लखनऊ,
22 जनवरी। (उ.प्र.समाचार सेवा)
। लखनऊ कैंट में विधान सभा क्षेत्र में इस बार पहाड़ की
दो बेटियों के बीच मुकाबला होगा। समाजवादी पार्टी ने
मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु अपर्णा को लखनऊ कैंट से
भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी के सामने उम्मीदवार बनाया
है। सपा ने सोमवार को 37 और प्रत्याशियों की सूची जारी
की है। इसमें अपर्णा को उम्मीदवार बनाया गया है। अपर्णा
मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी
हैं। उन्हें मुलायम सिंह यादव की सिफारिश पर टिकट दिया
गया है।
टिकट को लेकर था असमंजस
ज्ञातव्य है कि अपर्णा करीब एक साल से लखनऊ कैंट से
विधान सभा चुनाव लड़ने के लिए तैयारी कर रही हैं।
उन्होंने काफी पहले से यहां सभाएं, सम्मेलन करने शुरु कर
दिये हैं। लेकिन सपा की अंदरूनी उठापटक में उनके टिकट को
लेकर भी असमंजस की स्थिति बन गई थी। यह माना जा रहा था
कि मुलायम खेमे से होने कारण उनका टिकट कट भी सकता है।
लेकिन अन्तिम दौर में अखिलेश यादव ने छोटे भाई की पत्नी
को पार्टी उम्मीदवार बना ही दिया।
पत्रकार बिष्ट की बेटी हैं अपर्णा
अपर्णा राजधानी के वरिष्ठ पत्रकार और अब सूचना आयुक्त
अरविन्द सिंह बिष्ट की बेटी हैं। बिष्ट मूल रूप से
उत्तराखण्ड के निवासी हैं। अपर्णा सामाजिक क्षेत्र में
काफी सक्रिय हैं। उन्होंने काफी कम समय में ही अपनी
पहचान बना ली है। अपर्णा कम अनुभव के बावजूद राजनीतिक
क्षेत्र में चर्चा में रहना जानता हैं। वह प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के कार्यक्रमों
में भाग लेकर चर्चा में आ चुकी हैं। उन्होंने एक
कार्यक्रम में गृहमंत्री और राजधानी के सांसद राजनाथ
सिंह के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था।
पहाड़ी मतदाताओं का बाहुल्य है कैंट में
कैंट विधान सभा क्षेत्र में पहाड़ी मतदाताओं की संख्या
काफी संख्या में है। इसी कारण इलाहाबाद से यहां आकर रीता
बहुगुणा जोशी ने विधान सभा का चुनाव लड़ा था और सपा की
लहर में भी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की
थी। अब इन्हीं पहाड़ी मतदाताओं के भरोसे समाजवादी पार्टी
ने अपर्णा को यहां से उम्मीदवार बना दिया है। अब देखना
यह है कि पहाड़ी मततादाओं का ध्रुवीकरण भाजपा प्रत्याशी
रीता बहुगुणा के पक्ष में होगा अथवा अपर्णा को पहाड की
बेटी होने का लाख मिलेगा।
पूर्व सैनिकों की होगी अहम भूमिका
कैंट विधान सभा क्षेत्र में पहाड़ी होने के साथ साथ
पूर्व सैनिकों की भी अहम भूमिका होगी। यहां गढ़बाल
राइफल्स और गोरखा राइफल्स के रेजीमेंटल सेंटर हैं। इन
संटरों से सेवानिवृत्त होने वाले अधिकांश सैनिक यहां बस
गए हैं। इसके अलावा अन्य सैनिकों के परिवार भी कैंट
क्षेत्र में रहते हैं। ये दोनों रेजीमेंट पहाड से
सम्बन्ध रखती है। इस कारण पूर्व सैनिकों की भागदारी जीत
का रास्ता तय करेगी।
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