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नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश अग्रणीः योगी आदित्यनाथ |
लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के शुभारंभ पर मुख्यमंत्री ने बतायी प्रदेश सरकार की प्राथमिकताएं |
Tags:Lucknow University Centennial Celebrations, CM Yogi Adityanath |
Publised on : 2020:11:19 Time 20:15 Last
Update on : 2020:11:19 Time 20:15 |
लखनऊ, 19 नवम्बर 2020 ( उ.प्र.समाचार सेवा)।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 के क्रियान्वयन तथा उसे लागू करने में उत्तर प्रदेश अग्रणी है। श्री आदित्यनाथ गुरुवार को यहां लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के शुभारंभ अवसर पर परिसर में आयोजित कार्यक्रम में विचार व्यक्त कर रहे थे। इस मौके
पर उनके साथ उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री डा. दिनेश शर्मा भी मौजूद थे।
योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का विजन है। इसे विभिन्न चरणों में वर्ष 2022 तक लागू किया जाना है। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ में ज्ञान के सैद्धान्तिक पक्ष के साथ ही व्यावहारिक पक्ष का भी समावेश है। ज्ञान के इन दोनों पक्षों
में समन्वय आवश्यक है। इससे विद्यार्थी डिग्री प्राप्त करने के साथ ही स्वावलम्बी और समाज के आधार स्तम्भ बनेंगे। उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ जुड़कर आगे बढ़ेगा, तो नये प्रतिमान स्थापित करेगा। अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूर्ण करने पर लखनऊ विश्वविद्यालय
परिवार के सभी सदस्यों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इस गौरवशाली यात्रा के दौरान विश्वविद्यालय ने अकादमिक क्षेत्र में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की हैं। इस विश्वविद्यालय ने देश को राष्ट्रपति सहित अनेक लब्ध प्रतिष्ठ न्यायमूर्ति, राजनेता,
प्रशासनिक अधिकारी, प्राचार्य, वैज्ञानिक और उद्योगपति दिये हैं। उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपनी सौ वर्ष की यात्रा शिक्षा के क्षेत्र में जो प्रतिमान गढ़े हैं, वह अन्य राज्य विश्वविद्यालयों के लिए भी अनुकरणीय हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी समाज तभी आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी बन सकता है, जब वह सरकार से आगे चले। प्रधानमंत्री जी ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के
माध्यम से समाज को आगे रखकर जो कार्य प्रारम्भ किया है, वह ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ तथा ‘आत्मनिर्भर भारत’ का आधार सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों को जनसरोकारों से जुड़ने की जरूरत है। विद्यार्थियों, शिक्षकों के साथ ही अभिभावक, पुरातन छात्र भी शिक्षण संस्थानों के अंग होते हैं।
शिक्षण संस्थानों में इनकी भी उपयोगी भूमिका है, क्योंकि इनके पास विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी होती है। उन्होंने कहा कि ज्ञान का क्षेत्र विस्तृत है। इसलिए ज्ञान के क्षेत्र में सबको जोड़कर आगे बढ़ने से शिक्षा एवं शोध की गुणवत्ता का स्तर बढ़ता है। शिक्षण संस्थानों के आमजनमानस से जुड़ने और
स्थानीय समस्याओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 की चुनौती के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा सेनेटाइजर बनाया गया। सभी शिक्षण संस्थानों द्वारा आवश्यकता पड़ने पर समाज के लिए ऐसे उपयोगी कार्य किये जाने चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं द्वारा हस्तशिल्प के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाना चाहिए। कोविड-19 के दौरान जनधन खाते के माध्यम से गरीबों, निराश्रितों, किसानों, पेंशनधारकों आदि की मदद में तकनीक की उपयोगिता की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाओं द्वारा
तकनीक के आधार पर आॅनलाइन क्लासेज संचालित की जा रही हैं। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा बनायी गयी डिजिटल लाइब्रेरी में लखनऊ विश्वविद्यालय के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान के दायरे को जितना विस्तृत करेंगे, जितना व्यावहारिक बनाएंगे, वह उतना ही कारगर होगा। उन्होंने लोकभाषा,
लोकज्ञान, लोकसंस्कृति के संरक्षण के कार्य से भी शिक्षण संस्थानों के जुड़ने पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश अग्रणी है। प्रदेश में बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा के लिए शैक्षिक कैलेण्डर जारी किया गया है। नकलविहीन परीक्षा के साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर भी कार्य हुआ है। अलग-अलग विश्वविद्यालयों में शोध पीठों की स्थापना की
गयी है। लखनऊ विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी अन्तराष्ट्रीय रोजगार पीठ, पं0 दीन दयाल उपाध्याय शोध पीठ, अटल सुशासन शोध पीठ, भाउराव देवरस शोध पीठ की स्थापना करायी गयी है। यह विश्वविद्यालय में उत्कृष्ठ शोध कार्यक्रमों की श्रृंखला हैं। उन्होंने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में वैदिक
ज्ञान पर शोध के लिए शोध पीठ की स्थापना की गयी है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय की एक शताब्दी की यात्रा सुखद रही है। विश्वविद्यालय में भूतपूर्व राष्ट्रपति डाॅ0 शंकर दयाल शर्मा सहित विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त करने वाले अनेक लोगों ने शिक्षा प्राप्त की है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने लखनऊ विश्वविद्यालय के समग्र विकास और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु आधारभूत संरचनाओं के निर्माण हेतु धनराशि दी है। प्रदेश सरकार द्वारा विश्वविद्यालय को 11.68 करोड़ रुपये की धनराशि अनुदान के रूप में दी गयी है। शोध के लिए 2.5 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की गयी
है। विश्वविद्यालय में शोध पीठों की स्थापना के लिए 02-02 करोड़ रुपये की धनराशि तथा कैलाश, सुभाष, बीरबल साहनी आदि छात्रावासों की मरम्मत के लिए 12 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि दी गयी है।
कार्यक्रम में अपने स्वागत सम्बोधन में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 आलोक कुमार राय ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह का उद्घाटन उच्च शिक्षा एवं उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का द्योतक है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी उच्च शिक्षा के
प्रसार के लिए निरन्तर प्रयासरत हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की जानकारी देने के साथ ही भविष्य की योजनाओं के सम्बन्ध में भी बताया। उन्होंने विद्यार्थियों में इमोशनल एवं स्प्रिचुअल कोशन्ट बढ़ाने के विश्वविद्यालय के प्रयासों के सम्बन्ध में भी अवगत कराया। कार्यक्रम के
अन्त में उन्होंने मुख्यमंत्री जी और उप मुख्यमंत्री जी को अंगवस्त्र तथा स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित भी किया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती नीलिमा कटियार, शासन-प्रशासन के अधिकारी, शिक्षकगण एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे। |
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