के वोटों से अस्तित्व में आयीं
थीं। बहुजन समाज पार्टी की सरकार ने
मुसलमानों के उत्थान के लिए दर्जनों ऐसे
फैसले लिए हैं, जिनका भरपूर लाभ मुसलमानों
को मिल रहा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश
में पहली बार बीएसपी की सरकार ने ही अपने
पहले कार्यकाल 1995 में पृथक अल्पसंख्यक
कल्याण विभाग का सृजन किया था। वर्तमान
सकरार ने लखनऊ में अरबी, फारसी और उर्दू
विश्वविद्यालय का निर्माण कराया।
मोअल्लिमे-उर्दू डिग्री धारकों को सरकारी
स्कूलों में उर्दू टीचर बनाने का रास्ता
साफ किया। मान्यवर श्री कांशीराम जी
अल्पसंख्यक स्वरोजगार योजना संचालित की।
बीएसपी की वर्तमान सरकार के कार्यकाल में
200 से अधिक अरबी, फारसी मदरसों को अनुदान
पर लिया गया। 2587 मदरसों के 6782 शिक्षकों
को 9,377.19 लाख रूपये का मानदेय दिया। ''उत्तर
प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा संस्था
प्राधिकरण विधेयक-2011'' विधान मण्डल के
दोनों सदनों से पास करवाकर राष्ट्रपति को
अनुमोदन के लिए भेजा। अल्पसंख्यक वर्ग के
1,28,35,824 छात्रों को 48,673.18 लाख
रूपये छात्रवृत्ति के रूप में वितरित किए
गए। छात्रवृत्ति की इस योजना में अभिभावकों
की आय सीमा बढाकर एक लाख रूपये की गयी।
इण्टरमीडिएट के अल्पसंख्यक वर्ग के 49,166
छात्र-छात्राओं को 2,049.45 लाख रूपये
शुल्क प्रतिपूर्ति की गयी।
बीएसपी की वर्तमान सरकार के कार्यकाल में
बीपीएल सूची की 37,445 अल्पसंख्यक लडकियों
की शादी के लिए 3744.50 लाख रूपये की
सहायता दी गयी। लखनऊ और वाराणसी से हज
यात्रियों के लिए सीधी उडान की व्यवस्था
की गयी और गाजियाबाद और लखनऊ में हज हाउस
के लिए 440 लाख रूपये दिए गए। उर्दू जबान
को बढावा देने के लिए उत्तर प्रदेश उर्दू
अकादमी की अनुदान राशि डेढ़ करोड़ से बढाकर
तीन करोड़ रूपये सालाना कर दी गयी। बीएसपी
की सरकार ने मुसलमानों के वास्तविक विकास
के लिए प्रदेश के 22 अल्पसंख्यक बहुल
क्षेत्रों में 135 करोड़ रूपये की लागत से
58 राजकीय माध्यमिक विद्यालय खोलने का भी
निर्णय किया।
यही नहीं सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा
मदद योजना में भी मुस्लिम समाज की समुचित
भागीदारी सुनिश्चित की गयी और प्रदेश के
मान्यता प्राप्त मदरसों में भी यह योजना
लागू की गयी। इस योजना के तहत कक्षा-11
में प्रवेश लेने वाली छात्राओं को 15 हजार
रूपये और साइकिल तथा कक्षा-12 में प्रवेश
लेने वाली मुस्लिम छात्राओं को 10 हजार
रूपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। प्रदेश
के मदरसों को कम्प्यूटराईज ही नहीं किया
गया, बल्कि उनमें दीनी तालीम के साथ
आधुनिक शिक्षा उपलब्ध कराने का भी प्रबन्ध
किया गया।
मुसलमानों के लिए इतनी बडी तादाद में इतने
कल्याणकारी कार्य प्रदेश की बीएसपी सरकार
से पहले किसी ने नहीं किए थे। वर्तमान
सरकार के इन कार्यों से राज्य के मुसलमान
इतने प्रभावित हो चुके हैं कि वे अब उन
पार्टियों के बहकावे में नहीं आयेंगे,
जिनके लुभावने नारों ने उन्हेंे अभी तक
गरीबी की रेखा से ऊपर नहीं उठने दिया। इसी
कारण विपक्षी पार्टियां बुरी तरह से
बौखलाई हुई हैं और उनकी समझ में नहीं आ रहा
है कि वे बीएसपी से जुड़ रहे मुसलमानों को
किस तरह अपने पाले में करे। इसीलिए वे
बौखलाहट में उलटी-सीधी बयानबाजी कर रहे
हैं। |