U.P. Web News
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  Adhyatma  
 
शांति मंत्र ईशावास्योपनिषद
नाग देव का पूजन अतिशुभ व पुण्यकारी

इस बार पंचमी तिथि 7 अगस्त को भोर में 4.4. बजे लगेगी और 8 अगस्त को भोर 5.58  तक रहेगी। तिथि विशेष पर नाग आकृतियों और नाग देव के विग्रहों का यथा शक्ति पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन कर नाग देवता को पंचामृत, घृत, कमल, दूध, लावा अर्पित करने से नाग देव प्रसन्न होते हैं और अपना भय जनमानस को नहीं देते। कालसर्प योग से पंचमी का नाता ज्योतिष शास्त्र में राहू-केतु जनित या जिनकी कुण्डली में राहू-केतु की महादशा, अंतर्दशा,प्रत्यंतर दशा अनिष्ट हो उन लोगों को इस दिन सर्प पूजन अवश्य करना चाहिए। इस दिन नागकुंड यात्रा दर्शन का विधान है। चूंकि कालसर्प योग सैदव अशुभ नहीं होता। इसलिए जिनकी कुण्डली में कालसर्प योग हो, वे जातकों को शुभता बढ़ाने या अशुभता को समनार्थ कालसर्प योग की शांति कराने से निश्चित लाभ होता है। Read More

भारत ऋषि और कृषि का देश- श्रीश्री रविशंकर
Tags: UP News, Shahjahanpur News
Publised on : 18 March 2014 Time: 19:36

Sri Sri Ravishankar's spritual speach in Shahjahanpur on the ocassion of Holi festival 18th March 2014भ्रष्टाचार मिटाने के लिये भयमुक्त होकर करें मतदान
शाहजहांपुर। जब तक देश में भ्रष्टाचार बंद नहीं होगा तब तक राष्ट्र में शांति और सद्भाव भी नहीं बनेगा। संसद में बैठे भ्रष्टाचारियों और दागियों को उखाड़ फेकने का संकल्प लेने आए श्री श्री रविशंकर ने टाउन हॉल मैदान में हजारों की संख्या में उपस्थित अनुयायियों और उपस्थित नागरिकों से भ्रष्टाचारियों को हटाने और एक स्वच्छ व साफ सुथरी सरकार लाने की अपील के साथ मतदान भी अवश्य करने की अपील की साथ ही स्वदेशी फसल सहित विभिन्न उत्पाद अपनाने की भी अपील की।
श्री श्री आज टाउन हॉल हाकी क्लब मैदान में आयोजित रंग दे बसंती कार्यक्रम में आए थे। उन्होंने कहा हमारे देश के भ्रष्ट लोगों ने देश को बर्बाद कर दिया है संसद में 165 दागी सांसद हैं इन्हें हटाना होगा। श्री श्री रविशंकर ने कहा कि आज इन्ही लोगों की बदौलत देश में भ्रष्टचार फल फूल रहा है। अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए इन्हे हटा दीजिए और एक स्वच्छ व साफ सुथरी सरकार लेकर आइये जो देश और देशवासियों का भला करे। उन्होनें कहा कि यह देश ऋषि और कृषि का देश रहा है लेकिन हमने विदेशी बीज बोकर और उनके कैमिकलों का उपयोग कर अपने देश की माटी को बर्बाद कर दिया। श्री रविशंकर ने कहा कि उपने स्वदेशी बीजों का प्रयोग करें जीएनएम क्राप का पुरजोर विरोध करते हुए किसानों का आह्वान किया कि विदेशियों ने अपनी जमीन बर्बाद होने से बचाने के लिये प्रयोग करने के लिये भारत की भूमि दे दी।
Sri Sri Ravshankar's folowersविदर्भ का किसानों का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने कपास की खेती के लिये जीएनएम क्राप का उपयोग किया था लेकिन जो आज उनकी हालत हुई ह। वह किसी से छुपी नहीं इसलिये स्वदेशी बीजो एवं दवाईयों का प्रयोग करें। जिससे कृषि की अच्छी फसल मिले और जीवन खुशहाल हो। उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसल के बीजों को पहले की तरह सुरक्षित रखें और उसका प्रयोग करें। श्रीश्री रविशंकर ने बताया कि संस्था आर्ट आॅफ लिविंग ने प्रदेश में बहुत से कृषि सम्बन्धित केन्द्र खोले है और स्वदेशी बीज का प्रयोग कर रहे है जिससे किसान उनका प्रयोग कर अच्छी फसल ले सकते है।
अपने लगभग 45 मिनट के सम्मोहित भाषण में उन्होंने कई प्रकार से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया और उनकी समस्यों का समाधान भी किया। अंत में उन्होंने चिलचिलाती धूप में लोगों को करीब 15 मिनट तक ध्यान योग भी कराया।

