युग पुरुष
के रूप में याद किये जाएंगे कल्याण सिंह |
सर्वेश कुमार सिंह |
अयोध्या में विवादित ढांचे के नीचे रखीं भगवान श्रीराम की मूर्तियों को कोई ताकत हटा
नहीं सकती है, तो फिर वहां मस्जिद के ढांचे की क्या आवश्यकता है ? हम इस ढांचे को
यहां से हटा देना चाहते हैं। दृढ़ता और संकल्प की शक्ति के साथ यह बात कहने का अदम्य
साहस कल्याण सिंह में ही था। वह भी तब जब वे उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य के
मुख्यमंत्री पद पर विराजमान थे।
विस्तृत.......... |
अफगान
संकट में भारत की चिंता |
सर्वेश कुमार सिंह |
अफगानिस्तान में 15 अगस्त को तालिबान का कब्जा हो जाने से भारत की चिंताएं बढ़
गई हैं। यूं तो यह अफगानिस्तान का आंतरिक मामला है। वहां किसकी सरकार रहे,
लोकतांत्रिक सरकार बने या कट्टरपंथी तालिबान शासन करें, इससे भारत पर प्रत्यक्ष कोई
असर नहीं पड़ने वाला है । किन्तु अप्रत्यक्ष रूप से काबुल में सत्ता हस्तांतरण से
भारत अप्रत्यक्ष रुप से अवश्य प्रभावित होगा।
विस्तृत.......... |
"योग और
जीवन" |
उर्मिल ग्रोवर |
"योग" क्या है ? और "जीवन" क्या है ?
दोनों ही शब्द छोटे छोटे परन्तु विराट सागर समेटे हुए हैं। इनके शाब्दिक अर्थों के
साथ-साथ योग और जीवन का परस्पर सम्बन्ध क्या है, आज इस विषय पर विस्तृत चर्चा करने
की इच्छा एक बार फिर से जागृत हो उठी है। हर बार इस समन्दर में गोते लगाना शुरू करती
हूँ और आनन्दातिरेक में गुम हो जाती हूँ, शब्दों से परे, बहुत दूर।
विस्तृत.......... |
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बंगला अस्मिता को मुद्दा बनाकर जीतीं ममता बनर्जी |
सर्वेश कुमार सिंह |
पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणाम अप्रत्याशित नहीं है। ममता बनर्जी की हार की जो लोग कल्पना कर रहे थे, या भविष्यवाणी कर रहे थे, वे पश्चिम बंगाल के मुद्दों से अनभिज्ञ थे। ममता अजेय साबित हुई हैं । उन्हें प्रदेश में निर्णायक मत मिले हैं। हां यह जरूर है कि उन्हें अपनी निजी सीट पर पराजय से गहरा धक्का लगा है। लेकिन, पार्टी ने राज्य की
सत्ता में शानदार वापसी की है।
विस्तृत.......... |
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सचेत होते तो आक्सीजन संकट से बचा जा सकता था |
अशोक भाटिया |
राजनैतिक आरोप-प्रत्यारोप एक ऐसा ओछा हथकंडा है, जिसके सहारे स्याह को सफेद और सफेद को स्याह कर देने का कुच्रक बेहद चालाकी और मक्कारी से हर समय चलाया जाता है। नेता और दल न तो समय देखते हैं, न मौका, उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी को नीचा दिखाने में ही सुकून मिलता है। सियासी दोषारोपण की राजनीति की वजह से ही कई ऐसे राज नहीं खुल पाते हैं
जिस पर से पर्दा उठने से कई गुनाहगार जेल की सलाखों के पीछे पहुंच सकते हैं। महामारी के दौर में भी यही सब देखने को मिल रहा है।
विस्तृत.......... |
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चुनावी राजनीति से माध्यमिक शिक्षक संघों के वर्चस्व का अंत |
सर्वेश कुमार सिंह |
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद् चुनाव ने इतिहास रच दिया है। विधान परिषद की 11 सीटों के लिए हुए चुनाव में जहां पहली बार भारतीय जनता पार्टी को शिक्षक खण्ड क्षेत्रों में विजयश्री मिली है, वहीं दूसरी ओर पांच दशक से अधिक समय से वर्चस्व रखने वाले माध्यमिक शिक्षक संघों का तिलिस्म टूट गया है।
विस्तृत.......... |
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मायावती के दर्द को भी समझें |
सर्वेश कुमार सिंह |
बसपा की प्रमुख मायावती गुरुवार की प्रेस कांफ्रेंस के बाद से कुछ लोगों के निशाने पर हैं। उनकी आलोचना हो रही कि उन्होंने सपा को हराने के लिए किसी भी दल, यहां तक कि भाजपा के प्रत्याशियों को भी वोट दिलाने की बात कैसे कह दी। उनके मुंह से भाजपा का नाम निकलते ही ‘भूचाल’ आ गया है। प्रियंका गांधी बढेरा तो यहां तक कह गईं कि अब कुछ और
भी बाकी है। सोशल मीडिया में भी मायावती को निशाने पर लिया जा रहा है। उन्हें भाजपा समर्थक और केसरिया को लाभ पहुंचाने वाला बताया जा रहा है।
विस्तृत.......... |
दीयों से घर जगमगाने के साथ समाज को भी आत्मनिर्भर व रोशन करने का संकल्प ले |
अशोक भाटिया |
भारत को त्यौहारों का देश माना जाता है।दशहरे के बाद दीपावली की शुरुवात हो जाती है | दीपावली सबसे अधिक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार दीपों का पर्व है। जब हम अज्ञान रूपी अंधकार को हटाकर ज्ञान रूपी प्रकाश प्रज्ज्वलित करते
हैं तो हमें एक असीम और आलौकिक आनन्द का अनुभव होता है।हालाँकि दीपावली एक लौकिक पर्व है। फिर भी यह केवल बाहरी अंधकार को ही नहीं, बल्कि भीतरी अंधकार को मिटाने का पर्व भी बने। हम भीतर में धर्म का दीप जलाकर मोह और मूचर्छा के अंधकार को दूर कर सकते हैं।
विस्तृत.......... |
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काशीपुर के हिन्दू सम्मेलन में हुई पहली बार धर्मस्थलों की मुक्ति की बात |
सर्वेश कुमार सिंह
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श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर का निर्माण आरम्भ होने की शुभ घड़ी निकट आ गई है। पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मन्दिर की आधारशिला रखेंगे तथा भूमि पूजन करेंगे। यह देश के करोड़ों
हिन्दुओं के लिए गौरव और स्वाभिमान की बात है। यह दिन देखने के लिए देश के हिन्दुओं ने लंबा संघर्ष किया। विस्तृत.......... |
जब डा. कर्ण सिंह ने कहा, राम मन्दिर का मुद्दा उठाने से साम्प्रदायिकता फैल जाएगी ! |
सर्वेश कुमार सिंह |
श्रीराम के जन्मस्थान पर 5 अगस्त से मन्दिर निर्माण आरंभ होने जा रहा है। भगवान राम के इस मन्दिर पर
पूर्णतः और वैधानिक अधिकार प्राप्त करने के लिए हिन्दू समाज ने लंबा संघर्ष किया है। इसके लिए विश्व हिन्दू परिषद् के नेतृत्व में लगभग 38 साल तक अनवरत आन्दोलन चला। आन्दोलन को समस्त संत समाज का आशीर्वाद प्राप्त रहा। इस आन्दोलन की शुरुआत में कुछ ऐसी भी घटनाएं घटीं जो चकित करती हैं।
विस्तृत.......... |
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पंचशील को भूलें, तिब्बत स्वायत्ता के लिए आगे बढ़ें |
भूपत सिंह बिष्ट |
चीन
