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  Opinion  
 
Jammu & Kashmir: Forgotten contribution history of Dogra soldiers
कई दिन पहले ही लगना था जनता कर्फ्यू: चन्द्रप्रताप सिंह सिकरवार

भारत में कई दिन बाद लाक डाउन यानी जनता कर्फ्यू लगा है। जिन देशों में ये वायरस फैल रहा है, वहां एक सप्ताह पहले ही उनके अलग-अलग हिस्सों व शहरों में जनता कर्फ्यू लग चुका है। 
कुछ लोग अनजाने में इसका श्रेय मोदी सरकार को दे रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्लूएचओ) की रिपोर्ट हर रोज भारत सरकार को भेजी जा रही है। इन रिपोर्ट के बारे हमें भी हमारे आर्गेनाइजेशन से कुछ जानकारी लगातार मिल रही है क्योंकि इस समय मैं पत्रकार होने के साथ-साथ हैल्थ से जुड़े-बिल गेट्स मिरिंडा हैल्थ इंटरनेशनल फाउंडेशन के आब्जरवर/ कोर्डीनेटर के पद पर भी हूं। जनता कर्फ्यू हमारे देश में दूसरे देशों की तरह 20 मार्च से पहले ही लग जाना चाहिए था लेकिन देर आये- दुरुस्त आए। गनीमत है कि हमारे देश में इसका फैलाव पश्चिमी देशों की तरह नहीं है अन्यथा हम सब बुहान की तरह एक महीने घरों में कैद रहते। सारे चीन में जनता कर्फ्यू एक महीने से चल रहा है। आप रोजाना बीबीसी टीवी की रिपोर्ट देखिये, सारे वर्ल्ड में जनता कर्फ्यू कई दिन पहले से लग रहा है। भारत में जनता कर्फ्यू लगाना डब्लूएचओ की गाइड लाइन के तहत ही एक छोटा सा कदम है। वैसे भी डब्लू एचओ की गाइड लाइन का पालन करना भारत ही नहीं हर देश की सरकार के लिए हर हालत में लाजिमी होता है .....

बाबा रामदेव योग से अब शादी, हनीमून और मैरीज बयूरो का प्रवचन !
Tags:  Uttarakhand, Baba Ramdev
Publised on : 28 April 2014  Time 20:34

राजनीति कैसे, किसकी मति भ्रम कर दे  - इसका ताज़ा उदाहरण बाबा रामदेव बने हैं। योग गुरु की पदवी, पावर और माया के आगे छोटी लगने लगी। राजनेताओं की संगत ने बाबा को कहीं का न छौड़ा। कमल खिलाने  निकले बाबा रामदेव राजनीति के कीचड़ मे अपनी गरिमा तार - तार कर बैठे।

माया और  मोदी के फेर मे जुबान फिसलने लगी  - सारा फोकस शादी और हनीमून हो गया। योग और बालकृष्ण की चिंता भूलकर राहुल की गृहस्थी मे उलझ  गये। देवभूमि उत्तराखंड मे रामदेव का योग के अलावा अरबो का क़ारोबार है। हर टीवी चैनल पर बाबा के विज्ञापन यही सन्देश देते हैं कि अब  बाबा ने कार्पोरेट चोला धारण कर लिया है। सत्ता और माया के लिये बाबा की लालसा थमने का नाम नही ले रही। बाबा रामदेव  अपने शिष्यों को छोड़कर जब लेडीज सलवार - कमीज़ में जान बचाकर भागे तो सारे भारत ने उनकी कायरता से नफ़रत की थी। कभी लगता है - उत्तराखंड में बीजेपी सरकार  से लाभ लेकर मोदी का गुणगान करना बाबा की मजबूरी है।
 

- भूपत बिष्ट,
 
10 - एकता विहार,

पंडितवाड़ी, देहरादून।

Pakistan में हिन्दू लड़कियों पर अत्याचार
Christians and Hindus -- were sexually harassed
RAJ KAMAL'POST ON G PLUS  -  Mar 16, 2012

