जयपुर।(उ.प्र.समाचार सेवा)
। चित्तौड़ की रानी पद्मिनी के चरित्र का हनन करते
हुए आपत्तिजनक तथ्य दर्शाकर शूटिंग करने आये फिल्म
निर्देशक संजय लीला भंसाली को यहां राजपूतों के
विरोध के चलते शूटिंग रोकनी पड़ गई है। उनकी फिल्म
पद्मिनी की शूटिंग स्थगित हो गई है। संजय लीला भंसाली और
उनकी टीम का स्थानीय करणी सेना ने जमकर विरोध किया तथा
उनपर हमला कर दिया। संजय. रानी पद्मिनी की शूटिंग में
दिल्ली के तत्कालीन सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के साथ
पद्मिनी का प्रेम प्रसंग दर्शाना चाहते थे। इसका स्थानीय
राजपूतों ने घनघोर विरोध किया है।
ज्ञातव्य है कि चित्तौड़ के राजा रतन सिंह की महारानी
पद्मिनी असीम सुन्दरी थीं। उनके रूप की चर्चा सुनकर
अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया था। वर्ष
1303 ईश्वी में कई महीने के युद्ध के उपरान्त रतनसिंह
शहीद हो गए थे किन्तु उनके वीर सैनिकों के शौर्य के कारण
अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली भाग गया था। इस युद्ध के पहले ही
रानी पद्मिनी ने 16 हजार क्षत्राणियों के साथ महल के
अन्दर जौहर कर लिया था। इस जौहर के बाद रतन सिंह अपने 30
हजार राजपूत सैनिकों के साथ महल से निकले थे और
अलाउद्दीन खिलजी से युद्द किया था। रतन सिंह तो शहीद हो
गए किन्तु उनके सैनिकों ने खिलजी को भी खदेड़ दिया था।
इस ऐतिहासिक तथ्य को झुठलाते हुए संजय लीला भंसाली ने
अपनी फिल्म में पद्मिनी को अलाउद्दीन की प्रेमिका के रूप
में दर्शाने का प्रयास किया है। जोकि घोर आपत्तिजनक है।
इस प्रसंग का कहीं से भी कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है।
केवल इतिहासकारों ने इतना लिखा है कि रानी पद्मावती का
प्रतिबिम्ब उसने केवल दर्पण के माध्यम से सरोवर में देखा
था। हालांकि इतिहासकारों कहना है कि अलाउद्दीन को रानी
का नहीं बल्कि उनकी सहेली का ही प्रतिबिम्ब दर्पण की छाया
सरोवर मे डालकर दिखाया गया था। इस सब तथ्यों को झुठलाते
हुए लीला भंसाली इतिहास को रोमांटिक अंदाज में पेश करना
चाहते हैं। संजय लीला भंसाली की इस हरकत का देशभर में
विरोध हो रहा है। विशेषकर राजपूत जातियों ने इसका कड़ा
प्रतिकार किया है। इतना ही नहीं अब राजस्थान में किसी भी
स्थान पर इस फिल्म की शूटिंग नहीं होने दी जाएगी।
रानी पद्मिनी के जौहर को स्मरणीय रखने और उनके शौर्य को
दर्शाने के लिए नई दिल्ली के बिड़ला मन्दिर में रानी
पद्मिनी का शिला चित्र लगाया है।
|