को उसकी कुटिलता और पैंतरों से सबक सिखाने का समय अब आ गया है - अपने जांबाज शहीदों के बलिदान को सकारात्मक सोच में बदला जाये। चीन अधिगृहीत तिब्बत सीमा पर हो रहे बलिदानों को न भूलने के साथ, अब चीन के खिलाफ ठोस कार्रवाई का वक्त है। विस्तृत.......... |
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बिकरू में क्यों मात खा गई पुलिस |
सर्वेश कुमार सिंह |
बिकरू में पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसजनों का बलिदान उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए बड़ी और अपूर्णीय
क्षति है। इसमें एक क्षेत्राधिकारी, दो उप निरीक्षक और पांच कांस्टेबल की जान गई। छह पुलिसजन घायल भी हुए। दो और तीन जुलाई की मध्य रात्रि के बाद दुर्दांत अपराधी विकास दुबे और उसके गिरोह के साथ चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरु में हुई मुठभेड़ ने कई सवाल छोड़े हैं। इन सवालों पर पुलिस विभाग के
साथ-साथ शासन, प्रशासन में मंथन जारी है। वहीं समाचार माध्यमों और सामाजिक सूचना तंत्र ( सोशल मीडिया) में भी तरह-तरह की बातें कही जा रही हैं। विस्तृत.......... |
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हमारे अधीश जी |
सर्वेश कुमार सिंह |
आज अधीश जी की पुण्य तिथि है। वर्ष 2007 की 5 जुलाई ( गुरुवार) । इसी दिन दिल्ली में झण्डेवाला स्थित संघ कार्यालय में अधीश जी हम सबसे दूर चले गए। अधीश जी को गए आज तेरह वर्ष व्यतीत हो गए। किन्तु, उनकी
स्मृति से एक क्षण भी हम सबके लिए अलग नहीं हुआ जाता। इस लखनऊ में और समूचे उत्तर प्रदेश में जहां-जहां भी अधीश ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के नाते दायित्य का निर्वहन किया, वहां उनके स्नेही कार्यकर्ता और सामान्य स्वयंसेवक हर समय चर्चा करते मिल जाएंगे।
विस्तृत.......... |
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निजी स्कूलों को नियंत्रित कर सरकार शिक्षकों की भर्ती करे |
प्रिंयंका सौरभ |
दरअसल
सरकारी स्कूल फेल नहीं हुए हैं बल्कि यह इसे चलाने वाली सरकारों, नौकरशाहों और नेताओं का फेलियर है. सरकारी स्कूल प्रणाली के हालिया बदसूरती के लिए यही लोग जिम्मेवार है जिन्होंने निजीकरण के नाम पर राज्य की महत्वपूर्ण सम्पति का सर्वनाश कर दिया है. वैसे भी वो राज्य जल्द ही बर्बाद हो जाते है या
भ्र्ष्टाचार का गढ़ बन जाते है जिनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और पुलिस व्यवस्था पर निजीकरण का सांप कुंडली मारकर बैठ जाता है. आज निजी स्कूलों का नेटवर्क देश के हर कोने में फैल गया है. |
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जल संकट एक और खतरे की घंटी |
डॉo सत्यवान सौरभ |
नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, इतिहास में अपने ‘सबसे खराब’ जल संकट का सामना कर रहा है। गर्मियों में नल सूख गए हैं , जिससे अभूतपूर्व जल संकट पैदा हो गया है। एशियाई विकास बैंक के एक पूर्वानुमान के अनुसार, भारत में
2030 तक 50% पानी की कमी होगी। हाल ही के अध्ययनों में कम पानी की उपलब्धता के मामले में मुंबई और 27 सबसे कमजोर एशियाई शहरों में शीर्ष पर मुंबई और दिल्ली शामिल हैं। यूएन-वॉटर का कहना है कि "जलवायु परिवर्तन के पानी के प्रभावों को अपनाने से स्वास्थ्य की रक्षा होगी और जीवन की रक्षा होगी"। |
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यूजीसी की नई सौगात |
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श्याम सुंदर भाटिया |
चौतरफा कोरोना वायरस के घुप अंधेरे में विश्वविद्यालय अनुदान-यूजीसी ने अपनी खिड़की से सूर्य की ऐसी रोशनी बिखेरी है, देश के
करोड़ों युवाओं के चेहरे चमक उठे हैं। मानो, मुंह मांगे मुराद पूरी हो गई है। अंततः यूजीसी ने सालों-साल से लंबित एक साथ दो डिग्री देने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। आयोग की सैद्धांतिक सहमति के बाद अब उच्च शिक्षा के ख्वाहिशमंद छात्र एक समय में दो डिग्री ले सकेंगे । |
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सकारात्मकता का नया सवेरा |
#
सुरेश जैन |
पूरी
दुनिया में कोरोना वायरस मानव जीवन में मौत के सौदागर के रुप में सामने आया है तो लॉकडाउन ने जिंदगी को दोबारा से पढ़ने, सुनने और गुनने का स्वर्णिम मौका दिया है। बदले हालात ने जीवन में और वैकल्पिक सुनहरे पन्ने खोल दिए हैं। हमारी सोच में आमूल-चूल परिवर्तन ला दिया है। यदि हम पहले घोर नास्तिक थे तो अब ईश्वर
के अस्तिव को मानने लगे हैं। |
प्रकृति और मनुष्य |
डा अपूर्वा अवस्थी |
प्रकृति
का रूप प्रतिक्षण परिवर्तित होता है। आदिकाल से प्रकृति हमारी संगिनी रही है। हमारे सुख ,दुख लाभ-हानि,यश अपयश में हमारी साक्षी रही। प्रकृति की पूजा उपासना भी हमारे धर्म और संस्कृति का मुख्य भाग रहा है। हमारी भारतीय संस्कृति में जितने भी त्योहार है सब प्रकृति से जुड़े हैं। हमारा खान-पान भी
प्रकृति पर आधारित है ।हम ये कह सकते हैं कि हमारा जीवन ही प्रकृति के कारण है। |
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भारतीय संस्कृति और कोरोना वायरस |
डा अपूर्वा अवस्थी |
भारतीय संस्कृति सदैव सबको साथ लेकर चली है। हमारे पूर्वजों ने हमें यही सिखाया है कि अपने साथ दूसरों का भी ध्यान रखना चाहिए। केवल अपना पेट भरने वाला कभी सुखी नहीं रहता । भारतीय संस्कृति के मूल में यही भावना विद्यमान है। आज संपूर्ण विश्व करोना जैसी महामारी से परेशान है। लोग
भयभीत हैं अपने घरों में बंद है ऐसे में भारत में जिस प्रकार इस महामारी से लोगों ने कार्य किया है Read More............. |
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योगी सरकार: तीन साल,बेमिसाल |
सर्वेश कुमार सिंह |
योगी
आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को जब प्रदेश के
मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, तो प्रदेश की जनता
के मन में तमाम प्रश्न थे। आम जनता को लगता था कि एक
भगवाधारी संत प्रदेश में कानून व्यवस्था, विकास और
सुशासन की जन आकांक्षओं को क्या वास्तव में पूरा कर
पाएगा। क्योंकि, प्रदेश की जनता ने पूर्ववर्ती समाजवादी
पार्टी की अखिलेश यादव सरकार को इन्हीं मुद्दों पर
विफलता के कारण हटाया था।
