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उत्तराखंड चुनावः हरीश रावत के खिलाफ भाजपा 91 साल के एनडी तिवारी का वोट बैंक भुनायेगी !
भूपत सिंह बिष्ट
Tags: BJP Uttarakhand Election
Publised on : Last Updated on: 19 January 2017, Time 11:10

देहरादून, 19 जनवरी 2017। (उ.प्र.समाचार सेवा)। 91 वर्षीय नारायण दत तिवारी को भाजपा का सदस्य बनाकर अमित शाह ने अपनी परिवर्तन यात्रा का महत्व युवा मतदाताओं के बीच घटा दिया है। वयोवृद्ध एन डी तिवारी जीवन के इस पड़ाव में मानसिक और शारारिक रुप से हाइटेक पालिटिक्स के लिए सक्षम नही है। कांग्रेस ने अपने इस वैटरन लीडर को मार्ग दर्शक मंडल में रखा हुआ था।
एनडी तिवारी के साथ उन के जैविक पुत्र रोहित शेखर को भाजपा का सदस्य बनाकर केंद्रीय नेताओं ने उत्तराखंड चुनाव में भाजपा को हंसी का पा़त्र बना दिया है। आज घरों में एनडी तिवारी एक बार फिर अपने विवादित जीवनवृत के लिए चर्चा में हैं - चाहे यह हैदराबाद गर्वनर हाउस के प्रकरण हों या उत्तराखंड का सबसे चर्चित लोकगीत नौ छमी नरैणा।
एनडी तिवारी की स्मरण शक्ति और दिनचर्या दूसरों पर आश्रित हो चुकी है। भाजपा एक मिथक के रुप में हरीश रावत का इस्तेमाल करना चाहती है - जब एनडी तिवारी ने हरीश रावत को देश - प्रदेश की राजनीति में पनपने नही दिया था। लेकिन तब भाजपा और आरएसएस का धुर विरोध करके एनडी अपने को सोशलिस्ट कहलाना पसंद करते थे। इन्दिरा परिवार की निकटता के कारण एनडी ने सार्वजनिक जीवन की ऊंचाइयों को छूआ और केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री का दायित्व निर्वहन किया। भाजपा के साथ उनके संबंध कभी मधुर नही रहे।
एन डी तिवारी के जैविक पुत्र रोहित शेखर को मान्यता और सदस्य बनाकर भाजपा ने विदेशी संस्कृति को अपनाने का उपक्रम किया है। आरएसएस और विश्व हिन्दु परिषद को इस विषय में बड़ी शर्म झेलनी पड़ेगी। हरीश रावत के खिलाफ एनडी तिवारी बेअसर होने वाले हैं लेकिन भारतीय संस्कृति को उलझन में डालने वाले नारायण दत तिवारी के प्रति भाजपा के इस व्यामोह में केंद्रीय नेतृत्व की छिछालेदर स्वाभाविक है। 
एन डी तिवारी को विकास पुरुष का नारा उनके कांग्रेस में योगदान के लिए दिया गया है। भाजपा यदि इस नारे को स्वीकार करती है तो कांग्रेस के आजादी से पहले और बाद के योगदान को भी स्वीकारना होगा। भाजपा को कांग्रेस नेताओं से युक्त करने का यह अभियान मोदी के कांग्रेस मुक्त भारत के ठीक विपरीत लगता है।
उत्तराखंड की नब्ज न समझने वाले भाजपा नेता ही इस तरह का अभियान छेड़े हुए हैं। एन डी तिवारी कुमायूं में ब्रहामण वोट का ध्रुवीकरण कर सकते हैं या रामनगर और काशीपुर सीटों  में उन के योगदान को भाजपा भुना सकती है -यह एक कपोल तथ्य है। ना तो उत्तराखंड में रोहित शेखर को कुमायूंनी मानते हैं और ना राजनीति में जाना- पहचाना नाम है। रोहित शेखर पहले लालकुआं सीट पर भाग्य आजमाना चाहते थे। रोहित शेखर को नकारने में एन डी तिवारी ने तमाम कानूनी हथकंडे अपनाये और लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट के बाहर यह मामला तय हुआ। ऐसे में एनडी के राजनीतिक वारिस के रुप में भाजपा का रोहित शेखर के प्रति अति विश्वास हरीश रावत को एक ओर संजीवनी देने वाला है।
प्रधान मंत्री मोदी के भाषण उत्तराखंड चुनाव में जुमले बाजी साबित होने लगे हैं - मोदी ने परिवार वाद और भ्रष्टाचार को भाजपा से खत्म करने का आह्वान किया था। अब कांग्रेस के कथित भ्रष्टाचारी मिनिस्टर शान से दिल्ली में भाजपा ज्वाइन करने आये और 70 सदस्यीय विधानसभा में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 15 सीटों में से दो सीट के टिकट अपने परिवार के लिए ले गए। 
ऐसे में आरएसएस और हाईटेक एजैंसियों के सर्वे बेमानी साबित हो रहे हैं। नरेंद्र मोदी, अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान, जेपी नड्डा, श्याम जाजू, विजय वर्गीय जैसे दिग्गज नेताओं के हाथ में चुनाव की कमान होने के बाद अब अचानक कांग्रेसी नेताओं को भाजपा में प्रवेश कराना आम जनता में यह आभास दे रहा है कि भाजपा में नेताओं का अकाल पड़ा है और नेतृत्व आयात करना जरुरी है - चाहे यह कांग्रेस से ही क्यू ंना किया जाये।
स्थानीय कार्यकर्ताओं और टिकट कटने से नाराज भाजपा के पूर्व विधायकों और नेताओ ने कांग्रेसी नेताओं के लिए चलाये जा रहे इस भर्ती अभियान की कटु आलोचना की है।
भ्रष्ट कांग्रेस की गंदगी का नाला अब भाजपा की गंगोत्री को ही अपवित्र करने लगा है। इन नेताओं का इतिहास और कारनामें भाजपा और आरएसएस के राष्ट्रवाद पर कुठाराघात है। आरएसएस की ओर से नियुक्त राष्ट्रीय संगठन मंत्री राम लाल और शिव प्रकाश भी इस अभियान के कालान्तर में होने वाले दुष्प्रभाव का आंकलन नही कर पाये हैं।

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News source: UP Samachar Sewa

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