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मुरादाबादः रहस्यमयी बुखार से  एक ही गांव में 20 की मौत

  • जांच में केवल एक की मौत कोरोना से होने की हुई पुष्टि
    करीब 35 से अधिक लोग निजी अस्पतालों में करा रहे हैं उपचार
    केवल दो बार ग्रामीणों की जांच कर खामोशी से बैठ गए स्वास्थ्य विभाग के अफसर

Tags: #U.P Samachar Sewa ,
Publised on : 18:05:2021      Time 22:30

मुरादाबाद, 18 मई 2021 ( उ.प्र.समाचार सेवा)। कोरोना संक्रमण के बीच पाकबड़ा क्षेत्र में खामोशी से पैर पसार चुका रहस्यमयी बुखार अब लोगों की जान लेने लगा है। ग्रामीण आंचल में इस बुखार ने पूरे-पूरे गांव को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। माजरा समझाने से पहले ही हल्के बुखार में ग्रामीण अपनी जान गंवा रहे हैं। एक ऐसा ही गांव हैं रतनपुर कलां, जहां पर एक माह में करीब 20 से अधिक ग्रामीण काल के गाल में समा चुके हैं। जबकि 35 से अधिक ग्रामीण निजी अस्पतालों में अपना उपचार करा रहे हैं। लगातार होने वाली मौतों में केवल एक ग्रामीण की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से होने की पुष्टि हुई है। हैरानी की बात यह है कि मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अफसर चुप्पी साधे बैठें है। उपचार के नाम पर दो बार गांव में टीम तो गई लेकिन वह भी केवल जांच करके वापस लौट आई। अभी तक न तो ग्रामीणों को कोई दवा दी गई है और न ही कोरोना की जांच कराई गई है।
आबादी के हिसाब से थाना क्षेत्र का सबसे बड़ा है गांव
आबादी के हिसाब से पाकबड़ा थाना क्षेत्र का रतनपुर कलां गांव सबसे बड़ा है। इस गांव की आबादी 30 हजार से अधिक है, जिसमें से साढ़े ग्यारह हजार तो वोटर हैं। हालांकि यह गांव मुस्लिम बाहुल्य है। अच्छी-खासी आबादी होने के बाद भी कोरोना काल में इस गांव में लोग कोरोना संक्रमण से काफी हद तक बचे रहे। पिछले साल भी जब कोरोना ने अपने पैर पसारे थे तब इक्का-दुक्का लोग ही संक्रमण की चपेट में आए थे। इस बार भी गांव के हालात काफी बेहतर थे लेकिन अचानक एक माह से गांव की आबोहवा काफी बदल गई। गांव में अचानक मौतों का सिलसिला शुरू हो गया। बच्चों से लेकर बूढ़े तक काल के गाल में समा गए। हैरानी वाली बात यह है कि मरने वालों में अगर एक को छोड़ दिया जाए तो कोई भी कोरोना की चपेट में नहीं आया। ग्रामीणों के अनुसार हल्के बुखार के बाद लोग बीमार हुए और अपनी जान से हाथ गंवा बैठे।
निजी अस्पतालों में करा रहे हैं उपचार
अचानक गांव में होने वाली मौतों से ग्रामीण घबरा गए। आलम यह हो गया कि हल्का बुखार आने पर ग्रामीणों ने अस्पतालों की ओर दौड़ लगानी शुरू कर दी। गांव निवासी राजीव ठाकुर और पवन कुमार की मानें तो सरकारी अस्पतालों में बेहतर उपचार नहीं मिला तो मरीजों ने निजी अस्पतालों की ओर दौड़ लगानी शुरू कर दी। मौजूदा समय में गांव के आसपास के अधिकतर निजी अस्पतालों में ग्रामीण भर्ती है। कुछ तो ऐसे हैं जो आर्थिक स्थिति बेहतर न होने के कारण घरों में रहकर अपना इलाज करा रहे हैं।
केवल जांच करके वापस लौट आई स्वास्थ्य विभाग की टीम
ऐसा नहीं हैं कि गांव के इन हालातों से स्वास्थ्य विभाग के अफसर बेखबर हैं। मौतों का सिलसिला शुरू होने के साथ ही दो बार स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव का दौरा किया। कई ग्रामीणों का चेकअप करने के साथ ही सैंपल लिए, लेकिन उपचार के नाम पर गांव से वापस जाने के बाद टीमें खामोशी से बैठ गई। यही वजह है कि अभी तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से न तो कैंप लगाया गया है और न ही ग्रामीणों को दवा वितरित की गई है।
गायों की मौत होने पर शनिवार को हुआ था हंगामा
रहस्यमयी बुखार की चपेट में आने से ग्रामीणों की मौतों के बीच शनिवार को अचानक गांव में कई गायों की भी मौत हो गई थी। इसकी जानकारी होने पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने गांव पहुंचकर जमकर हंगामा किया था। हालात बिगड़े तो मौके पर पहुंची फोर्स ने गायों की मौत की वजह जानने के लिए पशु चिकित्सा विभाग की टीम को भी बुला लिया गया था। मृत गायों के शरीर से लिए गए सैंपल में बीमारी से मौत होने की बात सामने आई थी। इसके बाद गायों को दफन कर दिया गया था।
वर्जन
गांव में दो बार टीम को भेजकर ग्रामीणों की जांच कराई गई। दवाओं का भी वितरण कराया जा रहा है। इस संबंध में आला अफसरों को सूचना दी गई है। निर्देश मिलते ही गांव में कैंप लगाकर जांच कराई जाएगी।
डा. सौरभ बरतरिया-----चिकित्साधिकारी

 
 
   
 
 
 
                               
 
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