लखनऊ,
13 जुलाई 2021 ( उ.प्र.समाचार सेवा )। कोरोना संक्रमण
की तीसरी लहर को लेकर आशंका व्यक्त की जा रही है,
हालांकि कितना प्रभाव होगा, इसका आंकलन अभी किसी स्तर
पर नहीं हुआ है। यदि हम खुद वैक्सीनेटेड हो जाते हैं
तो संक्रमण से हमारा बचाव होगा और किसी न किसी रूप में
हमारे परिवार को भी सुरक्षित करेगा। इसके साथ ही बच्चों
को स्वयं ही संक्रमण से सुरक्षा मिल सकेगी। बच्चों की
कोरोना से सुरक्षा बड़ों को लगे कोरोना टीके से है,
इसलिए सभी 18 वर्ष से जिनकी आयु अधिक हो गई है, उन्हेंो
अनिवार्य रूप से वैक्सीलन लगवा लेना चाहिए। इससे बहुत
हद तक हमारे घरों के बच्चे सुरक्षित हो जाएंगे। उक्त
बातें मुख्य वक्ता बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ.
हिमांशु चतुर्वेदी ने मंगलवार को सरस्वती कुंज
निरालानगर स्थित प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया
डिजिटल सूचना संवाद केंद्र में आयोजित ‘बच्चे हैं
अनमोल’ कार्यक्रम के ग्यारहवें अंक में कहीं। इस
कार्यक्रम में विद्या भारती के शिक्षक, बच्चे और उनके
अभिभावक सहित लाखों लोग आनलाइन जुड़े थे, जिनकी
जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।
तीसरी लहर का प्रकोप बच्चों पर
होगा यह सिर्फ परिकल्पना
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि कोरोना वायरस की पहली लहर का
असर काफी कम देखने को मिला था, लेकिन इसके बाद प्रशासन
और आम जनता की लापरवाही के कारण दूसरी लहर भयावह तरीके
से हमारे सामने आई। उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी
लहर की आशंका व्यक्त की जा रही है, ऐसे में सुरक्षा ही
बचाव है। उन्होंने वैक्सीनेशन पर जोर देते हुए कहा कि
वयस्कों और बुजुर्गों को वैक्सीन लगाई जा रही है और
बच्चों की वैक्सीन पर ट्रायल जारी है, जल्द ही उन्हें
वैक्सीन लगनी शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि तीसरी
लहर का बच्चों पर प्रकोप ज्यादा होगा, यह सिर्फ
परिकल्पना है। दस वर्ष से कम उम्र के बच्चों में
रिसेप्टर बहुत कम पाया जाता है, इसलिए शरीर के अंदर
संक्रमण नहीं प्रवेश कर पायेगा। उन्होंने कहा कि जो
बच्चे संक्रमण से प्रभावित होंगे, उनमें लक्षण नहीं
दिखाई देंगे, इसलिए वह कोरोना के वाहक बन सकते हैं।
इससे परिवार के वयस्कों और बुजुर्गों को ज्यादा खतरा
होगा।
तनाव से बचने के लिए गायत्री
मंत का जप करें
विशिष्ट वक्ता सेवानिवृत्त जज गोपाल प्रसाद ने कोरोना
काल में समाज में उत्पन्न हुए भय और तनाव से निपटने पर
चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह सच है कि महामारी के समय
हुए लॉकडाउन में बेरोजगारी बढ़ी, जिससे परिवारों में
अर्थ संकट पैदा हो गया और तनाव देखने को मिला। हमें
किसी भी महामारी के समय तनाव से बचना चाहिए, इसके लिए
हमें अपने अराध्य को ध्यान करना चाहिए। उन्होंने कहा
कि गायत्री मंत्र में वह शक्ति है, जिसका संयम और नियम
से पालन किया जाए तो कोरोना जैसी सैकड़ों संक्रामक
बीमारियों से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है।
कार्यक्रम अध्यक्ष भारतीय शिक्षा शोध संस्थान के सचिव
डॉ. इन्द्रपाल शर्मा ने कहा कि कोरोना काल में बच्चों
व अभिभावकों की मानसिक स्थिति पर काफी असर पड़ा है,
जिससे परिवारों में तनाव देखने को मिला है। कार्यक्रम
का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार
प्रमुख सौरभ मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम में विद्या
भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के बालिका शिक्षा प्रमुख
उमाशंकर मिश्रा जी, सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे,
वरिष्ठ प्रचारक रजनीश पाठक, सुश्री शुभम सिंह सहित कई
पदाधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे। |