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नागरिकता कानून: आजादी की कीमत चुकाने
वालों के ऋण का प्रतिदान |
सर्वेश कुमार सिंह |
नागरिकता
संशोधन कानून का देश में मुसलमानों के एक वर्ग और उनकी
बहुसंख्या वाले विश्वविद्यालयों में विरोध हो रहा है।
राजनैतिक स्तर पर कांग्रेस और वामदल इसका विरोध कर रहे
हैं। कुछ क्षेत्रीय दलों ने विरोध किया है। विऱोध
शांतिपूर्वक और लोकतांत्रिक नहीं है, हिंसक है। ‘खून
की नदियां बहा देने ’ की धमकी दी जा रही है। अलीगढ़
में मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र कलम के साथ-साथ
कट्टे और बम से पुलिस पर हमला कर रहे हैं। जामिया में
पांच बसें, पुलिस वैन, चौकी फूंक दी गई हैं। सार्वजनिक
सम्पत्ति को इस तरह नुकसान पहुंचाया जा रहा है जैसे यह
हमारे देश की नहीं किसी शत्रु देश की हो। |
गंगा सफाई का सराहनीय पुण्य प्रयास
|
सर्वेश कुमार सिंह |
गंगा
निर्मल रहे यह केवल सरकार की नहीं हमारी भी जिम्मेदारी
है। उत्तराखण्ड से पश्चिम बंगाल तक के सभी राज्यों के
जितने भी नगर और गांव गंगा किनारे अवस्थित हैं, सभी को
चेतना जगानी होगी। इस 2523 किमी की लम्बाई में
प्रवाहित गंगा के किनारे के निवासियों में गंगा सफाई
के संकल्प की जरूरत है कि वे अपने किसी भी कार्य से
गंगा में प्रदूषित जल अथवा सामग्री प्रवाहित नहीं होने
देंगे। |
विवादित
ढांचे के विध्वंस से मिले थे मन्दिर के प्रमाण |
नीरजा मिश्रा |
ऋग्वेद
काल से ही अयोध्या हिन्दुओं के लिए पवित्र भूमि रही
है। ऐसा नहीं है कि आस्था सिर्फ कपोल कल्पित कथाओं से
ही पैदा हो जाती है। मेरा मानना है कि किसी की आस्था
के पैदा होने में तर्क और इतिहास की भी महती भूमिका
होती है। बगैर इतिहास और तर्क के आस्था वटवृक्ष का रूप
नहीं धारण कर सकती, यह सत्य है। |
कैसे घूमा अयोध्या में पांच
सदी का कालचक्र |
नीरजा मिश्रा |
देश में जिस समय आज़ादी की लहर दौड़ रही
थीं , 23 December 1949 को एक घटना हुई-
‘रामलला का प्राकट्य’ । और “प्रकट भये
दीन
दयाला” का जय घोष हुआ। घटना के तुरंत बाद
अभयराम दास, सकल दास, सुदर्शन दास और 50
लोगों के ख़िलाफ़ एफ. आइ. आर लिखी गई और
कांस्टेबल माता प्रसाद और सिटी मजिस्ट्रेट
ने आर. पी. सी की धारा 145 के अंतर्गत
मामला विवादित सम्पति मान लिया गया। इसके
उपरान्त 29 दिसंबर 1949 को फ़ैज़ाबाद के
ज़िलाधिकारी के.के नैयर ने वहाँ ताला लगवा
दिया ।
विस्तृत लेख पढ़ें.......... |
|
आक्रोशित कारसेवकों ने छह दिसंबर को खो दिया था धैर्यः
चंपत राय |
विजय कुमार |
नई
दिल्ली ।
छह
दिसम्बर, 1992
को बाबरी ढांचे के ध्वंस के उपरांत तत्कालीन
प्रधानमंत्री नरसिंहराव ने उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति
लिब्रहान के नेतृत्व में एक सदस्यीय जांच आयोग बनाया।
इसकी रिपोर्ट पिछले दिनों लीक हो गयी। अतः शासन को मजबूर
होकर उसे संसद के पटल पर रखना पड़ा। रिपोर्ट में
68
व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है,
जिसमें से
एक हैं विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महामंत्री श्री
चंपत राय। उनसे हुई वार्ता के संक्षिप्त अंश निम्न हैं। |
महात्मा गांधीः पोरबंदर से राष्ट्रपिता तक |
महात्मा गांधी जिन्हें प्यार से हम बापू कहते हैं। दोअक्टूबर 1869
पोरबन्दर में जन्मे मोहन दास करमचन्द गांधी ने सत्य और
अंहिसा को ऐसा अचूक शस्त्र बनाया, जिसके आगे दुनिया की
सबसे शक्तिशाली सरकार को भी झुकना पड़ा।
इस वर्ष अक्टूबर में उनकी 150 वीं जयन्ती के विशेष अवसर पर यह बताने
का प्रयास कर रही हूँ कि किस तरह गांधी जी ने अपने
सत्याग्रही आन्दोलन से अंगे्रजी सरकार के सिंहासन हिला
दिया। महात्मा गांधी सन् 1919 से 1948 तक राजनीतिक
इतिहास में एक नायक की भूमिका में रहे। इस काल को गाँधी
युग कहा जाता है। गांधी जी के पिता करमचन्द गांधी एवं
माता जी पुतली बाई दोनों ही कर्तव्यपरायण एवं धर्म परायण
वैष्णव थे।
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किससे लिए हुई ‘पेगासस’ के रास्ते साइबर
सुरक्षा में सेंध |
साइबर संसार में ‘मलवेयर’
और ‘स्पाइवेयर’ के जरिए सूचनाओं की चोरी
कोई नई बात या आश्चर्यजनक नहीं है। साइबर
संसार की विस्तृत होती और निरंतर बढ़ती
उपयोगिता और इस पर निर्भरता ने साइबर
जासूसों के काम को आसान कर दिया है। आज हम
हर छोटे बड़े काम के लिए मोबाइबल ऐप पर
निर्भर हो गए हैं। सूचना के आदान -
प्रदान से लेकर जन-जीवन की मूलभूत
आवश्यकताओं में ऐप की घुसपैठ इस तरह हो गई
है कि, अब इसके बिना दिनचर्या को गति दे
पाना मुश्किल हो जाता है। ‘यातायात से
लेकर खाना मंगाने तक’ हर काम का जिम्मा
हमने अपने एन्ड्रायड ऐप को सौंप दिया है। |
|
शहर लील रहे हैं यूपी के गांव |
उत्तर
प्रदेश में शहरों के विस्तारीकरण से सीमाई
गांवों पर अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है।
आजादी के बाद से विकास की तेज रफ्तार के
नाम पर यूपी के सैकड़ों गांव शहरों में समा
चुके हैं। किन्तु यह सिलसिला अभी रुक नहीं
रहा है, बल्कि और तेजी से बढ़ रहा है। अभी
तक स्थिति यह थी कि शहरों के स्वाभाविक
विस्तार से गांव उनमें समा रहे थे। लेकिन,
अब सरकार ने योजनाबद्ध ढंग से गांवों को
शहरों में शामिल करने की योजना बनाई है।
इस योजना के अन्तर्गत करीब आधा दर्जन
महानगरों की सीमा पर बसे सैकड़ों को शीघ्र
ही नगर निगमों की सीमा में शामिल कर लिया
जाएगा। इसके लिए नगर विकास विभाग ने योजना
बना ली है।
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गांधी का कृषि दर्शन |
सर्वेश
कुमार सिंह |
महात्मा
गांधी युगदृष्टा थे। उन्होंने न केवल
राजनैतिक स्वतंत्रता की चिंता की, बल्कि
इसके बाद का भारत कैसा होगा? इसका भी
स्वप्न देखा। राष्ट्र, समाज, उद्यम और
सामान्य जन-जीवन का शायद ही ऐसा कोई
क्षेत्र होगा, जिसका चिंतन गांधी न किया
हो। आम तौर पर गांधी के दर्शन को
शुचितापूर्ण ‘राजनीतिक आन्दोलन‘, ‘आदर्श
जीवन प्रणाली‘ और ‘स्वावलम्बन‘ के ‘आर्थिक
दर्शन‘ का प्रणेता माना जाता है। लेकिन,
गांधी यहीं तक सीमित नहीं थे। उनका
‘अतीन्द्रिय ज्ञान‘ या कहें भविष्य को देख
लेने की अद्भुत क्षमता ने ‘यथार्थपूर्ण
कृषि दर्शन‘ भी दिया था।
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कौन सुनेगा बांग्लादेशी हिंदुओं की आवाज ?
