श्रीनगर,
27 सितम्बर। (उप्रससे)। कश्मीर का
दर्द जानने यहां आये राहुल गांधी को युवाओं
के बेवाक सवालों का सामना करना पड़ा। युवाओं
ने पूछा कि आपको मालूम है यहां हम शक के
दायरे में रहते हैं। यदि आप कश्मीरी हैं
तो शक की जद से बाहर निकालें। यह मौका था
कश्मीर विश्वविद्याल के कुछ चुनिंदा छात्रों
के साथ राहुल के संवाद कार्यक्रम का।
संवाद विश्वविद्यालय के कंवेंशन हाल में
आयोजित था।
युवाओं
ने कहा कि यहां रोज तलाशी, नाकेबंदी का
दौर चलता है। हमें शक के दायरें में रहना
पड़ता है। आप स्वयं को कश्मीरी क हते हैं
तो इस शक से यहां के युवाओं कोबाहर क्यों
नहीं निकालते। युवाओं ने यह भी कहा कि गत
वर्ष यहां सुरक्षा बल युवाओं पर लाठियां,
आशुंगैस और गोलियां चला रहे थे तो आप कहा
थे। कई युवाओं ने कहा कि वे अपने माता-पिता
को खो चुके हैं। इस पर राहुल ने कहा कि
मैं अपनी दादी और पिता को खो चुका हूं,
इसलिए इस दर्द को समझता हूं। मैंने मात्र
14 साल की आयु में अपने पिता को खो दिया
था। उन्होंने कहा कि आप चिंता न करें मैं
जो बादा करता हूं उसे भूलता नहीं हूं।
रााहुल ने कहा कि शीघ्र ही यहां बड़े
व्यापारिक घराने आएंगे। रोजगार के नए अवसर
पैदा होंगे। बेरोजगारी दूर की जाएगी।
कांग्रेस के युवा महासचिव राहुल गांधी ने
कहा कि वे यहां राजनीति करने नहीं आये
हैं। अपनों के बीच दर्द बांटने आये हैं।
क्योकि उनकी जडेें भीं कश्मीर में हैं।
लगभग एक घंटा कश्मीर विश्वविद्यालय में
रहने के बाद राहुल गांधी हजरत बल दरगाह गए
तथा वहां दुआ की। इसके बाद उन्होंने
शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कांफ्रेंस कंवेशन
सेंटर में युवा सरपंचों के सम्मेलन को
संबोधित किया। राहुल गांधी दूसरी बार
कश्मीर के दौरे पर आये हैं।
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