रूस में गीता पर प्रतिबंध की मांग खारिज
शाहजहांपुर में हुआ बगलामुखी और देवी धूमावती का आह्वान
#Sutra : "Sincerity is there when you do anything with full awareness." ~SriSri..

|| Jai Gurudev || 


#Sutra : "Creation is anxious to fulfill your desires when you are hollow and empty." ~ SriSri.. 
|| Jai Gurudev || 

 

"Happiness depends only on your mind. When the mind is free of past impressions and future cravings, the happiness is there." ~ Sri Sri..
|| Jai Gurudev ||

Much more than the body: Sri Sri Ravi Shankar

Q: When we say that so and so person is a realized soul, what do they realize?
Sri Sri: Realization is just that I am not the body but I am much more than the body. I have been here before this birth and I will continue to be there after my death also. If someone realizes this, that’s it. But that only they can say, others cannot judge for them.

Courtesy by Facebook wall of Sri Sri Ravi Shankar

Publised on : 2011-05-11 Time 09:26  

आज आद्ध शंकराचार्य की जयंती है !
Courtesy by Ram Bhuwan Singh Kushwah from facebook wall on Sunday, May 8, 2011 at 8:38am

Publised on : 2011-05-08 Time 16:03  

आज का दिन भारत के लिए अविस्मर्णीय और गौरवशाली है । आज के दिन वैशाख शुक्ल पंचमी को  आदिशंकराचार्य का जन्म केरल के तत्कालीन मालावार जिले में हुआ था । उनके पिता शिव गुरु तैत्तरीय शाखा के यजुर्वेदी ब्राह्मण थे । बालक शंकर बचपन से ही मैधावी और अध्यावशायी थे । मात्र 8 वर्ष की अवस्था में गुरु गोविंदपादसे शिष्यत्व गृहण करके सन्यास गृहण करके और  मात्र 16 वर्ष की आयु में पूरे भारत की यात्रा करके ब्रम्हसूत्र का भाष्य लिखा । उस समय भारत में यातायात और संचार  के साधन आज जैसे  नहीं थे । युवा शंकर ने पैदल ही चलकर समस्त विद्वानों को शास्त्रार्थ करके पराजित किया । उस  समय की परंपरानुसार शास्त्रार्थ में पराजित विद्वान शिष्य बन जया करता था । यही कारण था कि उस समय के  सबसे शीर्ष विद्वान पंडित मंडन मिश्र को भी हराकर उन्हें अपना शिष्य और सन्यासी बनाकर पूरे विश्व को चमत्कृत किया ।मंडन मिश्र और शंकराचार्य के शास्त्रार्थ में हारजीत का फैसला करनेवाला उस स्तर का कोई विद्वान उस समय भारत में नहीं था ,परिणामस्वरूप मंडन मिश्र की धर्मपत्नी भारती जो स्वयं भी उदभट विद्वान थी , निर्णायक बनाईं गईं । शास्त्रार्थ कई दिनों तक चलता रहा और यह निर्णय करना जब कठिन होगया तब भारती ने गले में डाले गए हार के मुरझा जाने से निर्णय लिया । यह उस समय की ईमानदारी थी कि पत्नी ने अपने पति के साथ पक्षपात नहीं किया और पति के गले की माला मुरझा जाने पर आदि शंकराचार्य को  विजयी घोषित किया । 