|
मृत्युंजय दीक्षित |
भारत
की राजनीति अल्पंख्यकवाद पर टिकी हुई है।
लोकसभा व विधानसभा चुनाव आते ही सभी दल
अल्पसंख्यकों के हितों को पूरे जोर शोर से
उठाने लग जाते हैं। अल्पंसख्यकों के मुददे
उठाते समय इन सभी दलों को देशहित व
समाजहित की कतई चिंता नहीं रहती है। लेकिन
जब हमारे ही पड़ोसी देश बांग्लादेश वा
पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू अल्पंसख्यकों
पर अत्याचार होते हैं तब कोई
अल्पसंख्यकवादी नेता, बुद्धिजीवी व
मानवाधिकारी उनके हितों की रक्षा करने के
लिए आगे नहीं आता। यह एक अजब राजनैतिक व
सामाजिक नियति है।
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‘शिक्षा की उपेक्षा से स्थिति विस्फोटक
होने की आशंका’ |
धर्मपाल सिंह |
शिक्षा
सरल, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण हो। शिक्षा का
व्यापारीकरण रुकना चाहिए। छात्राओं को
निशुल्क शिक्षा मिलनी चाहिए। सेल्फ
फाइनेंस कोर्स में शुल्क के मानक
निर्धारित हों और उसी के अनुसार शुल्क लिया
जाए। हम शिक्षा क्षेत्र में निजी कालेजों
के विरोधी नहीं हैं किन्तु उनमें शुल्क का
निर्धारण सरकार करे। शिक्षा पर व्यय बढाया
जाना चाहिए।
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‘हिन्दू राष्ट्र पहला और अन्तिम लक्ष्य’ |
डा. चारुदत्त पिंगले
|
सम्पूर्ण
विश्व में हिन्दुओं का कोई भी राष्ट्र ऐसा
नहीं है जिसे हिन्दू राष्ट्र कहा जाए। सभी
धर्मों इस्लाम, ईसाइयत, बौद्ध, यहूदी के
देश हैं, लेकिन कोई भी हिन्दू राष्ट्र नहीं
है। यही सबसे बड़ी चुनौती है। विधिवत हिन्दू
राष्ट्र बनाना ही प्रमुख चुनौती है। दूसरी
चुनौती यह है कि हिन्दुओं को देश में धर्म
शिक्षा देना प्रतिबंधित किया गया है, जबकि
अन्य धर्मों को धार्मिक शिक्षा देने की
छूट है।
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कालेधन के खिलाफ ऐतिहासक जंग
|
मृत्युंजय दीक्षित |
प्रधानमंत्री
नरंेद्र मोदी ने विबत 8 नवंबर को टी. वी.
पर देश को संबोधित करते हुए जब 500 व एक
हजार के नोट बंद करने का ऐलान कर दिया ओैर
उनका उपयोग सीमित स्थानों पर सीमित दिनों
के लिए कर दिया उसके बाद देश की जनता व
राजनैतिक दलों में काफी तेज हलचल होना
स्वाभाविक था। Read More |
गो
रक्षा
और
संतो
का
बलिदान
|
सर्वेश कुमार
सिंह |
इस
वर्ष
की
गोपाष्टमी 7
नवम्बर
को
गाय
के
लिए
असंख्य
संतों
के
बलिदान
को
पचास
वर्ष
पूरे
हो
रहे
हैं।
जब
उन्होंने
इसी
तारीख
को
1966
में
गाय
की
रक्षा
के
लिए
संसद
भवन
पर
विशाल
प्रदर्शन
किया
था।
पुरी
के
शंकराचार्य
निरंजनदेव
तीर्थ,
प्रयाग
के
प्रमुख
संत
प्रभुदत्त
ब्रह्मचारी,
स्वामी
करपात्री
जी
महाराज
और
जैन
मुनि
सुशील
कुमार
के
नेतृत्व
में
शांतिपूर्ण
प्रदर्शन
और
सभा
कर
रहे
देशभर
के
संतों
और
अन्य
गो
भक्तों
पर
पुलिस
ने
बर्बर
अत्याचार
किया
था।
पुलिस
ने
निहत्थे
संतों
और
जनता
पर
गोली
चलायी
थी।
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गोरक्षा या गोरखधंधा |
विजय कुमार |
गत
छह अगस्त को नरेन्द्र मोदी ने अपने
‘टाउनहाल भाषण’ नामक कार्यक्रम में
गोरक्षकों के संदर्भ में ‘गोरखधंधा’ और
‘गोरक्षा की दुकानें’ जैसी गंभीर टिप्पणियां
की हैं। वे मानते हैं कि कुछ लोग रात में
किये जाने वाले काले धंधे छिपाने के लिए
दिन में गोरक्षक का चोला पहन लेते हैं।
उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया है
कि वे ऐसे लोगों के कच्चे चिट्ठे तैयार कर
उन्हें समुचित दंड दें।
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आध्यात्मिक चेतना के संवाहक अरविन्द
|
मृत्युंजय दीक्षित |
श्री
अरविंद का जन्म ऐसे समय में हुआ था जब परे
देश मंे अंग्रेजों का राज स्थापित हो चुका
था। पूरे देश में अंग्रेजियत व अंग्रेजों
का बोलबाला था। उन दिनों देश में ऐसी
शिक्षा दी जा रही थी जिससे शिक्षित
भारतवासी काले अंग्रेज बन रहे थे। उन दिनों
बंगाल में एक बहुत लोकप्रिय चिकित्सक थे
उनका नाम था डा.कृष्णन घोष। वे अपने कार्य
में बहुत कुशल व उदार थे। दुख में हर एक
की सहायता करना उनका काम था। उनके घर में
पूर्णरूपेण अंग्रेजी वातावरण था। इन्हीं
डा.घोष के घर पर 15 अगस्त 1872 को श्री
अरविंद ने जन्म लिया। अरविंद शब्द का
वास्तविक अर्थ कमल है।
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पतंगबाजी ना बने तिरंगे के अपमान की वजह |
शालिनी श्रीवास्तव |
हर
साल स्वतंत्रता दिवस भाषणों में गुजर जाता
है। इस साल भी इससे ज्यादा की उम्मीद तो
नहीं, लेकिन यह जरूर है कि देश के
प्रधानमंत्री से अच्छे दिनों की आस अब भी
बाकी है। ऐसा लगता है मानो अच्छे दिन जल्द
ही आएंगे, बदलाव जरूर आया है लेकिन उसकी
रफ़्तार अभी धीमी है।
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|
महान क्रांतिकारी-ऊधम सिंह
|
मृत्युंजय दीक्षित |
जलियांवाला
बाग हत्याकांड का प्रतिशोध लेने वाले
क्रांतिकारी ऊधम सिंह का जन्म 29 दिसम्बर
1869 को सरदारटहल सिंह के घर पर हुआ था।
ऊधम सिंह के माता -पिता का देहांत बहुत ही
कम अवस्था मंे हो गया था। जिसके कारण
परिवार के अन्य लोगो ने उन पूरा ध्यान नहीं
दिया। काफी समय तक भटकने के बाद अपने छोटे
भाई के साथ अमृतसर के पुतलीघर में शरण ली
जहां एक समाजसेवी संस्था ने उनकी सहायता
की।
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तीर्थाटन के पर्यटन में बदलने से मैली हो
रही गंगा |
भूपत
सिंह बिष्ट |
गोमुख
ग्लेशियर के तेजी से पिघलने पर सरकार ने
रस्म अदायगी का बयान जारी किया है इस से
गंगा मां को लेकर चिंतायें घिर आयीं हैं।
राष्ट्रीय नदी, ऐतिहासिक, सामाजिक और
सांस्कृतिक धरोहर गंगा की उद्गम स्थली
गोमुख का उजड़ना सामान्य नहीं है। उमा
भारती के संवेदनशील नेतृत्व में गंगा की
सफाई का अभियान अरबों रुपयों को होम करने
की कवायद भर नहीं, बल्कि मोदी सरकार की बड़ी
उपलब्धि बनने वाला कार्यक्रम है।
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स्वाती सिंहः
महिला स्वाभिमान की प्रतीक |
डा. शक्ति
कुमार पाण्डेय |
प्रदेश में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा
है पार्टियाँ नये नये हथकण्डे अपना रही