हाल में ही पाकिस्तान की एक हिन्दू लड़की के धर्म परिवर्तन की खबर भले ही सुर्खियां बना हो लेकिन एक ताजा सर्वे में इस घटना से भी अधिक चौंकानेवाली सच्चाई सामने आई है. पाकिस्तान में किये गये एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि पाकिस्तान में 74 फीसदी हिन्दू और ईसाई लड़कियां जानबूझकर नापाक कर दी जाती हैं. पाकिस्तान की बहुसंख्यक मुस्लिम कम्युनिटी जानबूझकर उनके साथ सेक्सुअल ह्रासमेन्ट करता है. जबकि 43 फीसदी हिन्दुओं और इसाईयों का कहना है कि उनके साथ काम करने की जगह से लेकर स्कूलों तक अल्पसंख्यक होने के कारण भेदभाव किया जाता है.
पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों पर यह सर्वे एक मानवाधिकार संगठन नेशनल कमीशन फार जस्टिस एण्ड पीस ने किया है. इस सर्वे में पंजाब और सिन्ध के 26 जिलों को शामिल किया गया है जहां पाकिस्तान के कुल अल्पसंख्यकों का 95 फीसदी आबादी निवास करती है. पाकिस्तान के एक हजार अल्पसंख्यकों पर किये गये इस सर्वे में बताया गया है कि शैक्षणिक स्थानों पर महिलाओं के साथ जानबूझकर उत्पीड़न किया जाता है. यहां स्कूलों की जो हालत है उसमें महिलाओं के लिए इस्लामिक विषयों की पढ़ाई अनिवार्य है. महिलाओं का कहना है कि कोई और सब्जेक्ट न होने पर इस्लामिक विषयों की पढ़ाई उनकी मजबूरी है.

Islamabad, Around 74 percent of Pakistani womenfrom minority communities -- Christians and Hindus -- were sexually harassed, while 43 percent faced religious discrimination at workplaces in 2010 and 2011, a study said.

‘मायावती’ कर रही किसानों से गोली से बात

पूरा पश्चिमी उत्तर किसान विद्रोह की ज्वाला में धधक रहा

सुभाष सिंह
Publised on : 2011:05:10     Time 22:20             Update on  2011:05:10      Time 22:20
उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार जनता की सेवा की बजाय अब ‘प्रापर्टी डीलर’ बन चुकी है। ऐसी प्रापर्टी डीलर जो किसानों से विकास के नाम पर औने-पौने दाम पर उनकी उर्वर भूमि ले रही है और उसे एक खास औद्योगिक घराने को ऊंचे दाम पर बेच रही है। यही घराना उन्हीं जमीनों को विकसित कर और टाउनशिप का रूप देकर करोड़ों में सौदा कर रहा हैं। जहां किसान विरोध कर रहा है उससे सरकार वार्ता करने की बजायगोलियों से बात की जा रही है। करछना (इलाहाबाद), टप्पल (अलीगढ़), शताब्दीनगर(मेरठ), बझेड़ा खुर्द (हापुड़), बाजना (मथुरा), एत्मादपुर (आगरा) और भट्टा, पारसौल(गौतमबुद्धनगर-नोएडा) पिछले तीन-चार साल से जंग का मैदान बन चुके हैं। किसान जब भी अपना हक मांगता है, उसे गोली मिलती है, जान-माल का नुकसान उठाना पड़ता है। यूं तो कई विकास योजनाओं में किसानों की जमीन गई या जा रही है लेकिन माया सरकार की चहेती जेपी एसोसिएट्स की यमुना एक्सप्रेस वे योजना तो उनके लिए काल बनकर सामने आयी है।जमीनों के अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर पिछले पांच- छह सालों में संघर्ष के दौरान15 किसानों की जान जा चुकी है। करीब 30 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।

ताजा संघर्ष गौतमबुद्ध नगर के भट्टा, पारसौलमें हुआ जहां अपना हक मांग रहे किसानों पर पुलिस ने गोली चलाई जिसमें पांच किसानोंकी जान चली गई। ये सभी किसान 17 जनवरी 2011 से ही अधिक मुआवजे की मांग को लेकरआंदोलनरत थे। उनकी नहीं सुनी गई। उल्टे उन पर दमन चक्र चला दिया गया। पुलिस ने सातमई को उन पर अकारण कहर बरपाना शुरू कर दिया तो वे भी हिंसक हो उठे। आपसी संघर्षमें तीन पुलिस वाले भी मारे गए। वहां जिलाधिकारी समेत कई अधिकारी भी हिंसा काशिकार हो गए। किसानों की खुद्दारी के सामने प्रशासन दिन में तो नहीं टिक सका लेकिनरात 12 बजे के बाद उसने अपना वीभत्स रूप दिखाया। भट्टा, पारसौल और आच्छेपुर गांवपर पुलिस और पीएसी कहर बनकर टूट पड़ी। गांवों की गलियों में स्थानीय निवासियों कोदौड़ा-दौड़ाकर पीटा गया। पुलिस वाले चूल्हे, तवे और दूसरे सामान अपने साथ लेते गए।इन गांवों के अलावा आसपास के कई गावों के किसान घर छोड़कर पलायन कर चुके हैं। कईदिन तक इन गांवों में चूल्हे नहीं जले।

