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मथुराः जहां तीन करोड़ पर्यटक आते हैं हर साल, वहां सांस्कृतिक केन्द्र नहीं
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Tags: Mathura, Tourism, Cultural Center
Publised on : 2020:11:17      Time 16:10    Last  Update on  : 2020:11:17      Time 16:10

Mathura Tourismमथुरा, 17 नवम्बर 2020 ( उ.प्र.समाचार सेवा)। उत्तर प्रदेश के मथुरा में हर साल तीन करोड़ श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। सांस्कृतिक दृष्टि से भी मथुरा समृद्ध है। यहां ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जो कहीं और नहीं हैं। इनकी ख्याति पूरे विश्व में है। इसके बाद भी मथुरा में सांस्कृतिक केन्द्र नहीं हैं।
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार ने देश के सात शहरों में अपने केंद्र स्थापित कर रखे हैं। इनमें क्षेत्रीय और राष्ट्रीय लोक संस्कृतियों का संरक्षण संवर्धन के साथ ही लोक कलाओं और लोक विधाओं को जीवंत बनाए रखने हेतु इन सांस्कृतिक केंद्रों में विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं। स्थानीय कलाकारों को रोजगार के साथ ही पारंपरिक वेशभूषा, भाषा शैली लोक कलाएं, लोक कथाएं, भौगोलिक प्राकृतिक रोजगार, हस्तशिल्प निर्मित वस्तुएं, हथकरघा केंद्र, नृत्य ,संगीत आदि की व्यवस्था रहती है।
संस्कृति मंत्रालय के सांस्कृतिक केन्द्रः पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र कोलकाता (पश्चिम बंगाल), उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) उत्तर पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र दीमापुर (बिहार), उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला (पंजाब), दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, नागपुर (महाराष्ट्र), दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र तंजावुर (तमिलनाडु), पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर (राजस्थान)।
बृज की लोक गाथाएं, लोककला और हस्तशिल्प दुनिया में प्रसिद्धि पा चुकी है। आज भी बृज में पारंपरिक मूर्तिकला, मुकुट शृंगार, कंठी माला, तुलसी, अच्छे और बड़े रोजगार के तौर पर स्थापित किए जा सकते हैं। अगर लोक परंपराओं और बृज विधाओं की बात करें तो बृज में संगीत सम्राट स्वामी हरिदास के संगीत को सुनकर लता- पतायें और वृक्ष भी नृत्य करते थे।
बृज के ऋषि मुनियों का ज्ञान, बृज की होली, बृज का स्वांग, बृज के रसिया, बृज की नौटंकी, बृज के मंदिर, बृज में श्री गोवर्धन पर्वत, बृज की नदियां, बृज चौरासी कोस परिक्रमा, बृज भाषा और बृज की रासलीला और रामलीला की मंडलियां भारत ही नहीं, भारत के बाहर भी लीला मंचन करने जाती हैं। परंतु इन सभी कलाकारों की संख्या दिनों दिन कम हो रही है। इसका प्रमुख कारण है इन सभी चल अचल धरोहरों का संरक्षण न होना। बृज विरासत को संरक्षित और इसका संवर्धन बृज में सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना करके पूर्ण किया जा सकता है ।
मथुरा जनसहयोग समूह के संयोजक अजय कुमार अग्रवाल ने मथुरा में ब्रज सांस्कृतिक केंद्र की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि सांस्कृतिक केंद्र की एक शाखा ब्रजमंडल के मथुरा में स्थापित होना अति आवश्यक है। आश्चर्य होता है कि आजादी के लंबे समय बाद भी ऐसा सांस्कृतिक केंद्र बृज में स्थापित नहीं किया गया। अजय कुमार अग्रवाल का कहना है बृज में सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना का कार्य अति शीघ्र होना चाहिए। इससे ब्रज वासियों को न सिर्फ रोजगार मिलेगा अपितु देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु पर्यटकों को उनकी भावनाओं के अनुरूप वातावरण भी ब्रज में मिल सकेगा।

 
 
   
 
 
 
                               
 
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