हैं। माहौल को अपने पक्ष में करने की नयी
नयी तरकीबें सोची जा रही हैं। कभी कभी इस
प्रयास में देश, समाज और मानवीय मूल्यों
की भी उपेक्षा हो जाती है। एक भाजपा नेता
की जुबान क्या फिसली कि बसपा में भूचाल आ
गया।Read More |
सिन्धु दर्शनः एक भारत, सारा भारत का
निहितार्थ |
अशोक कुमार
सिन्हा |
भारतीय
जीवनमूल्य का परिचय सिन्धु नदी हैं |
सिन्धु ने भारतवर्ष पर हुए अनेकों आक्रमणों
को रोका है | हिन्दू, हिंदिया या
हिन्दुस्थान का सम्बन्ध देश की प्राचीन नदी
सिन्धु से है जो सुदूर उत्तरी हिमालय
कैलाश-मानसरोवर से अपने सिंह मुखी उदगम
श्रोत से निकल कर कुल 2440 किलोमीटर लम्बी
यात्रा तै करते हुए अरब सागर में जा कर
मिल जाती हैं | |
मायावती का सम्मान बनाम अन्य महिलाएं |
सर्वेश कुमार
सिंह |
बहुजन
समाज पार्टी की नेता सुश्री मायावती के
सम्मान का मुद्दा अब ' मायावती का सम्मान
बनाम अन्य महिलाओं के सम्मान ' में तब्दील
हो गया है। क्योंकि, मायावती पर आपत्तिजनक
टिप्पड़ी के एवज में उनके समर्थकों ने
आरोपी दयाशंकर सिंह के परिवार की महिलाओं
का अपमान करना शुरु कर दिया है। सार्वजनिक
मंच से उनके परिवार की महिलाओं, बहन-बेटी
के लिए अपशब्द बोले गए। यह उतना ही
निन्दनीय है जितनी मायवती पर की गई टिप्पडी।
समाज और राज्य व्यवस्था में ' अपराध के
बदले अपराध ' की छूट नहीं है।Read More |
क्या चेतावनी से सुधरेंगे समाजवादी ? |
मृत्युंजय दीक्षित |
अब
समाजवादियों को चेतावनी मिलनी शुरू हो गयी
है। इस बार चेतावनी किसी बाहरी नेता ने नहीं
अपितु समाजवादी मुखिया सपा मुखिया मुलायम
सिंह यादव ने ही दे डाली है। सपा मुखिया
मुलायम सिंह यादव जब पूर्व प्रधानमंत्री
स्व. चंद्रशेखर कि नौवीं पुण्यतिथि पर
आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे तभी
उन्होनें अपने लोगों को आगाह करते हुए
कहाकि
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नयी कांग्रेस
की आवश्यकता |
विजय कुमार |
पिछले
कुछ समय से कांग्रेस में संकट लगातार
गहराता जा रहा है। यों तो उतार-चढ़ाव हर
राजनीतिक दल में आते रहते हैं। दल बनते और
बिगड़ते भी रहते हैं; लेकिन कांग्रेस का यह
संकट उसके समर्थकों ही नहीं, उन विरोधियों
के लिए भी चिंता का कारण बन गया है, जो
देश से वास्तव में प्रेम करते हैं।
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बांग्लादेश का उचित
निर्णय |
सर्वेश कुमार
सिंह |
बांग्लादेश
सरकार ने राष्ट्रहित में दो महत्वपूर्ण
फैसले किये हैं। दोनों फैसले राष्ट्रीय
सुरक्षा एवं समाजिक एकता के लिए कैबिनेट
कमेटी ने लिये हैं। बांग्ला सरकार ने फैसला
किया है कि देश में जुमे (शुक्रवार) को
नमाज के बाद होने वाली तकरीर (धार्मिक
भाषण) की निगरानी की जाएगी।
Read More |
अब है असली चुनौती
|
विजय कुमार |
पांच
राज्यों के चुनाव परिणाम आ गये हैं। इनसे
भाजपा
का उत्साह बढ़ा है।
कांग्रेस के फूटे डिब्बे में दो छेद और बढ़
गये हैं। केरल की जीत पर वामपंथी भले ही
खुश होंय पर उनका बंगाली गढ़ ध्वस्त हो गया
है। अब वहां उनकी वापसी कठिन है।
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सोयाबीन बनेगा चम्बल का सम्बल |
इंदल सिंह भदौरिया |
बीहड़,
बागी और बन्दूक के त्रिशूली आघात को सहती
समूची चम्बल घाटी अब सोयाबीन की खेती से
अपनी माली हालत सुधारेगी। इस सम्भावना का
सूत्रपात चम्बल संभाग के मुख्यालय मुरैना
में सोयाबीन अनुसंधान केन्द्र द्वारा
संचालित क्रान्तिकारी कृषि योजनाओं के
संचालन से हो रहा है।read more |
‘‘श्री हनुमान जयन्ती ’’ और चमत्कारिक
‘‘सत्य घटना’’ |
नरेन्द्र सिंह राणा |
आगामी
22 अप्रैल 2016 दिन शुक्रवार को परमात्मा
जो त्रेता में राम बन कर आये उन्होंने
चराचर के कल्याण हेतु अनको लीलाएं की और
मर्यादापुरूषोत्तम कहलाएं। ऐसे परमपिता
परमात्मा श्री राम के अन्नय भगत श्री
हनुमान जी की जयन्ती है।read more |
यूपी की जमीनी हकीकत को समझे भाजपा
|
योगेश जादौन |
देशी
कहावत है ‘बिच्छू का मंत्र नहीं आता और
सांप के बिल में हाथ देने चले।’ देशी
इसलिए कि कभी स्वदेशी-स्वदेशी चिल्लाने
वाली भाजपा को आज न तो देशी भाव समझ में आ
रहे हैं और न भंगिमा। उसकी भाव-भंगिमा दोनों
ही बिगड़ी हुई हैं। दिल्ली के बाद बिहार ने
उसकी हालत ने उसका संतुलन बिगाड़ दिया है।
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राजनीतिक सुनामीः पनामा पेपर्स लीक्स |
के.पी.सिंह |
पनामा
पेपर्स ने पूरी दुनिया को सुनामी जैसे
राजनैतिक, सामाजिक ज्वार की चपेट में ला
दिया है। इन दस्तावेजों ने ब्रिटेन के
प्रधानमंत्री कैमरून के अलावा रूसी
राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी
चिन पिंग के नजदीकियों के साथ-साथ 12
वर्तमान और पूर्व राष्ट्र प्रमुखों के
अपतटीय निवेश का खुलासा किया है।
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सामाजिक समरसता के प्रेरकः डा. भीमराव
अम्बेडकर |
मृत्युंजय दीक्षित
|
भारतीय
संविधान क निर्माता व सामाजिक समरसता के
प्रेरक भारतरत्न डा.भीमराव अम्बेडकर का
जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू मध्यप्रदेश
में हुआ था। इनके पिता श्री रामजी सकपाल व
माता भीमाबाई धर्मप्रेमी दम्पति थे।
अम्बेडकर का जन्म महार जाति में हुआ था।
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राहुल सांकृत्यायन अनूठा व्यक्तित्व थे |
के पी सिंह |
डा.हजारी
प्रसाद द्विवेदी अपने आप में विद्वता के
हिमालय थे लेकिन एक बार राहुल सांकृत्यायन
का जिक्र छिड़ा तो उन्होंने कहा कि मैं
किसी भी सभा में धारा प्रवाह बोल सकता हूं
लेकिन जिस सभा में राहुलजी होते हैं उसमें
बोलते हुए उन्हें सहम जाना पड़ता है।
राहुलजी के पास इतनी जानकारियां और ज्ञान
है कि उनके सामने मुझे अपना व्यक्तित्व
बौना दिखने लगता है।
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बदल चुकी है 36 बसंत देख चुकी भाजपा |
श्रीधर अग्निहोत्री |
अपने
जन्म के 36 बसन्त देख चुकी भारतीय जनता
पार्टी ने अपने जीवनकाल मेें कई उतार चढाव
देखे। कभी वह सत्ता से दूर रही तो कभी
सत्ता में कभी सरकार में रही तो कभी बाहर