हिंसक संघर्ष की आग पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेशमें फैल चुकी है। नोएडा में मारे गए किसानों की सूचना एत्मादपुर (आगरा) में जेपी समूह द्वारा अधिग्रहीत जमीन पर मंदिर तोड़ने के लिए आंदोलनरत किसानों तक पहुंची तो आठ मई को जेपी के शिविर कार्यालय में आग लगा दी गई। यहां छह मई को एक शिव मंदिर तोड़ दिया गया था। किसानों ने कार्यालय में रखे गए जेनरेटर को आग लगी दी। जेपी समूह के कर्मचारियों को मार भगाया। पुलिसवाले आए तो उनके भिड़ंत हो गई। उन्हें किसानों की शक्ति के आगे झुकना पड़ा, वे भाग खड़े हुए। पुलिस ने यहां भी फायरिंग शुरू कर दी। भड़के किसानों ने स्थानीय पुलिस क्षेत्राधिकारी और उपजिलाधिकारी को पीट दिया। इस संघर्ष में कई किसान भी जख्मी हो गए।

किसानों के जायज विद्रोह की आग पूरे उत्तरप्रदेश में फैलती जा रही है। कारण साफ है। किसान विकास तो चाहता है लेकिन अपनी उर्वर धरती मां को औने-पाने दाम पर किसी औद्यौगिक घराने को लाभ पहुंचाने की कीमत पर नहीं। अब तक जितनी भी सरकारें रहीं, सबने उसके साथ छल ही किया है। विकास के नाम चंद रुपये देकर उनके जीवन का आधार जमीन ही छीन ली गई। पहले किसान चुप रहता था लेकिन अब वह चुप रहने वाला नहीं है। गौतमबद्धनगर हो या मथुरा, बुलंदशहर, अलीगढ़,हापुड़, मेरठ, आगरा, करछना (इलाहाबाद) हो,किसानों ने तय कर लिया कि अगर उनकी जमीन ली जाएगी तो उसका पूरा मुआवजा चाहिए।गौतमबुद्धनगर में किसानों की जमीन का मुआवजा 800 रुपये प्रति वर्गमीटर तय किया गयाहै लेकिन बताते हैं उसे विकसित कर 18 हजार प्रति वर्ग बेचे जाने की योजना है। इतनाबड़ा फासला। किसानों को यह मंजूर नहीं।

किसानों को कुचलने का काम तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने भी किया है हालांकि अब उनके बोल बदल चुके हैं। अब वह किसानों का हमदर्द बनकर सामने आ रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार किसानों पर दमनचक्र चला रही है। 2005 और 2006 में वह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। तब भी किसान अपनी जमीन बचान ेके लिए सड़क पर उतरे थे। 2005 में मेरठ में किसानों पर पुलिस का दमनचक्र चला था।उसमें आठ किसान जख्मी हो गए थे। 2006 में पुलिस पिटाई और फायरिंग में 23 किसान बुरी तरह घायल हो गए थे। बाद में मई 2007 में मायावती मुख्यमंत्री बनीं। उसी साल  घोड़ी बछेड़ा में पुलिस की गोली से पांच किसानों की मौत हो गई। 2009 में बाजना (मथुरा) में पुलिस फायरिंग में एक किसान को जान गंवानी पड़ी। अलीगढ़ के टप्पल में चार किसान मारे गए। करछना (इलाहाबाद) में एक और भट्टा, पारसौल में पांचकिसानों की मौत पुलिस की गोली से हुई।

किसान नेता तेवतिया पर 50 हजार का इनाम

मायावती सरकार कुछ भी कर सकती है। हालांकि उनकी पार्टी बसपा में अपराधियों की बहुतायत है, कई जेल मेंहैं, बिलसी से बसपा विधायक फरार हैं, स्थानीय स्तर पर न्यायालय उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी कर चुकी है। लेकिन पुलिस उनको नहीं खोज पा रही है या यूं कहिए कि नहीं खोज रही है। ऐसे दागी लोगों पर ध्यान देने की बजाय सरकार अपने अभियान में रोड़ा बने किसानों के हमदर्द और उनके नेता मनवीर सिंह तेवतिया को अपराधी घोषित कर चुकी है। उनको पकड़ने के लिए 50 हजार का इनाम घोषित कर चुकी है। वह मूल रूप से बुलंदशहर के रहने वाले हैं। भट्टा, पाससौल के किसानों की भी वही अगुवाई कर रहे हैं। प्रदेश में डेढ़ दर्जन शातिर बदमाशों को खोजने के लिए सरकार की ओर से 50-50हजार का इनाम घोषित किया गया है। अब तेवतिया को इन्ही शातिर बदमाशों की श्रेणी में डाल दिया गया है। मुन्ना बजरंगी जैसे खूनी और हत्यारे को खोजने में लगी एसटीएफ(स्पेशल टास्क फोर्स) को अब तेवतिया के पीछे लगा दिया गया है। विशेष पुलिस महानिदेशक वृजलाल ने तो पत्रकारों से वार्ता तक में तेवतिया को अपराधी घोषित कर दिया। उनका कहना है कि एक दर्जन से अधिक संगीन अपराधों में तेवतिया की संलिप्तता है। सरकार यह कैसे भूल गई कि अभी कुछ समय पहले ही वह अलीगढ़, आगरा और मथुरा के किसानों को मनाने के लिए तेवतिया से ही संपर्क कर रही थी। उनकी हर बात ध्यान से सुनती थी। अब उसकी नजर में तेवतिया बड़े अपराधी हो गए हैं। आजादी के बाद के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी किसान नेता को अपराधी घोषित कर खोजने के लिए 50 हजार रुपये का इनाम रखा दिया गया हो।

