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अपने अंदर के साहस को जगाने का समयः
श्रीश्री रविशंकर |
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Tags: #U.P Samachar Sewa ,
Sri Sri Ravishankar, Yog Diwas Sandesh |
Publised
on : 2021:06:20
Time 19:10 |
लखनऊ,
20 जून 2021( उ.प्र. समाचार सेवा )
। इस महामारी में लोग चिंतित,अवसादग्रस्त और अपने
प्रियजनों को खो देने की पीड़ा से त्रस्त और घर की
चहारदीवारी में बंद रहे हैं।इन परिस्थितियों में हमें
बहुत अधिक मनोबल की आवश्यकता है।हमें एक ऐसा मार्ग
ढूंढने की आवश्यकता है,जो हमारे अपने भीतर जाता
है,जिसका अन्वेषण करने के लिए ना तो हमने समय निकाला
और ना ही हमारी कोई इच्छा थी। अब इस महामारी का यह
संकट हमारे लिए अपने भीतर जाने और वह कार्य करने का
अवसर बन गया है,जिसे हम समय की कमी के कारण टाल रहे
थे।यह समय अपने भीतर साहस को जगाने,एक साथ आने और इस
संकट से उबरने का है।और आध्यात्म हमें यह करने में मदद
करता है।
महामारी के कारण लोगों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी
समस्याएं भी बढ़ रही हैं।हांलाकि ,लोग अपनी डायबिटीज
और उच्च रक्तचाप की समस्या के बारे में खुलकर बात कर
रहे हैं,लेकिन मानसिक स्वास्थ्य के विकारों के बारे नहीं।इस
विकट परिस्थिति में,योग और ध्यान मानसिक स्वास्थ्य की
समस्याओं को दूर करने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है।
आज योग मानवजाति के लिए एक वरदान साबित हुआ है।यह
विश्व को दिया हुआ,भारत का एक अनमोल उपहार है।योग और
ध्यान के असंख्य लाभों को विश्व के सभी कोनों में
पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है।प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत
बनाने के अलावा,योग एक व्यक्ति को शारीरिक रूप से
स्वस्थ एवम् भावनात्मक रूप से स्थिर बनाता है।बीमारी
का पता लगने के बाद योगाभ्यास करने के कई लाभ हमने देखे
हैं।यह स्वास्थ्य समस्याओं के निवारण समाधान और
आत्मविश्वास को बढ़ाने में भी सहायक है।योग करने से मन
आनंदित रहता है,बुद्धि तीक्ष्ण हो जाती है और कौन है,जो
यह सब नहीं चाहता है?यह ऊर्जा और उत्साह को उच्च स्तर
में बनाए रखता है।
हम अपने शब्दों के बजाय अपनी तरंगों से अधिक संप्रेषित
करते हैं।योग हमारी तरंगों को सकारात्मक बनाता है।जब
हम अपने मन को शांत करके अपने भीतर की गहराई में जाते
हैं,तो इससे हमारे चारों ओर सकारात्मक तरंगों का एक
क्षेत्र बन जाता है,जिसकी आज बहुत आवश्यकता है।
योग और प्राणायाम का अभ्यास करें,लेकिन सबसे
महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके बाद थोड़ी देर बैठें और
ध्यान करें।ध्यान और प्राणायाम के बिना,योग केवल एक
शारीरिक व्यायाम है।जब हम अपने जीवन में
यम,नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार, धारणा,ध्यान और
समाधि ( योग के आठ अंग ) को एक साथ लाते हैं,तो हम
जीवन में मौलिक परिवर्तन को देखते हैं।हम कमजोरी से
मजबूती,शक्तिहीन से शक्तिवान बनने,दुख से प्रसन्नता और
स्वास्थ्य की ओर बढ़ते हैं।
ऐसा नहीं है कि योग के पथ पर चलने के लिए आपको कुछ
विशेष नियमों का अनुसरण करने की आवश्यकता है।आप किस
धर्म या वर्ग के हैं,इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।योग
आपके लिए एक उपहार साबित होगा।
हम सबकी यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि
प्रत्येक नागरिक को योग करने का अवसर उपलब्ध हो।जिन्होंने
अपने भीतर की शांति को पाया है,वह उन्हें प्रत्येक
व्यक्ति के साथ बांटनी चाहिए। |
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