रहकर समर्थन दिया। लेकिन भाजपा के स्वभाव
में जो परिवर्तन 2014 के लोकसभा चुनाव के
बाद लोगों को लगा कि अब तो भाजपा पूरी तरह
से बदल चुकी है।हालांकि आज की भाजपा का
जन्म तो 1951 में जनसंघ के रूप् में डा
श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कानपुर के
ऐतहासिक फूलबाग में मैदान में अटल विहारी
वाजपेयी की उपस्थिति में की थी लेकिन उस
समय कांग्रेस के जमाने में जनसंघ संघर्ष
ही करती दिखी। |
कांग्रेस की आग में भाजपा ने जलाए हाथ |
भूपत सिंह बिष्ट |
देहरादून।
अगले वर्ष उत्तरप्रदेश के साथ उत्तराखंड
में भी विधानसभा चुनाव होने हैं और छह माह
के भीतर इस पहाड़ी राज्य में चुनावी आचार
संहिता घोषित होनी है। ऐसे में कांग्रेस
की बगावत में हाथ सैंकने के फेर में भाजपा
कहीं हाथ तो नही जला बैठी है - यही यक्ष
प्रश्न भाजपा के भावुक समर्थकों को विचलित
कर रहा है। बागी कांग्रेसी विधायकों के
पक्ष में तिकड़म लड़ाती हाईकमान के रुख से
पुराने सिंद्धातवादी निराशा व्यक्त करते
हैं। |
|
स्काटलैण्ड की जंगे आजादी अभी खत्म नहीं
हुई |
के. विक्रम राव |
Publised on : 20 September 2014
Time: 22:55
|
स्काटलैण्ड में
ब्रिटेन की हर सत्तारूढ़ पार्टी संसदीय
निर्वाचन में पराजित होती रही। केवल एक
सीट मिलती रही, मारग्रेट थैचर से डेविड
कैमरून तक क्योंकि विपन्न स्काटलैण्ड
समतामूलक संघर्ष की उर्वरा भूमि रही जो
ब्रिटिश साम्राज्यवादियों से टकराती रही।read
more |
संघ की व्यक्ति निर्माण योजना का चमत्कार
हैं मोदी |
प्रवीण
दुबे |
Publised on : 28 May 2014 Time: 22:58 |
राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ अर्थात विश्व का सर्वाधिक
विशाल गैर राजनैतिक, सामाजिक संगठन। एक ऐसा
संगठन जिसे व्यक्ति निर्माण की पाठशाला कहा
जाता है। 88 वर्षों से अधिक समय से सक्रिय
इस संगठन ने राष्ट्र निर्माण, देशभक्ति,
सेवा और भारतीय पुरातन मूल्यों की स्थापना
का कार्य कभी नहीं छोड़ा।
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सच्चाई का प्रतीक होते हैं आँसू |
- डॉ
दीपक आचार्य- |
Publised on : 28 May 2014 Time: 22:55 |
आँसू और
पवित्रता के बीच गहरा रिश्ता है। ये
एक-दूसरे के पर्याय हैं। आँसू अपने आप में
इतने पवित्र होते हैं कि इनसे ज्यादा
शुचिता किसी और द्रव में कभी हो ही नहीं
सकती। ये केवल बूँदें नहीं होती बल्कि
इंसान के मन-मस्तिष्क का वो सार होती हैं
जिसमें सच्चाई का खजाना छिपा होता है।
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क्या हम बुलेट रेल के लिये तैयार हैं |
-
शिवाजी सरकार - |
Publised on : 28 May 2014 Time: 22 |
गरीब आदमी भी तेज गति का षौकीन
है। आने वाली नई सरकार ने उसमें उम्मीदें
भी जगा दी हैं। स्वाभाविक है कि वह भी धरती
पर तेज गति से दौड़ती बुलेट रेल में यात्रा
करने का सपना देख रहा है। लेकिन क्या हमें
तुरन्त बुलेट रेल की आवष्यकता है? षायद नहीं।
देष अभी कुछ ओर साल भारतीय रेल में गुजार
सकता है।
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मोदी ने बनारस में बनाये रखा रस |
डा दिलीप अग्निहोत्री |
Publised on : 25 April 2014 Time: 16:33 |
बड़े नेताओं के नामांकन मंे भारी भीड़ का
होना सामान्य बात है। कई दबंग, माफिया
प्रत्याशी अपनी दम पर भी भीड़ जुटाने की
क्षमता रखते हैं। फिल्मी कलाकारों के नाम
पर सड़कें जाम हो जाती हैं। लेकिन चैबीस
अप्रैल को वाराणसी से भाजपा नेता नरेन्द्र
मोदी के नामांकन का नजारा बिल्कुल अलग ढंग
का था। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि
इस दिन वाराणसी मोदीमय थी। इसे भीड़ नहीं
कहा जा सकता।
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मुस्लिमों
में
भय
समाप्त
करने
के
लिए
मोदी
की
साहसिक
पहल
|
मृत्युंजय
दीक्षित |
Publised on : 19 April 2014 Time: 14:03 |
वर्तमान
लोकसभा
चुनावों
में
मुस्लिम
मतों
की
सियासत
कुछ
अधिक
ही
तेज
हो
गयी
है।
देष
के
सभी
राष्ट्रीय
व
क्षेत्रीय
दलों
ने
पूरी
तरह
से
केवल
मोदी
को
रोकने
के
लिए
पूरी
ताकत
लगा
दी
है।
इसलिए
उन्हें
केवल
एकमुष्त
मुस्लिम
वोटों
की
ही
दरकार
रह
गयी
है।
आज
देष
में
ऐसे
हालात
पैदा
हो
गये
हैं
कि
गुजरात
में
2002
के
दंगों
के
अलावा
कोई
और
बड़ा
मुददा
ही
नहीं
रह
गया
है।
हर
पार्टी
का
नेता
अपने
आप
को
मुसलमानों
का
सबसे
बड़ा
हितैषी
और
मोदी
को
गुजरात
दंगों
का
अपराधी
घोषित
करने
में
लग
गया
है। |
वर्तमान परिदृश्य में मीडिया और समाज |
डॉ सरिता पाण्डेय |
प्रेस को समाज के ‘आँख और कान’ कहा गया
है, क्यों कि अन्य संचार साधनों के समान
ही यह नागरिकों को सूचनायें प्रदान करने
में अत्यंत शक्तिशाली भूमिका निभाता है।लोकतांत्रिक
राज्यतंत्र में जानकारी प्राप्त करते रहने
का अधिकार नागरिकों का मौलिक अधिकार है।
जानकारी और पर्याप्त सूचनाओं की सहायता से
ही वह निर्णय निर्माण प्रक्रिया में अपनी
निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इसी के
परिणामस्वरूप व्यक्ति को राजनीतिक व्यवस्था
में उचित स्थान प्राप्त होता है। |
अस्थिरता पैदा करने वालों को नकारना होगा |
जयकृष्ण गौड़ |
आरोप-प्रत्यारोपों
की बौछार में यह समझना कठिन है कि कौन
सच्चा और कौन झूठा है, लेकिन इस चुनाव में
महत्वपूर्ण चिंता कांगे्रस की है।
कांग्रेस के शहजादे राहुल गांधी चैपाले
लगाकर राजनीति का पाठ पढ़ रहे है, जो स्वयं
को कांग्रेस का नेता मानते है, वे कपिल
सिब्बल, अमिन्दर सिंह, अंबिका सोनी ने
हिचकते हुए चुनाव लडना स्वीकार किया है।
मनीष तिवारी ने तो चुनाव लडने से इंकार ही
कर दिया है। |
व्यंग्यः इंसान किस्म-किस्म के |
शालिनी श्रीवास्तव, |
सबको मालूम है कि आम कि हज़ारों किस्में है
| वैसे ही इंसानों कि भी लाखों -करोड़ों
किस्में है जैसे -ऊँचा आदमी ,नीचा आदमी ,लम्बा
आदमी ,नाटा आदमी ,गोरा आदमी ,काला आदमी ,
विशिष्ट आदमी ,गुमनाम आदमी ,गोल आदमी ,चपटा
आदमी , बड़ा आदमी, छोटा आदमी ,सीधा आदमी ,तिरछा
आदमी ,अमीर आदमी ,भिखमंगा आदमी आदि आदि |
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दशरथ माँझी-प्रेम और पुरुषार्थ की
प्रतिमूर्ति |
डॉ. ओ. पी.
