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जाते
वक्त मां रोई तो ललित ने कहा था, ‘फौजी की
मां है, रो मत’
बरेली। विशाखापत्तनम घूमने गए एनडीए के 13
कैडेट तैराकी के दौरान समुद्र में डूब गए।
बचाव दल ने 12 कैडेट को तो बचा लिया लेकिन
भरतौल के रहने वाले ललित सिंह को नहीं
बचाया जा सका। शनिवार देर शाम को सेना के
बचाव दल ने समुद्र से ललित सिंह का शव
निकाल लिया। सूचना मिलने पर ललित के बड़ेे
भाई, एयरफोर्स में इंजीनियर कमल सिंह
विशाखापत्तनम रवाना हो गए हैं।
मूलत: पिथौरागढ़ में एंचोली गांव के रहने
वाले शंकर सिंह सेना के इंजीनियरिंग विभाग
से रिटायर्ड हैं और एक साल से भरतौल में
परिवार के साथ रह रहे थे। उनका बड़ा बेटा
कमल सिंह एयरफोर्स में इंजीनियर है और
हैदराबाद में तैनात है। छोटे बेटे 19
वर्षीय ललित सिंह ने 2010 में एनडीए की
परीक्षा पास की थी। मार्च 2010 में
उन्होंने देहरादून में ट्रेनिंग की और इसके
बाद उन्हें मिलिट्री कॉलेज ऑफ मेकेनिकल
इंजीनियरिंग सिकंदराबाद भेज दिया गया।
अप्रैल में वह छुट्टी पर घर आए थे। शंकर
सिंह ने बताया कि सिकंदराबाद से एनडीए
कैडेट का एक ग्रुप चार दिन के भ्रमण पर
विशाखापत्तनम गया था। शनिवार को करीब 13
कैडेट समुद्र में तैराकी करने गए थे। इनमें
ललित भी थे। अचानक तेज लहरों में सभी
कैडेट समुद्र में बह गए। राहत और बचाव दल
के लोगों ने 12 कैडेट को बाहर निकाल लिया,
लेकिन ललित सिंह का कुछ पता नहीं लगा। काफी
देर तक ढूंढने के बाद देर शाम उनका शव
समुद्र से निकाला गया। हादसे की खबर मिलने
के बाद से ललित के पिता शंकर सिंह और मां
चंद्रा सावंत अपनी सुध बुध खो बैठी हैं।
उनके आंसू थम नहीं रहे हैं।
मेकेनिकल इंजीनियरिंग की ले रहा था
ट्रेनिंग
सिकंदराबाद से ग्रुप के साथ घूमने गया था
अप्रैल में छुट्टी बिताकर घर से गया था
जाते वक्त मां रोई तो ललित ने कहा था,
‘फौजी की मां है, रो मत’
बरेली। देश की रक्षा के लिए न जाने कितनी
महिलाओं का सिंदूर उजड़ा है और कितनों का
आंचल सूना हो गया है। मेरा बेटा भी आज
शहीद हो गया। यह कहते-कहते शंकर सिंह और
चंद्रा सावंत का गला रुंध गया। बोले: ‘उसे
लेकर हमने न जाने कितने अरमान संजो रखे
थे, हमारी तो नैया ही अधर में डूब गई।’
बताया-ललित अप्रैल में छुट्टी बिताने घर
आया था। जब वह 25 अप्रैल को वापस जा रहा
था तो मां चंद्रा की आंखोें में आंसू आ गए।
तब ललित ने उनके आंसू पोंछे और कहा-तू रोती
क्यों है। एक फौजी अफसर की मां और
रिटायर्ड फौजी की की पत्नी है। तेरी आंखों
में आंसू ठीक नहीं। मैं 25 लाख का बीमा
कराके जा रहा हूं। शंकर और चंदा कहते हैं
कि उन्हें क्या पता था कि अबकी गया उनका
बेटा नहीं लौटेगा।
अंत्येष्टि में जाने से किया मना
विशाखापत्तनम से फौजी अफसरों ने शंकर सिंह
और चंदा के नाम दो टिकट भेजे, लेकिन शंकर
सिंह ने वहां जाने से इनकार कर दिया। फौजी
अफसरों से कहा कि वहीं उनके बेटे का अंतिम
संस्कार कर दें। शव बरेली न भेजें। बोले:
जिस बेटे को उन्होंने अपनी गोद में खिलाया
था, अब उसकी जलती हुई चिता कैसे देख पाएंगे।
ललित की मां हार्ट पेशेंट हैं। उन्हें भी
विशाखापत्तनम नहीं ले जाना चाहते। बेटे की
कही हर बात आज शंकर सिंह और उनकी पत्नी के
कानों में गूंज रही है। इंस्पेक्टर कैंट
ने बताया कि उन्होंने पुलिस को भ्ारतौल
भेजा था लेकिन वहां पता चला क शव यहां नहीं
आएगा।
रिंग जा रही थी लेकिन काल रिसीव नहीं
हुईः
ललित सिंह ने सिंकदराबाद से विशाखापत्तनम
जाते वक्त घर वालों से बात की थी। शंकर
सिंह ने उन्हें हिदायत भी दी थी-‘बेटा
समुद्र के किनारे मत जाना।’ शनिवार को हाल
चाल जानने के लिए उन्होंने दोपहर में ललित
के मोबाइल पर काल भी की।
रिंग जाती रही लेकिन काल रिसीव नहीं हुई।
शाम को खबर मिली कि ललित समुद्र में डूब
गया है।
धार्मिक प्रवृत्ति का था ललितः
शंकर सिंह बताते हैं कि ललित बहुत धार्मिक
प्रवृत्ति का था। उसने घर में काफी
धार्मिक ग्रंथ लाकर रखे थे। बगैर माला जपे
वह भोजन नहीं करता था। पूरी तरह शाकाहारी
था।
हादसे की सूचना पर गमजदा परिवार के लोग।
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