आदि शंकराचार्य मात्र 32 वर्ष में चले गए । उन्होने सनातन धर्म और भारतीय समाज  में व्याप्त बुराइयों को समूल नष्ट करने के लिए और देश को एकसूत्र में बांधने के लिए चारों छोर पर शंकराचार्य पीठों की स्थापना की । लगभग सभी लुप्तप्राय  उपनिषदों को सार्वजनिक करते हुये उनका भाष्य किया । विश्व को  समता मूलक विचार अद्वेत दर्शन दिया,सन्यासियों की दशनामी परंपरा दी । आश्चर्य होता है कि एक व्यक्ति मात्र 24  साल में इतने महान कार्य कैसे कर सकता है ? पर इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है  । व्यक्ति अगर संकल्प लेले और उसे पूरा करने के लिए प्राणपण से जुट जाए तो वह असंभव को भी संभव कर दिखाता है । आदि शंकराचार्य की तरह स्वामी विवेकानन्द ने भी मात्र 39 वर्ष की उम्र में महाप्रयाण किया और इस बीच दुनिया को चमत्कृत कर भारतीय मेधा का लोहा मनवा लिया था । यह संकल्पशक्ति का ही प्रभाव था ।  

आओ ,हम सब आद्धशंकराचार्य के पवित्र उद्येश्यों को स्मरण कर उनके आदर्शों का अनुगमन करें और  भारत की पवित्र भूमि को उसके खोये गौरव को पुनः दिलाने  की दिशा में अग्रसर हों । यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी । 

Guruji's Knowledge Sheet: Drop Your Intentions
Courtesy by: Preity Thomas fron Facebook wall,  May 6 at 1:16pm Reply • Report
Publised on : 2011-05-06 Time 23:45  
Sri Sri: A strong tendency to keep doing something, whether important or unimportant, becomes an impediment to meditation. Doing starts first with an intention and then translates into action. Though intention springs from the Being, when it becomes doing it doesn’t let you settle down. All intentions, good or bad, trivial or important, need to be dropped for meditation to happen.

Vijay: But isn’t dropping all intentions itself an intention?

Sri Sri: Yes, but that intention is the last and necessary intention. Dropping the intentions is not an act – just the intention to drop the intentions itself serves the purpose. Dropping all intentions even for a moment brings you in touch with your Self – that instant meditation happens.While you sit for meditation you have to let the world be the way it is. The repetition of meditation is to habituate our system to be able to stop and start activity at will. The ability to do this consciously is a very precious skill.

|| Jai Guru Dev ||

साईं को दी गई महासमाधि

साईं की अंतिम यात्रा शुरू, थोड़ी देर में होगी महासमाधि

मार्गदर्शक के रूप में सदैव हमारे बीच मौजूद रहेंगे बाबा : साईं सेवाआश्रम
लखनऊ, 24 अप्रैल। (उप्रससे)। श्री सत्य साईं बाबा के निधन के समाचार से राजधानी के हजारों साईं भक्त स्तब्ध रह गये। अपने आराध्य गुरू के अपने बीच न रहने के समाचार ने मानों उनके जीवन की गति ही रोक दी। ऐसा मंजर पहले कभी नहीं दिखा। श्रध्दांजलि के शब्द भी बमुश्किल रूंधे गले से कुछ ही साईं भक्तों के मुंह से निकल पाये।
श्री साईं सेवाश्रम ने श्री सत्य साईं बाबा के निधन पर गहराशोक व्यक्त किया है, और कहा है कि बाबा हमारे अराध्य गुरू थे उनके निधन से हमें भ्रमित नहीं होना चाहिए कि बाबा हमारे बीच नहीं रहे। यह ध्रुव सत्य है कि ''हमारे गुरू और मार्गदर्शक बाबा चेतना के रूप में हमारे बीच सदैव रहेंगे''। और भक्त बाबा के मिशन 'मानव सेवा में माधव सेवा' को अपने जीवन का संकल्प मान कर आगे बढायेंगे। यही बाबा के प्रति उनकी सच्ची श्रध्दांजलि होगी। श्री साईं सेवाश्रम के अध्यक्ष चन्द्र कुमार छाबडा ने बताया कि साईं भक्त आज शाम 6 बजे से गायत्री पाठ का म प्रारम्भ करेंगे जो 27 अप्रैल तक जारी रहेगा, तथा इस दौरान वह सात्विक जीवन तथा एक समय भोजन करने के नियम का पालन करेंगे।