मिश्र |
दशरथ माँझी द्वारा निर्मित मार्ग
हजारों-लाखों किसानों, विद्यार्थियों,
बीमारों, व्यापारियों आदि के लिए बहुत
उपयोगी है। क्या उपयोगिता सौंदर्य पर भारी
नहीं है।
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भ्रष्टाचार
माया
राज
का,
मुसीबत
अखिलेश
की |
सर्वेश कुमार
सिंह |
भ्रष्टाटार में लिप्त रहे मायावती
सरकार के अफसरों को बचाना अखिलेश यादव के
भारी पड़ रहा है। इन अफसरों को अपने
इर्दगिर्द तैनात करके अखिलेश यादव ने
मुसीबत मोल ले ली है। अब इनके जांच में
फंसने पर आनन फानन में इन्हें हटाया गया
है। |
उत्तराखंड की नंदा राजजात यात्रा अब अगले
साल होगी ! |
भूपत सिंह बिष्ट
|
29 अगस्त से प्रस्तावित श्री नंदा
राजजात यात्रा का कार्यक्रम अब अगले साल
के लिये टाल दिया गया है। नंदाराजजात समिति
के अध्यक्ष डा0 राकेश कुंवर की इस घोशणा
के बाद उत्तराखंड राज्य की पतली हालात और
बेबस सरकार की मजबूरी जग - जाहिर हुई है।
पर्यटन मंत्री अमृता रावत निरंतर इस यात्रा
को टालने की गुजारिश आयोजन समिति से कर रही
थी। |
कांग्रेस, कोयला और कालिख |
Anil Saumitra |
कांग्रेस के नेता भले ही कुछ भी कहें, उनके
प्रवक्ता मीडिया में कुछ भी बोलें, वे चाहे
कितनी ही सफाई क्यों न दें- एक बात तो
पक्की है- कांग्रेस बदनाम हो गई है। |
अन्ना का राजनैतिक विकल्प सभी दलों के
लिये खतरा |
-आनन्द शाही- Anand Shahi |
यह भारतीय लोकतंत्र
के अभ्युदय का वह दौर है जिसमें यदि जनता
सच व झूठ के प्रति सच में संवेदनशील हो गई
तो वह दिन दूर नहीं कि ‘शांति और अहिंसा
के दम पर सत्ता का बदलाव समग्र कांति के
आंदोलन से कई कदम आगे का एक ऐतिहासिक
आंदोलन सिद्ध होगा |
रेडियो नाटकों का यह कैसा मंचीय रूप? |
कृष्णमोहन मिश्र |
कुछ
समय पूर्व आकाशवाणी, लखनऊ द्वारा
स्थानीय एक प्रेक्षागृह में
आमंत्रित श्रोताओं के समक्ष रेडियो
नाटकों की प्रस्तुतियाँ की गई थी।
इस आयोजन में मेरे जैसे कई दर्शक
थे जो एक अन्तराल के बाद आकाशवाणी
के कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
|
|
भक्ति आंदोलनः पुनर्पाठ |
डॉ॰ वेदप्रकाष अमिताभ |
मध्यकालीन भक्ति-आंदोलन
समन्वय की विराट चेश्टा है, विरूद्धों का सामंजस्य है
और हमारी साझी संस्कृति का वटवृक्ष है। विद्वान
इतिहासकार प्रोफेसर “ाहाबुद्दीन इराकी ने अपनी कृति
‘मध्यकालीन भारत में भक्ति आंदोलन (सामाजिक एवं
राजनैतिक परिप्रेक्ष्य)’ में भक्ति विचारधारा और
आंदोलन की विभिन्न धाराओं एवं समाज पर उसके प्रभाव का
ऐतिहासिक संदर्भ में वस्तुनिश्ट विष्लेशण किया है। |
लखनऊ संगीत-शिक्षा-परम्परा का
सूत्रधार : बली परिवार |
कृष्णमोहन मिश्र |
अवध
के नवाब वाजिद अली शाह
1847
से
1856
तक अवध के शासक रहे। उनके कार्यकाल
में ही "ठुमरी" एक शैली के रूप में विकसित हुई थी।
उन्हीं के प्रयासों से
कथक नृत्य को एक अलग आयाम मिला और ठुमरी,
कथक नृत्य का अभिन्न अंग बनी। नवाब ने
'कैसर'
उपनाम से अनेक गद्य और पद्य की स्वयं रचनाएँ भी की।
इसके
अलावा
‘अख्तर'
उपनाम से सादरा,
ख़याल,
ग़ज़ल और ठुमरियों की भी रचना की थी। |
’’माया
मनमोहन तो जरूर जायेंगे’’ |
-नरेन्द्र
सिंह राणा- |
6 मार्च को उ0प्र0 के चुनावी नतीजे चाहे
जैसे आएं मुख्यमंत्री मायावती व देश के प्रधानमंत्री
मनमोहन ंिसंह का जाना अवश्यमभावी है। सवाल यह है कि
उ0प्र0 चुनाव में भाजपा, माया और मुलायम तो चुनावी
दंगल में लड़े हैं परन्तु मनमोहन सिंह को अपना पद किस
खता के लिए गवाना पडे़गा यह रोचक एवं रहस्यमयी प्रश्न
है। |
क्या निर्वाचन आयोग चुनावों में
धनबल का प्रयोग रोक सकेगा? |
-डा0
एस0 के0 पाण्डेय- |
उत्तर प्रदेश में विधानसभा के गठन के लिये
चुनाव हो चुके हैं। हमारे सम्मानित पाठक जब यह लेख पढ़
रहे होंगे तो निश्चय ही मतगणना भी हो चुकी होगी और
परिणाम भी सामने होंगे। भारत निर्वाचन आयोग अपनी पीठ
थपथपा रहा होगा कि शाँतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव
सम्पन्न करा लिया गया। प्रसन्नता की बात है कि तमाम
प्रचार-प्रसार का लाभ दिखा और मतदान प्रतिशत बढ़ा। |
पापों
का हरण करती है मोक्षा एकादशी |
साभार कल्याण |
यूं तो सभी एकादशी मानवजगत को
श्रेष्ठ फल देने वाली तथा उसके कष्टों को निवारण करने
वाली हैं। कि्तु इसमें भी मोक्षा एकादशी का महत्व सबसे
ज्यादा है। यह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी
है, जोकि मोक्षा एकादशी के नाम से जानी जाती है। |
खतरनाक चुनावी स्टंट |
हृदयनारायण दीक्षित |
घेराव में
फंसा हाथी बड़ा उत्पात मचाता है, तोड़फोड़ करता है, घरों और
वृक्षों को भी तहस-नहस कर देता है। तमाम आरोपों से घिरी
उत्तार प्रदेश की मुख्यमत्री मायावती ने चुनावी साल में
उत्तार प्रदेश को चार खंडों में तोड़ने का प्रस्ताव किया
