लखनऊ,
17 नवम्बर, 2016। ( उ.प्र.समाचार सेवा)।
राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ0 लौटन राम
निषाद ने यहां जारी अपने बयान में कहा कि अतिपिछड़ी
जातियों का सर्वाधिक नुकसान सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह
यादव ने किया है। उन्होंने कहा कि पिछड़ों के नाम पर 27
प्रतिशत आरक्षण का लाभ सिर्फ एक जाति व इटावा के पड़ोंसी
जिले के लोगों को दिया। 17 अतिपिछड़ी जातियों को
अनुसूचित जाति ने शामिल करने के नाम पर 2004 से ही
बेवकूफ बनाते आ रहे हैं। जो अपने अधिकार क्षेत्र का काम
है, उसे न कर क्रेन्द्र सरकार व भारतीय संसद के अधिकार
क्षेत्र का मुद्दा उछालकर अतिपिछड़ों को झूठा छलावा देकर
वोट बैंक की राजनीति करते आ रहे हैं। विधानसभा
चुनाव-2017 में 17 अतिपिछड़ी जातियों के साथ अन्य
अतिपिछड़ी, अत्यन्त पिछड़ी व वंचित जातियां सपा से अपने
साथ हुए सामाजिक अन्याय व अपमान का बदला लेंगी। उन्होंने
अतिपिछडे़ वर्ग की जातियों व निषाद, बिन्द, कश्यप, मछुआरा
समाज से गाजीपुर में आयोजित सपा की रैली का बहिष्कार किये
जाने का आह्वान किया है।
श्री निषाद ने कहा कि यादव समाज की 8.6 प्रतिशत आबादी के
सापेक्ष निषाद वंशीय जातियों की आबादी 10.25 प्रतिशत है,
तथा 153 विधानसभ क्षेत्रों में 40,000 से अधिक मतदाता
संख्या होने के बाद भी समाजवादी पार्टी इस बड़ी संख्या
वाली जाति के साथ सामाजिक अन्याय, राजनीतिक उपेक्षा व
दोयम दर्जे का बर्ताव कर रही है। निषाद समाज के मात्र 5
लोगों को उम्मीदवार बनाया है, तथा पूर्वान्चल में 3-3 व
4-4 दर्जन विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक बिन्द, राजभर,
चौहान तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सैकड़ो विधानसभा
क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले कश्यप समाज से एक भी
उम्मीदवार न बनाया जाना सपा की अतिपिछड़ा विरोधी नीति का
प्रमाण है।
श्री निषाद ने कहा कि सपा ने गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, बलिया,
चन्दौली, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, सुल्तानपुर,
इलाहाबाद जैसे निषाद बाहुल्य जिलों की किसी भी विधानसभा
से सपा द्वारा उम्मीदवार नहीं बनाया गया जबकि इन जिलों
से 2 से 5 यादव उम्मीदवार बनाये जाते हैं। उन्होेंने ने
निषाद समाज के लोगों से अपील किया है कि समाज को नजर
अंदाज कर पार्टी के बंधुआ व समाज के मोहरा बन निज
स्वार्थ में लिप्त बिशम्भर प्रसाद निषाद, शंखलाल मांझी,
राम सुंदर दास सहित सपा के जो नेता गाजीपुर रैली में जाने
के लिए आपके बीच जायें तो इनसे पूछिये कि 17 अतिपिछड़ी
जातियों को 7.5 प्रतिशत मात्रात्मक आरक्षण की बजाय सपा
सरकार में नौकरियों व शिक्षण-प्रशिक्षण में क्यों नहीं
दिया ? शंखलाल मांझी समाज कल्याण मंत्री हैं, परन्तु
मझवार, तुरैहा, गोंड़ व पासी तड़माली को परिभाषित कर
क्रेन्द्र सरकार को विधिसम्मत प्रस्ताव क्यों नहीं भेजा
गया।
श्री निषाद ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य मछुआ
आयोग बनाने व मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने व निषाद
मछुआरों के परम्परागत पुश्तैनी पेशों को बहाल करने की
बात किये थे परन्तु इस पर सार्थक कदम क्यों नहीं उठाया
गया ? मल्लाह, केवट, कहार, लोध, बंजारा, भार, नायक,
मेवाती आदि विमुक्त जातियों को 1959 से शिक्षण-प्रशिक्षण
में अनुसूचित जनजाति के समान आरक्षण का लाभ मिल रहा था,
उसे सपा सरकार ने 10 जून 2013 को खत्म क्यों किया ? मा0
उच्च न्यायालय खंडपीठ इलाहाबाद ने आरक्षण का समुचित लाभ
पा चुकीं जातियों की बाजार मल्लाह, केवट, कहार, राजभर,
धीवर, बिन्द, बियार, नोनिया, बढ़ई, लोहार, कुम्हार, बरई,
बारी, नाई, रंगरेज, मनिहार, भुर्जी, मोमिन अंसार, गद्दी,
माली, सैनी, कोयरी, बंजारा, नायक, किसान, लोधी आदि वंचित
जातियों को आरक्षण देने हेतु 03 अक्टूबर 2013 को जो
अन्तरिम निर्णय दिया उसे सपा सरकार ने स्थगित क्यों कराया
? सपा से विधानसभा चुनाव में अतिपिछड़ी जातियां इन
प्रश्नों को हिसाब मांगेंगी।