सत्य साईं बाबा ने परलोक गमन किया

Tags:Puttaparti, Andhra Pradesh, Satya Sai Baba,

पुट्टापर्थी (आन्ध्र प्रदेश), 24 अप्रैल, 2011। प्रसिद्ध संत सत्य साईं बाबा ने शरीर त्याग दिया। साईं बाबा आज सुबह सात बजकर चालीस मिनट पर यहां स्थित सुपरस्पेशियलिटी चिकित्सालय में नश्वर देह त्याग कर आत्म तत्व में विलीन हो गए।

साई बांबा को गत 28 मार्च को स्वास्थ्य खऱाब होने पर सत्य साईं चिकित्सा सेवा ट्रस्ट के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। साईं बाबा ने 85 वर्ष तक इस लोक में जीवन जिया। इसके बाद आज वे परलोक गमन कर गए। साईं बाबा के देश विदेश में लाखों की संख्या में भक्त और उनके अनुयायी हैं। साईं बाबा को साईं का अवतार माना जाता था। उन्होंने अध्यात्म और सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया। अनेक शिक्षण संस्थान और चिकित्सा संस्थान स्थापित किये। बाबा के निधन का समाचार मिलने पर देश भर में शोक की लहर दौड़ गई है। अस्पताल में आज सुबर सत्य साईं ट्रस्ट द्वारा बाबा के निधन के संबंध में प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई। साईं बाबा का शरीर दो दिनों के लिए दर्शनार्थ रखा जाएगा।

लखनऊ में आर्ट आफ लिविंग कोर्स
लखनऊ। आध्यात्मिक और मानसिक ऊर्जा प्राप्त करके जीवन स्तर को उच्च स्तर पर लाने के लिए राजधानी में आर्ट आफ लिविंग का बेसिक कोर्स 12 अप्रैल से शुरु होगा। पांच दिवसीय कोर्स का समापन 17 अप्रैल को होगा। कोर्स सुबह और शाम दोनों पालियों में आयोजित है। सुबह 6 से 8.30 व शाम 6 से 8.30 बजे तक कोर्स में भाग लेने के लिए उर्मिल ग्रोवर से मोबाइल नम्बर 07398872137 पर सम्पर्क किया जा सकता है। कोर्स 1/300 विशाल खण्ड में आयोजित किया गया है।

 

 

 

 

 

 

 



 

Blood flow increases, the brain relaxes.

Some pointers by Guruji from TRM 2003
• Drop “Guruji said” arguments.
• Deal with the person directly. If you have a problem.
• Be bold to criticism and brave to take it.
• Your presence should convey all the knowledge.
• Start talks with sharing what you have gained by the AOL and Guruji.
• Be a lighthouse of knowledge.
• Throw seeds of awareness in society.
• Develop 10-15 volunteers that contribute to your goal. (AOL courses)
• P.A.P. Problems, Achievement and Planning.
• If you have personal problems just teach courses, it works!
• Plan and be ready to give up or change your plan. (when working with or for guruji)
• Kriya has been measured to be a good exercise for the brain. Blood flow increases, the brain relaxes. Cholesterol drops with kriya. Sugar goes up while doing the kriya, because the sugar is released through the blood. It is only temporary.

Shivaratri - Maha Rudrabhishek And Maha Satsang

India, 2nd Mar 2011

Experience deep rest & awareness this Shivratri in the presence of H.H. Sri Sri Ravi Shankar

Venue: Amroodon Ka Bag, Near New Vidhan Sabha, Janpath, Jaipur, Rajasthan (India)
Time: 6:00PM Onwards, Wednesday, March 2, 2011 (Watch LIVE Webcast)

“Deep rest in celebration with awareness is Shivratri” – Sri Sri

Shivratri comes from the word Shiva and Ratri (night). It is the time to rest in the formless with alertness. This formless Divinity is Shiva. To simply wake-up and experience this Shiva tattva is Shivratri.