अब हुए भूमिअधिग्रहण

एक-1,500 एकड़-लखनऊ,कानपुर और गाजियाबाद में टाउनशिप के लिए
दो-8,000 एकड़ जमीनपश्चिमी उत्तर प्रदेश में विशेष जोन बनाने के लिए
तीन-1,500 एकड़गाजियाबाद में हाईटेक टाउनशिप के लिए
चार-30,000 एकड़जमीन गंगा एक्सप्रेस वे कारिडोर के लिए
पांच-43,000 एकड़यमुना एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहीत
छह-2.400 एकड़ जमीनगौतमबुद्धनगर परियोजना के लिए
 

Attack on Patriotic Students and Youth in Anti-National Seminar in Jadavpur University
After the seminar in New Delhi demanding `Azadi` for Kashmir, a similar seminar also titled `Azadi` was organised ar Vivekananda Hall in Jadavpur University today (30th October 2010) by a Maoist student group called UDSF (United Students Democratic Front) with the notorious seccessionist and accused in Parliament Attack case, S.A.R. Geelani as the main speaker. At the outset of the seminar, a speaker Mr. Siddhartha Guha Roy gave a speech in which he harped on the so-called `independent` history of Kasmir and asserted that Kashmir should be separated from India. All over the venue, posters and banners put up by the organisers openly demanded `Azadi` for Kashmir.. When a member of the audience Mr. Arun Shaw asked the speaker a question about the role of Shyamaprasad Mukherjee in integrating Kashmir with the rest of India, the Maoist organisers suddenly rushed towards him and started an unprovoked physical attack on him. There soon started a free for all with the organisers using sticks and rods which they had stocked beforehand for an obviously pre-planned attack, to beat up all the patriotic members of the audience mostly ABVP and BJYM activists who had gathered there in large numbers.
In this sudden and brutal attack amidst anti-national slogans and obscenities hurled at the patriotic members of the audience by the organizers among whom were some known notorious Maoists like Debolina Chakraborty, who was recently named by the West Bengal police as a collaborator in the Maoist atrocities in West Bengal, many ABVP and BJYM activists were greviously injured. Two of the activists Neeraj Kumar and Yagnik Agarwal were critically injured and had to be hospitalised while bleeding profusely with wounds on the head. One of them is still admitted to hospital in a critical condition. Others like Amitabha Roy, Tanushree Roy, Gautam Chaudhuri and others were also injured.
After this attack ABVP and BJYM activists organised a road block in front of the University Gate blocking a main arterial road of Kolkata for over an hour in protest against the brutal attack and the anti-national seditious speeches at the seminar. It is significant that members of the public joined the blockade in large numbers when they saw the issue, despite being inconvenienced by the blockade.
ABVP has submitted a police complaint in Jadavpore Police Station demanding the arrest and legal proceedings against the organizers of the seccessionist and seditious seminar along with all those involved in the brutal physical attack including Debolina Chakraborty and her gang.
ABVP demands that the organizers be booked on grounds of sedition as well as grevious assault.
ABVP demands that an enquiry should be conducted against the authorities of Jadavpur University as to how they granted permission to hold an openly anti-national and seditious seminar titled `Azadi` within the University campus, where posters openly advocating `azadi` for Kashmir were allowed to be put up all over the venue and a norious and known anti-national like Geelani, accused in the Parliament attack case and against whom an FIR has already been filed for his seditious speech in the LTG Auditorium, New Delhi on 21st October, was allowed to visit the campus and speak against the unity and integrity of India.

Bharat Singh
Secretary,
Central Secretariat, ABVP
09320091177

 

   
   
 
 
                               
 
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