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2011:05:08
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2011:05:08
Time 09:00
America: Time to support Indian view on
Kashmir
-सर्वेश कुमार सिंह-
-Sarvesh
Kumar Singh-
मोस्ट
बांटेड आतंकवादी ओसमा बिन लादेन के मारे
जाने के बाद दुनिया भर में फैले उसके
समर्थकों के चेहरे बेनकाब हो रहे हैं।
ओसामा और उसके समर्थकों ने जगह-जगह उसके
लिए दुआएं की हैं। ये वो लोग हैं जो मानते
हैं कि ओसामा जेहाद कर रहा था और वह इस
लडाई में शहीद हो गया है। अभी तक समाचार आ
रहे थे कि पाकिस्तान के कुछ शहरों में ही
ओसामा के मारे जाने पर उसे श्रद्धांजलि दी
गई तथा उसके लिए विशेष नमाज अता की गई।
किन्तु कल शुक्रवार को भारत में फैले उसके
समर्थकों के चेहरों से भी नकाब उतर गया।
ये समर्थक खुले आम ओसामा के विचारों के
समर्थन में बोले तथा उसे शहीद का दर्जा
दिया। इसमें सबसे आगे रहा कश्मीर जहां के
अलगाववादियो ने उसके लिए ननाज ए गायबाना
अता की। यह ऐसी नमाज होती है जिसमें जनामा
मौजूद नहीं होने पर पढ़ा जाता है। नमाज का
आयोजन किया था कश्मीर के अलगाववादी गुट
हुरियत कांफ्रेस के प्रमुख अली शाह गिलानी
ने और उसे अता करने की छूट दी जम्मू कश्रमी
के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने। यह नमाज
कश्मीर में श्रीनगर के अलावा बटमालू,
फुलवामा,सोपोर और कुपबाड़ा शामिल हैं।
बटमालू
में अली शाह गिलानी ने जब गुरुवार को ओबामा
के लिए नमाज अता करने की घोषणा की थी तो
उसे नजरबंद कर दिया गया था। किन्तु अचानक
शुक्रवार को उसे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला
ने नमाज की छूट दे दी। आखिर क्या वजह थी
कि एक घोषित आतंकवादी और दुनिया की शांति
के लिए दुश्मन बने अलकायदा सरगना ओसामा
बिन लादेन के लिए नमाज ए गायबाना की अनुमति
दी गई। हुरियत का रुख तो स्पष्ट ही है कि
वह पाकिस्तान समर्थक और आतंकवादियों की
हमदर्द है। किन्तु जम्मू कश्मीर के
मुख्यमंत्री को क्या हो गया। ज्ञातव्य है
कि उक्त नमाज के बाद केवल भाषण हुए बल्कि
अमेरिका और भारत दोनों के खिलाफ नारेबाजी
हुई और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगे।
इस मोके पर अली शाह गिलानी का यह कहना कि
ओसामा शहीद हुआ है।
बटमालू में प्रार्थना के बाद गिलानी ने
पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए विनती की और
कहा कि वह एक परमाणु देश है जिसे दुनिया
भर से खतरों का सामना करना पड़ रहा है. "पाकिस्तान
विश्व में एकमात्र मुस्लिम देश है जिसके
पास परमाणु हथियार हैं और आज हर तरफ से उसे
खतरे का सामना करना पड़ रहा है. हर किसी
को पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए मन्नत
मांगनी चाहिए."
यह सब भारत
ही नहीं अमेरिका की आंखें खोलने के लिए
काफी है। क्योंकि अमेरिका हमेशा कश्मीर
मुद्दे को विवाद का विषय मानता रहा है। वह
इस मामले में पाकिस्तान के रूख को भी
तरजीह देता है। अब तो कम से कम समझ लेना
चाहिए कि आखिर कश्मीर के अलगाववादियों की
मानसिकता और उनका उद्देश्य क्या है। ये वही
लोग हैं जो अलकायदा के समर्थक हैं, ओसामा
के जिहाद के हामी हैं। जिन्हें ग्यारह
सितम्बर और छब्बीस नवम्बर के हमलों पर कोई
दुख नहीं है बल्कि उसे जेहाद मानते हैं।
अमेरिका को यह भी
समझ लेना चाहिए कि ओसामा बिन लादेन एक
मानसिकता का नाम था। यह मानसिकता मानवता
की दुश्मन है। इसके समर्थक कश्मीर से लेकर,
चेचेन्या तक फैले हैं। सब एक ही सुर मे
बोलते हैं। अमेरिका को अब खुलकर भारतीय
पक्ष का समर्थन करना चाहिए। अब समय है कि
अमेरिका यह घोषित करे कि कश्मीर अविवादित
क्षेत्र है और वह भारत का अभिभाज्य
अंग है। साथ ही पाकिस्तान ने जिस हिस्से
पर कब्जा कर लिया है उसे भी भारत को सौंपा
जाए।
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