When we meditate we go off the influence of the mind and into the self. Shiva tattva is always benevolent, caring, loving and uplifting. Consciousness deep within, is caring, loving, uplifting and benevolent and will nullify the negative influences on the mind. This is experienced through meditation.

Meditation is very rare combination of simplicity, profoundness and depth. It is the only way to transform fear and hatred into love. It helps lay foundation of a stress-free, violence-free society. It brings relaxation and peace inside and outside. Meditation, when done in large groups becomes a yagna (vedic ritual) and creates waves of peace within and outside.

This Shivratri come to rejuvenate and refresh oneself as H.H. Sri Sri Ravi Shankar adding colours to the Pink City of Jaipur. Celebrate restful awareness in the presence of Sri Sri.


 

 

 

"Fight corruption with truth and non-violent": Sri Sri Ravi Shankar

Banglore (India,Bharat), 06 February 2011. (Courtesy by Art of Living Website)

"Fight corruption with truth and non-violent means, we have to come together to root out corruption from India”, Sri Sri Ravi Shankar told a large gathering of youth, who had assembled at the Art of Living International Center for the Yuva Jagruti Sammelan.

The youth, he said, have an important role to play in combating corruption, "The youth have to bring a wave of transformation. We need to stand strong against corruption irrespective of any party or person.“ Sri Sri added.

Youth from villages around Bangalore and Ramanagaram had gathered for the event to debate on ways to tackle corruption at the grassroot level. The participants discussed a number of strategies, including the use of Right to Information (RTI) act and proactively follow up on the status of projects and schemes with local officials and elected representatives. The youth also plan to stage street plays to create awareness about the problem of corruption and enlist more supporters for the cause.

The organizers also released a sticker: “I do not take a bribe”. The stickers will be distributed in government offices to discourage officials at village and taluka levels from taking bribes.

The Art of Living has been raising its voice against corruption as an active member of the ‘India Against Corruption’ campaign. The campaign is led by Sri Sri Ravi Shankar, Baba Ramdev, Swami Agnivesh, Kiran Bedi, Anna Hazare, Arvind Kejriwal (RTI pioneer) and others. The movement seeks comprehensive reform of anti-corruption systems in India, through the enactment of a law to set up effective anti-corruption bodies such as the Lokpal at the Centre and Lokayukta in each state.

युवाओं भूतकाल को पीछे छोड़ो आगे बढ़ोः श्री श्री रविशंकर

बट्टीकालोआ (श्रीलंका), 22 जनवरी, 2010।(प्रेस विज्ञप्ति आर्ट आफ लिविंग)। युवाओं भूतकाल को पीछे छोड़ो और आगे बढो। यह संदेश दिया है आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने, वे यहां आयोजित संगीत समारोह में युवाओं उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें अपने मानवीय स्वभाव के अनुसार क्षमाशीलता के गुण को अपनाना चाहिए। श्री रविशंकर ने संगीत समारोह में उमड़े जनसमुदाय को सभी धर्मों का आदर करने की भी सीख दी।

उक्त समारोह में करीब 21 हजार से अधिक लोगों ने एक साथ संगीत तमिल गायक की कविताओं को गाया। समारोह को पूर्वी राज्य के मुख्यमंत्री चन्द्रकान्तन शिवनेशातुरी ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने श्रीलंका में आर्ट आफ लिविंग द्वारा किये गए राहत कार्यों के लिए श्री श्री रविशंकर की प्रसंशा की।

Papangkusha Ekadashi, Asvin Shukla, EKADASI Samvat 2067, Somvar

पापांकुशा एकादशी : समस्त कष्टों से मुक्ति औप मोक्ष प्रदान करती है

 

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापाकुंशा एकादशी ने नाम से जानते हैं। यह एकादशी मनुष्यों को समस्त पापों एवं कष्टों से मुक्ति प्रदान करती है तथा मोक्ष भी प्रदान करती है। इस एकादशी का व्रत तथा इसका महात्म महाभारत में स्वयं भगवान वासुदेव ने युधिष्टिर को बताया है। एकादशी का महत्व बताते हुए भगवान वासुदेव ने युधिष्ठिर से कहा कि- 

