लखनऊ,
30 सितंबर । ( उ.प्र.समाचार सेवा )। अयोध्या के विवादित ढांचा ध्वंस मामले में आज सीबीआई की विशेष अदालत के जज एस के यादव ने फैसला सुना दिया है।
उन्होंने सभी 32 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। जज एसके यादव ने कहा है कि छह दिसम्बर की घटना सुनियोजित नहीं थी। घटना को रोकने का प्रयास किया गया था।
साजिश का प्रमाण नहीं
विशेष न्यायाधीश सीबीआई कोर्ट सुरेन्द्र कुमार यादव ने आज दोपहर करीब साढ़े बजे अपना फैसला सुनाया। उन्होंने फैसले को दो हजार पेज में लिखा है। इस मामले में सभी आरोपियों को बरी करते हुए यह कहा गया है कि अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस का कोई प्रमाण नहीं मिला है। सीबीआई ने जो प्रमाण
प्रस्तुत किये वे वास्तविक नहीं थे। चित्र के निगेवेटिव सीबीआई प्रस्तुत नहीं कर सकी तथा जोभी तथ्य प्रस्तुत किये वे फोटोकापी में थे। कोई भी मौलिक प्रमाण नहीं था।
विशेष जज ने कहा कि ढांचा गिराने के लिए पहले से कोई योजना नहीं बनाई गई थी। यह अनायास घटी घटना थी। जज ने फैसले में कहा कि मंच पर मौजूद नेताओं ने कार सेवकों को रोकने के लिए लगातार अपील की थी। किन्तु कुछ
तत्वों ने भीड़ में घुसकर ढांचा का विध्वसं कर दिया। जज यादव ने यह भी कहा है कि वहां मौजूद प्रशासन के अधिकारियों का भी यही कहना है कि ढांचा बगैर किसी योजना के गिरा था। मौके पर मौजूद पर्यवेक्षक मुरादाबाद के जिला जज तेजशंकर श्रीवास्तव ने भी यही कहा था कि बगैर किसी योजना के ढांचा गिरा था।
ज्ञातव्य है कि छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में तीन गुंबद कारसेवकों की भीड़ ने गिरा दिये थे।
ढांचा गिराने के मामले में 28 साल बाद आया फैसला
ज्ञातव्य है कि 19 अप्रैल 2017 से इस मामले की सुनवाई दैनिक रूप से हो रही है। इस अदालत में जज सुरेन्द्र कुमार यादव को दैनिक सुनवाई का निर्देश दिया गया था। उनके तबादला नहीं किये जाने के भी निर्देश दिये गए थे। यह मामला 6 दिसंबर 1992 की घटना के आरोपियों के खिलाफ 28 साल तक चला। इसमें
351 गवाहों ने कोर्ट में प्रस्तुत होकर गवाही दी थी। इस मामले में सीबीआई ने 49 लोगों को अभियुक्त बनाया था। इनमें से 17 लोगों का निधन हो चुका है। अब मात्र 32 अभियुक्तों पर ही फैसला सुनाया गया।
सीबीआई ने 49 लोगों को बनाया था आरोपी
इस मामले में प्रमुख लोगों में बाला साहेब ठाकरे, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, राम विलास वेदान्ती, चंपत राय, साध्वी ऋतंभरा, वियन कटियार, पवन कुमार पांडे, ब्रजभूषण शरण सिंह, कल्याण सिंह, अशोख सिंहल, गिरिराज किशोर मोरेश्वर सावे, जयभगवान गोयल, साक्षी महाराज, सतीश प्रधान,
विष्णु हरि डालमिया, विनोद कुमार वत्स, रामचन्द्र खत्री, सुधीर कक्कड़, संतोष दुबे, अमर नाथ गोयल, प्रकाश शर्मा, जयभान सिह पवैया, धर्मेन्द्र सिंह गूजर, रामनाारयण दास, राम जी गुप्त, लल्लू सिंह, कमलेश त्रिपाठी, गांधी यादव, ओमप्रकाश पाण्डेय, लक्ष्मी नारायण दास, विनय कुमार राय, हरगोविन्द
सिंह, विजय बहादुर सिंह, नवीन भाई शुक्ला, रमेश कुमार सिंह, आचार्य धर्मेन्द्र देव, आरएन श्रीवास्तव, डीबी राय, महंत अवैद्यनाथ, धर्मदास, महंत नृत्यगोपाल दास, जगदीश मुनि महाराज, बैकुंठ लाळ शर्मा, परमहंस रामचन्द्र दास, संतोष कुमार नागर, विजय राजे सिंधिया आरोपी बनाये गए थे।
अब इनमें से 17 लोगों विजया राजे सिंधिया, बाला साहेब ठाकरे, अशोक सिंहल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरिडालमिया, मोरेश्वर सावे, रामनारायण दास, जगदीश मुनि, विनोद कुमार वत्स, लक्ष्मी नारायण दास, रमेश कुमार सिंह, डीबी राय, महंत अवैद्यनाथ, बैकुंठ लाल शर्मा, महंत रामचन्द्र परमहंस, हरगोविन्द सिंह,
सतीश कुमार नागर का निधन हो गया है।
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