है। उत्तार प्रदेश के बुंदेलखंड में अकाल और भुखमरी है,
रोटी-रोजी की कौन कहे पेयजल का भी अभाव है। पूर्वाचल की
गरीबी और व्यथा भयावह है।
|
एकात्म मानववाद के प्रणेताः पं. दीनदयाल
उपाध्याय |
उ.प्र.समाचार सेवा |
एकात्म मानववाद के रूप में पं.दीनदयाल
उपाध्याय ने भारतीय राजनीति को अद्भुत चिंतन दिया। उन्होंने
समाज जीवन में गहरे उतर कर भारतीय राजनीति और आध्यात्म का
समन्वय किया। |
भगवान विश्क र्मा जिन्होंने संसार
को शिल्पकलासे अलंकृत किया |
संकलन सचिन धीमान |
भगवान विश्कर्मा
विश्व के रचयिता, जन-जन
की जीविका की कला के प्रणेता, पालनकर्ता एवं जीवनदाता हैं।
उन्होंने अपनी शिल्पकला से संसार को अलंकृत किया है। वे
देश, काल, जाति और धर्म की सीमाओं से परे, सम्पूर्ण मानव
जाति के हितकारी एवं लोकपूज्य है। |
स्वयं गीत गाती कविताएं है
ऋचा |
हृदयनारायण दीक्षित |
गीत
और काव्य भाव जगत का सौन्दर्य हैं। गीत गाए जाते हैं,
कविताएं भी। इसीलिए कवियों और गीतकारों की प्रतिष्ठा है।
लेकिन वैदिक कविताएं साधारण कविता नहीं है। उन्हें कविता
कहना भाषा की विवशता है। ऋषियों के सामने ऐसी कोई विवशता
नहीं थी। |
अन्ना'' केहि विधि जीतहॅु रिपु बलवाना |
नरेन्द्र सिंह राना |
'युगों-युगों से न्याय और अन्याय,
धर्म-अधर्म, सत्य-असत्य, साधु-असाधु, विष-अमृत व
जीवन-मृत्यु के बीच अनवरत संघर्ष होता आया है। आज भी हो रहा
है। देश काल परिस्थिति के अनुसार पात्र बदल जाते हैं परन्तु
परिणाम कभी नहीं बदलता वह अटूट, अटल व अडिग होता है।
|
'वन्देमातरम' गीत का एक नवीन प्रयोग
|
कृष्णमोहन मिश्र
|
मध्य प्रदेश संस्कृति
विभाग एवं उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत कला अकादमी के
संयुक्त प्रयासों से प्रतिवर्ष चन्देल राजाओं की
संस्कृति-समृद्ध भूमि- खजुराहो में महत्वाकांक्षी- 'खजुराहो
नृत्य समारोह' आयोजित होता है। इस वर्ष के समारोह की तीसरी
संध्या में 'भरतनाट्यम' नृत्य शैली की विदुषी नृत्यांगना
डाक्टर ज्योत्सना जगन्नाथन ने अपने नर्तन को 'भारतमाता की
अर्चना' से विराम दिया। |
खबरों में मिलावट है पाठकों से
धोखाधड़ी |
डा.
रवीन्द्र अग्रवाल |
नीरा राडिया टेप
प्रकरण में जो टेप अब तक उजागर हुए हैं उनसे जाहिर है कि
कुछ ख्यातिनाम पत्रकार इस कार्पोरेट लॉबिस्ट की जी-हुजूरी
में जुटे रहने में ही अपनी शान समझते थे। इस कार्पोरेट
लॉबिस्ट के लिए बड़े कहे जाने वाले अखबारों की औकात किसी
छुटभइयै से ज्यादा नहीं है। |
पंचायत से पार्लियामेन्ट तक के चुनाव का सच
नरेन्द्र सिंह राना |
भारत का जन-जन चाहता है कि देश में सभी
चुनाव हों वहीं वे यह भी चाहते हैं कि सभी स्तरीय चुनाव
शांतिपूर्ण संपन्न हों, मतदाता निर्भीकता से अपने मताधिकार
का प्रयोग करें। मतगणना में धांधली न हो जिससे उनका
विश्वास चुनाव पध्दति पर बढ़े न कि घटे।...........Full Article |
दीपावली और पर्यावरण
विजय कुमार
|
हर बार की तरह इस बार भी प्रकाश का पर्व
दीपावली सम्पन्न हो गया। लोगों ने जमकर आनंद मनाया; घर और
प्रतिष्ठान सजाए; मिठाई खाई और खिलाई; उपहार बांटे और
स्वीकार किये; बच्चों ने पटाखे और फुलझड़ियां छोड़ीं; कुछ
जगह आग भी लगी; पर दीप पर्व के उत्साह में यह सब बातें पीछे
छूट गयीं। |
पापांकुशा एकादशी : समस्त कष्टों से
मुक्ति औप मोक्ष प्रदान करती है
साभारःकल्याण |
आश्विन मास के शुक्ल
पक्ष की एकादशी को पापाकुंशा एकादशी ने नाम से जानते हैं।
यह एकादशी मनुष्यों को समस्त पापों एवं कष्टों से मुक्ति
प्रदान करती है तथा मोक्ष भी प्रदान करती है। इस एकादशी का
व्रत तथा इसका महात्म महाभारत में स्वयं भगवान वासुदेव ने
युधिष्टिर को बताया है।
...........Full Article |
शक्ति ही तो शान्ति का आधार है |
शान्ति की आकांक्षा किसे नहीं होती; मानव
हो या पशु, हर कोई अपने परिवार, मित्रों और समाज के बीच
सुख-शांति से रह कर जीवन बिताना चाहता है। विश्व के किसी
भी भाग में सभ्यता, संस्कृति, साहित्य और कलाओं का विकास
अपनी पूर्ण गति से शांति-काल में ही हुआ है; लेकिन इस धारणा
को स्वीकार कर लेने के बाद, यह भी सत्य है कि सृष्टि के
निर्माण के समय से ही शांति के साथ-साथ अशांति, संघर्ष,
प्रतिस्पर्धा और उठापटक का दौर भी चलता रहा है।
...........Full Article |
|
इनका दर्द भी समझें
|
मेरे पड़ोस में मियां फुल्लन धोबी और मियां
झुल्लन भड़भूजे वर्षों से रहते हैं। लोग उन्हें फूला और झूला
मियां कहते हैं। 1947 में तो वे पाकिस्तान नहीं गये; पर
मंदिर विवाद ने उनके मन में भी दरार डाल दी। अब वे मिलते
तो हैं; पर पहले जैसी बात नहीं रही। अब वे दोनों काफी बूढ़े
हो गये हैं। फूला मियां की बेगम भी खुदा को प्यारी हो चुकी
हैं।Full Article |