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  सोशल इंजीनियरिंग फेल, पुराने एजेण्डे पर लौटीं मायावती
Tags: BSP social engeneering failed, now dalt agenda
Publised on : 23 May 2014  Time 19:16

 

 

लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती दलितों को प्रमुखता वाले एजेण्डे पर लौट आयी हैं। क्योकिं लोकसभा चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग पूरी तरह से फेल हो गई है। जिस सोशल इंजीनियरिंग की बदौलत उन्होंने 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी थी। उसे अब तिलांजलि दे दी है। उन्होंने यह फैसला तीन दिनों तक चलीं मैराथन बैठकों के बाद लिया है।

सुश्री मायावती ने फैसला किया है कि अब सभी जिलों में उनके जिलाध्यक्ष दलित ही होंगे। इसके साथ ही उपाध्यक्ष पद किसी अति पिछड़े को दिया जाएगा। किसी भी ब्राह्मण को अध्यक्ष या उपधायक्ष पद नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही जोनल को आर्डिनेटर पदों पर दलितों को वरीयता दी जाएगी। मायावती ने ब्राह्मणों और मुसलमानों पर लोकसभा चुनाव में पूरा भरोसा किया था। किन्तु उन्हें इस वर्ग के वोट नहीं मिले। बसपा प्रमुख का आकलन है कि ब्राह्मण भाजपा के साथ चले गए और मुसलमानों की पहली पसंद सपा और दूसरी कांग्रेस रही। बसपा के प्रत्याशियों को मुसलमानों ने कोई तबज्जों नहीं दी। इसी लिये चुनाव परिणाम आने के एक दिन बाद ही मायावती ने प्रेस से बातचीत करते हुए कहा था कि मुसलमान और ब्राह्मण कुछ दिनों बाद पछताएंगे।

लोकसभा चुनाव में बुरी तरह पराजित हो चुकी बसपा अब 2017 में होने वाले विधान सभा चुनाव की तैयारी में है। वह इस चुनाव में अपना खोया हुआ जनाधार वापस पा लेना चाहती है। इसके लिए बसपा प्रमुख ने अपनी पुरानी और परखी हुई रणनीति को ही प्रमुखता दी है। वह किसी भी कीमत दलित वोटों को खोना नहीं चाहती हैं। इसी लिए उन्होंने संगठन को दलितों के हवाले रखने का फैसला किया है।  

News source: UP Samachar Sewa

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