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Delhi,
20 June.राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन
का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तय करने
को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के
हस्तक्षेप से मामला गर्मा गया है। संघ के
हस्तक्षेप और इस पर बिहार के मुख्यमंत्री
नीतिश कुमार की प्रतिक्रिया से गठबंधन में
दरार पड़ने के संकेल मिल रहे हैं। माना जा
रहा है कि लोकसभा चुनाव आने से पहले ही
गठबंधन बिखर जाएगा। उधर इस पूरे मामेल पर
भारतीय जनता पार्टी ने चुप्पी साध रखी है।
मामले ने आज उस समय
तूल पकड़ा जब प्रधानमंत्री पद पर
हिन्दूवादी नेता की दावेदारी को लेकर संघ
के प्रमुख मोहन भागवत ने टिप्पडी कर दी।
उन्होने पूछा कि क्यों नहीं हिन्दूवादी
नेता को देश का प्रधानमंत्री होना चाहिए।
श्री भागवत ने नीतिश कुमार पर भी टिप्पड़ी
कर दी कि वे वोट बैंक के लालच में
नरेन्द्र मोदी की आलोचना कर रहे हैं। उधर
नीतीश कुमार ने कहा कि नरेन्द्र मोदी की
बजह से ही वर्ष 2004 के चुनाव में एनडीए
की सरकार नहीं बनी। उन्होंने पूर्व
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की वह
टिप्पड़ी भी याद दिला दी जोकि उन्होंने
गुजरात में राजधर्म के पालन को लेकर
नरेन्द्र मोदी के कामकाज पर की थी। श्री
कुमार ने कहा कि यदि गोधरा काण्ड के समय
ही नरेन्द्र मोदी को बर्खास्त कर दिया गया
होता तो 2004 में फिर से एनडीए की सरकार
बनती।
संघ और नीतीश कुमार
के बीच हुए इस वाद विवाद पर भाजपा नेतृत्व
की ओर से कोई टिप्पड़ी नहीं की गई है।
पार्टी के किसी भी अधिकृत प्रवक्ता ने
बयान जारी नहीं किया है। हालांकि संघ
प्रमुख के खुलकर मोदी के पक्ष में आने के
बाद भाजपा का कोई भी नेता अब मोदी के
खिलाफ नहीं बोलेगा। श्री भागवत के
हिन्दूवादी छवि के नेता को प्रधानमंत्री
बनाये जाने की वकालत करने के बाद भाजपा
में प्ऱधानमंत्री मद की दावेदारी का रास्ता
अब नरेन्द्र मोदी के लिए साफ हो गया है।
माना जा रहा है कि अगले चुनाव के पहले ही
भाजपा नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद
का दावेदार घोषित करके चुनाव लड़ेगी। इतना
ही नहीं संघ प्रमुख के बयान ने लालकृष्ण
आडवाणी को संकेत दे दिया है कि
प्ऱधानमंत्री पद के लिए अब उनकी दावेदारी
समाप्त हो चुकी है।
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