राजन् आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी होती है, वह पापाकुंशा के नाम से विख्यात है। वह सब पापों को हरने वाली तथा उत्तम है। इस दिन सम्पूर्ण मनोरथ की प्राप्ति के लिए मनुष्यों को स्वर्ग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले पद्यमनाभसंज्ञक मुझ वासुदेव का पूजन करना चाहिए। जितेन्द्रिय मुनि चिरकाल तक कठोर तपस्या करके जिस फल को प्राप्त करता है, वह इस दिन भगवान् गरुड़ध्वज को प्रणाम करने से ही मिल जाता है। पृथ्वी पर जितने तीर्थ और पवित्र देवालय हैं, उन सबके सेवन का फल भगवान् विष्णु के नाम का कीर्तन मात्र से मनुष्य प्राप्त कर लेता है। जो शांर्ग धनुष धारण करने वाले सर्वव्यापक भगवान जनार्दन की शरण में जाते हैं। उन्हें कभी यमलोक की यातना नहीं सहनी पड़ती। यदि अन्य कार्य के प्रसंग से भी मनुष्य एक मात्र एकादशी को उपवास कर ले तो उसे कभी यम यातना प्राप्त नहीं होती। जो पुरुष विष्णु भक्त होकर भगवान शिव की निंदा करता है। वह भगवान विष्णु के लोक में स्थान नहीं पाता है। उसे निष्चय ही नरक में गिरना पड़ता है। इसी प्रकार यदि कोई शैव या पासुपत होकर भगवान शिव की निंदा करता है तो वह घोर रौरव नरक में डालकर तब तक पकाया जाता है जब तक कि 14 इन्द्रों की आयु पूरी नही हो जाती।

यह एकादशी स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाली शरीर को नीरोग बनाने वाली तथा धन एवं मित्र देने वाली है। राजन एकादशी को दिन में उपवास तथा रात्रि में जागरण करने से अनायास ही भगवान विष्णु के धाम की प्राप्ति हो जाती है। राजेन्द्र वह पुरुष मातृ पक्ष की दस पिता के पक्ष की दस तथा स्त्री के पक्ष की भी दश पीडि़यों को उद्धार कर देता है। एकादशी व्रत करने वाले मनुष्य दिव्य रूप धारी चतुर्भुज, गरुण की ध्वजायुक्त हार से सुशोभित और पीताम्बरधारी होकर भगवान विष्णु के धाम को जाते हैं। आश्विन के शुक्ल पक्ष के पापाकुंशा का व्रत रखने मात्र से ही मानव सब पापों से मुक्त हो श्रीहरि के लोक में जाता है। जो पुरुष स्वर्ण तिल भूमि गौ अन्न जल जूते और छाते का दान करता है वह कभी यमराज को नहीं देखता। नृप श्रेष्ठ पुरुष को भी चाहिए कि वह यथाशक्ति दान आदि क्रिया करके अपने प्रत्येक दिन को सफल बनावे।

अवन्ध्यं दिवसं कुर्याद् दरिद्रोअपि। समाचरन् यथाशक्ति स्नानदानादिकाः क्रियाः।।

जो होम स्नान यज्ञ जप ध्यान और यज्ञ आदि पुण्य कर्म करने वाले हैं। उन्हें भयंकर यातना नहीं झेलनी पड़ती। लोक में जो मानव दीर्घायु, धनाड्य कुलीन और नीरोग देखे जाते हैं, वे पहले के पुण्य आत्मा हैं। पुण्यकर्ता पुरुष ऐसे ही देखे जाते हैं। इस विषय में अधिक कहने से क्या लाभ मनुष्य पाप से दुर्गति में पड़ते है तथा धर्म से स्वर्ग में जाते हैं। राजन् तुमने मुझ से जो कुछ पूछा था उसके अनुसार पापांकुशा का मैंने वर्णन किया।

साभारः कल्याण

 

 

 
   
 
 
                               
 
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